आगामी लोकसभा चुनावी घोषणा और विभिन्न पार्टियों से प्रचारित विवाद मानों भारतीय लोकतंत्र की यही पहचान है। या तो विवादित प्रताशी या फ़िर प्रत्याशियों का विवाद खड़ा करना लोकतंत्र में चार चाँद लगाना है।
एन डी ऐ के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी लाल कृष्ण आडवानी जो विगत पाँच साल तक सरकार का अमेरिकी होने का आरोप लगाते रहे आज अमेरिका का तर्ज चाहते है।
क्या बहुरूपिये हैं। !!!!
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जोश और उन्माद तो देखिये कि अपने प्रत्याशियों के धार्मिक विवादित बयान पर चुप्पी साधे देश के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार चाहते हैं की दुसरे उम्मीदवार से सीधे टी वी पर अमेरिकी तर्ज पर बहस करें और टी वी चैनल को मानों लौटरी लग गयी हो आख़िर मामला टी आर पी का है और प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार सो बहस को सर्वाधिक टी आर पी मिलना तय है।
क्षद्मता की हद क्या नेता और क्या पत्रकारिता जो जानते हैं की भारतीय राजनैतिक संरचना में इस तरह की बात कोरी कल्पना है, ना ही भारत दो पार्टियों का देश और ना ही यहाँ सैधांतिक रूप से पार्टी से जुड़े राजनेता। पार्टी का बनना और नेता का पार्टी बदलना हमारे लोकतंत्र की विशेषता है और जहां कोई भी पार्टी पूर्ण बहुमत का दावा ही नही कर सकता वहां इस तरह की बात कर क्या ये हमारे लोकतंत्र का मजाक उडा रहे हैं ?
अगर वास्तविकता में ये लोकतंत्र के पक्षधर हैं, लोक तक पहुंचना चाहते हैं तो क्या प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का चुनाव अमेरिकी तर्ज पर होना इन लोगों को हजम होगा ?
कोई भी राजनेता सम्पूर्ण भारत में अपनी प्रधानमन्त्री की दावेदारी रख कर वोट की अपील कर सकता है?
नि : संदेह नही और ये सभी पार्टी और नेताओं के साथ प्रधानमंत्री के दावेदार और मीडिया को पता है तो क्या ये एक शिगूफा है ?
लोकतंत्र की जड़ से ही अनजान ये लोग जो वोट के लिए लोगों में वैमनष्यता फैलाते हैं, अपराधी उम्मीदवार बनते हैं और नेता उसका बचाव करते हैं, पत्रकार हों या नेता कानून की लुंज पुंज होने से सभी बचते हैं और दुहाई सिर्फ़ लोकतंत्र की देते हैं।
आडवानी जी क्या आप भारत में दो दलों की राजनीति को मान्यता देंगे ?
क्या आप सम्पूर्ण भारत में कहीं भी चुनाव लड़ने का माद्दा रखते हैं ?
प्रश्न अनुत्तरित है ?
3 comments:
सबसे बड़ा बहुरुपिया और नौटंकी। कभी राम तो कभी जिन्ना !!!
inaki koi jaati to hai nahi....sab kuchh bech sakate hai ....are jhaa jee sabkuchh matlab sabkuchh ....
इस आदमी का एक पैर कब्र में और दूसरा केले के छिलके पर रखा हुआ है पर अभी भी देश पर राज्य करना चाहता है क्या इसे लगता है कि ये हजार साल जियेगा। वैसे तो किसी की जिंदगी का भरोसा नही है कब पावर कट हो जाए लेकिन इसका तो कबका वोल्टेज डाउन हो गया है
जय जय भड़ास
आडवाणी निपट हरामी आदमी है इन लोगों ने जस्टिस आनंद सिंह को बहुत सताया है अपने जुडीशियल माफ़िया के साथ मिल कर.... इनका सत्यानाश हो
जय जय भड़ास
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