नेता कौन और कैसा ? ( एक व्यंग)

राष्ट्रिय राज मार्ग का यह दृश्य बयां कर रहा है हमारी राजनितिक भूमिका को । क्या ये ही स्थिति हमारे लोकतंत्र का नही है ? गडेरिया नेता और उसके साथ भेड़ का भीड़ !!!!


देश का नेतृत्व, आम जन का साथ आम जन का हाथ



6 comments:

वन्दना said...

bahut sundar dhang se paribhashit kiya hai aaj ka loktantra aur uske rakhwalon ko.

vaise halat to aise hi hain bheed bas chale ja rahi hai neta ji ka hath pakde chahe kahin le jayein ya beech majhdhar mein chod dein.

रंजनी कुमार झा (Ranjani Kumar Jha) said...

गलत उदाहरण, नेता भेद के गडरिये नहीं अपितु भेद के कसाई हैं जो अपने ही देश्वाशी का खून पीते हैं.

अग्नि बाण said...

रंजन भाई ने सही बोला बाप ये नेता साला कसाई है और अपने ही भेरों का खून पिने वाला है

anuradha srivastav said...

सटीक व्याख्या....... सोचने को मजबूर करती है। साथ ही शर्मीन्दगी का अहसास भी।

Annu Anand अन्नू आनंद said...

नेता के हाथ में लगाम आये और वह हांकना शुरे करे उससे पहले ही खुद संभलना सीखना होगा!

निर्मला कपिला said...

bhai rajneeshji kuchh aur bhigo lete to joota achha chalta hame to dekh kar hi sharam aa rahi hai bahut badia lage raho

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