मुंबई को दहला देने वाले 26/11 के आतंकी हमलों को अंजाम देने के सभी आरोपों में दोषी ठहराए गए पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब को विशेष अदालत ने फांसी की सजा सुनाई।
विशेष अदालत के न्यायाधीश जस्टिस तहलियानी ने फैसला सुनाते हुए उसे 4 मामलों में दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई। पांच अन्य मामलों में अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। जस्टिस तहलियानी ने कहा कि कोई कारण नहीं है जिसके चलते कसाब को फासी की सजा नहीं दी जा सकती।
आईपीसी की धारा 121 और 302 के अंतर्गत कसाब को फांसी की सजा सुनाई गई। धारा 121 देश के खिलाफ युद्ध थोंपने और धारा 302 लोगों को मारने के तहत उसे फासी दी गई। सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने अदालत के बाहर मीडिया से बातचीत में फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि भारत ने एक महान लोकतांत्रिक देश होने के नाते दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है, जिसके अंतर्गत कानूनी प्रक्रिया के तहत दोषी को न्याय के कठघरे में लाया गया।
उन्होंने मुंबई हमले में मारे गए आम लोगों और पुलिसकर्मियों की मौत पर संवेदना व्यकत करते हुए कहा कि आज उन परिवारों को शांति मिली है। उन्होंने कहा कि इस केस के दौरान कसाब ने कार्रवाई को भटकाने की बहुत कोशिश की लेकिन अंततः उसे उसके गुनाहों की सजा मिल गई।
सजा सुनाए जाने से पहले कसाब पानी पीने के लिए एक बार अदालत से बाहर गया। पूरी सुनवाई के दौरान कसाब नीचे देखता रहा।
कसाब की सजा को लेकर मंगलवार को अदालत में जिरह हुई थी, जिसमें अभियोजन पक्ष के वकील उज्ज्वल निकम ने कसाब को 'शैतान' और 'हत्या की मशीन' करार देते हुए कहा था कि वह मृत्युदंड का पात्र है।
निकम ने मंगलवार को कहा था, ''कसाब के लिए अधिकतम सजा मृत्युदंड और न्यूनतम आजीवन कारावास है।'' निकम ने कहा था, ''मैं कसाब के लिए सजा-ए-मौत चाहूंगा। यह बदले की भावना नहीं है और न ही हम बर्बर न्याय चाहते हैं.. बल्कि न्याय मिलना चाहिए।''
विशेष अदालत के न्यायाधीश एम. एल. ताहिलयानी ने सोमवार को आर्थर रोड जेल में बनी विशेष अदालत में कसाब और अन्य आरोपियों पर फैसला सुनाया था। अपने फैसले में उन्होंने 23 वर्षीय कसाब को दोषी ठहराया और फहीम और सबाउद्दीन को संदेह का लाभ देते हुए निर्दोष करा दिया था। इन दोनों पर मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकवादियों की मदद करने का आरोप था। ये दोनों भारतीय नागरिक हैं।
कसाब को छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर दोषी ठहराया गया, जिसमें वह एक एके-47 राइफल और पीठ पर बैग लादे दिख रहा था। अभियोजन पक्ष ने कसाब के खिलाफ 653 गवाह पेश किए थे।
उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर, 2008 की रात पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने मुंबई के विभिन्न स्थानों पर हमला बोला था। लगभग 60 घंटे तक इन आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच चले संघर्ष में 166 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 244 घायल हो गए थे।
इन 10 आतंकवादियों में से नौ को मार गिराया गया था, जबकि कसाब को जिंदा पकड़ने में सुरक्षाबलों को सफलता मिली थी। इन आतंकवादियों ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्थित वर्ल्ड हैरिटेज बिल्डिंग, ताजमहल पैलेस, टॉवर होटल, होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट, कामा हॉस्पिटल और नरीमन हाउस को निशाना बनाया था।
विशेष अदालत के न्यायाधीश जस्टिस तहलियानी ने फैसला सुनाते हुए उसे 4 मामलों में दोषी पाते हुए फांसी की सजा सुनाई। पांच अन्य मामलों में अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। जस्टिस तहलियानी ने कहा कि कोई कारण नहीं है जिसके चलते कसाब को फासी की सजा नहीं दी जा सकती।
आईपीसी की धारा 121 और 302 के अंतर्गत कसाब को फांसी की सजा सुनाई गई। धारा 121 देश के खिलाफ युद्ध थोंपने और धारा 302 लोगों को मारने के तहत उसे फासी दी गई। सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने अदालत के बाहर मीडिया से बातचीत में फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि भारत ने एक महान लोकतांत्रिक देश होने के नाते दुनिया के सामने एक मिसाल पेश की है, जिसके अंतर्गत कानूनी प्रक्रिया के तहत दोषी को न्याय के कठघरे में लाया गया।
उन्होंने मुंबई हमले में मारे गए आम लोगों और पुलिसकर्मियों की मौत पर संवेदना व्यकत करते हुए कहा कि आज उन परिवारों को शांति मिली है। उन्होंने कहा कि इस केस के दौरान कसाब ने कार्रवाई को भटकाने की बहुत कोशिश की लेकिन अंततः उसे उसके गुनाहों की सजा मिल गई।
सजा सुनाए जाने से पहले कसाब पानी पीने के लिए एक बार अदालत से बाहर गया। पूरी सुनवाई के दौरान कसाब नीचे देखता रहा।
कसाब की सजा को लेकर मंगलवार को अदालत में जिरह हुई थी, जिसमें अभियोजन पक्ष के वकील उज्ज्वल निकम ने कसाब को 'शैतान' और 'हत्या की मशीन' करार देते हुए कहा था कि वह मृत्युदंड का पात्र है।
निकम ने मंगलवार को कहा था, ''कसाब के लिए अधिकतम सजा मृत्युदंड और न्यूनतम आजीवन कारावास है।'' निकम ने कहा था, ''मैं कसाब के लिए सजा-ए-मौत चाहूंगा। यह बदले की भावना नहीं है और न ही हम बर्बर न्याय चाहते हैं.. बल्कि न्याय मिलना चाहिए।''
विशेष अदालत के न्यायाधीश एम. एल. ताहिलयानी ने सोमवार को आर्थर रोड जेल में बनी विशेष अदालत में कसाब और अन्य आरोपियों पर फैसला सुनाया था। अपने फैसले में उन्होंने 23 वर्षीय कसाब को दोषी ठहराया और फहीम और सबाउद्दीन को संदेह का लाभ देते हुए निर्दोष करा दिया था। इन दोनों पर मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकवादियों की मदद करने का आरोप था। ये दोनों भारतीय नागरिक हैं।
कसाब को छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर दोषी ठहराया गया, जिसमें वह एक एके-47 राइफल और पीठ पर बैग लादे दिख रहा था। अभियोजन पक्ष ने कसाब के खिलाफ 653 गवाह पेश किए थे।
उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर, 2008 की रात पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने मुंबई के विभिन्न स्थानों पर हमला बोला था। लगभग 60 घंटे तक इन आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच चले संघर्ष में 166 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 244 घायल हो गए थे।
इन 10 आतंकवादियों में से नौ को मार गिराया गया था, जबकि कसाब को जिंदा पकड़ने में सुरक्षाबलों को सफलता मिली थी। इन आतंकवादियों ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्थित वर्ल्ड हैरिटेज बिल्डिंग, ताजमहल पैलेस, टॉवर होटल, होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट, कामा हॉस्पिटल और नरीमन हाउस को निशाना बनाया था।
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