ये सारी कहानी आप सबके सामने है आप खुद देख लीजिये कि टाटा इंडिकाम और इन जैसी कपटी कंपनियां हर हाथ में मोबाइल देकर किस तरह आपकी जेब काट रही हैं और इन मक्कार जेबकतरों के लिये काम करते हैं शगुना शेट्टी जैसे अपशगुनी लोग और उसके चंदन जैसे चमचे जो पैसों के लिये अपने ही देशवासियों का खून बिना किसी हिचकिचाहट के पी सकते हैं। अगर इस पूरी बात से मैं टाटा के दो-चार हजार नहीं बल्कि दो चार ग्राहक भी तोड़ सका तो मैं अपनी इस बात की सार्थकता जानूंगा। शेष तो हमारे देशवासी निर्णय लेंगे कि उन्हें किसके हाथों लुटना है।
जय जय भड़ास
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