ईटन और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के छात्र रहे 43 वर्षीय डेविड कैमरन ब्रिटेन के 53वें प्रधानमंत्री बन गए हैं। इसके साथ ही ब्रिटेन में 13 वर्षो से चले आ रहे लेबर पार्टी के शासन का समापन हो गया है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन में पहली बार गठबंधन सरकार अस्तित्व में आई है। कैमरन ने एक उचित और पूर्ण गठबंधन सरकार के वादे के साथ 10 डाउनिंग स्ट्रीट में मंगलवार को प्रवेश किया। इसके कुछ ही समय पहले गार्डन ब्राउन को यहां से भावपूर्ण विदाई दी गई थी। इस सरकार में कैमरन प्रधानमंत्री बने हैं, जबकि सहयोगी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता निक क्लेग उपप्रधानमंत्री बने हैं। पिछले 200 वर्षो के इतिहास में देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने कैमरन ने स्थायी और मजबूत सरकार देने का वादा किया और मतदाताओं से कहा, ""मत पूछिए कि आप क्या चाहते हैं, यह पूछो कि मैं आपको क्या दे सकता हूं।"" कैमरन ने कहा, ""मैं लिबरल डेमोक्रेट्स के साथ मिलकर एक उपयुक्त और पूर्ण गठबंधन सरकार बनाऊंगा।"" उन्होंने कहा, ""हमारे समक्ष कुछ गंभीर समस्याएं हैं। ये हैं वित्तीय घाटा, गंभीर सामाजिक समस्याएं, राजनीतिक व्यवस्था में सुधार।
मुझे उम्मीद है कि हम एक मजबूत और स्थायी सरकार देंगे। देश को इसकी जरूरत है।"" कैमरन के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया। सबसे पहले बधाई देने वालों में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्कल रहें। ओबामा ने कैमरन को फोन कर उन्हें जुलाई में अमेरिका आने का न्यौता दिया, जबकि मार्कल ने भी उन्हें जल्द से जल्द बर्लिन का दौरा करने का निमंत्रण दिया। नई सरकार में विलियम हेग विदेश मंत्री होंगे, यह लगभग तय हो गया है। रक्षा मंत्रालय का जिम्मा कंजरवेटिव नेता लियाम फॉक्स को मिल सकता है। उपप्रधानमंत्री क्लेग ने कहा, ""यह नए प्रकार की सरकार होगी। यद्यपि हम हम अलग-अलग राजनीतिक दल हैं लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि देश हित में हम अपने मतभेदों को दूर करेंगे और अच्छा प्रशासन देंगे।"" इससे पहले, गठबंधन सरकार बनाने की कोशिशें विफल होने के बाद ब्राउन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस अवसर पर भावुक ब्राउन ने कहा, ""मैंने ब्रिटेन के नागरिकों के हित में हमेशा देश की सेवा की है।"" उनसठ वर्षीय ब्राउन 2007 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे। ब्राउन ने लेबर पार्टी के नेता का पद भी तत्काल प्रभाव से छो़ड दिया। उन्होंने कहा, ""अब मैं बीवी-बच्चाों के साथ समय बिताऊंगा।"" उन्होंने बकिंघम पैलेस जाकर महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को इस्तीफा सौंपा। ब्रिटेन की 650 सीटों वाली संसद में सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन को 326 सीटों की जरूरत होती है। इस बार के चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी 306 सीटों के साथ सबसे ब़डी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन बहुमत के जादुई आंक़डे से वह 20 सीट दूर रह गई थी। ऎसे में कंजरवेटिव पार्टी ने 57 सीटें जीतकर आई लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी बुधवार को कैमरन को फोन पर बधाई दी और उम्मीद जताई कि वह भारत और ब्रिटेन के रिश्तों को और मजबूती प्रदान करेंगे। ब्रिटिश उच्चयोग की ओर से नई दिल्ली में जारी एक बयान में कहा गया है, ""प्रधानमंत्री सिंह ने बहुत गर्मजोशी व मित्रता के भाव से कैमरन को बधाई दी।"" बयान में कहा गया है, ""10 मिनट की बातचीत में दोनों नेताओं ने कई सारे द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। दोनों के बीच विश्व अर्थव्यवस्था पर खासतौर से चर्चा हुई।"" सिंह ने कैमरन को एक बधाई पत्र भेजा है। इस पत्र को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा यहां जारी किया गया। मनमोहन सिंह ने त्रिशंकु ब्रिटिश संसद में कंजरवेटिव पार्टी के शीर्ष नेता को भारत यात्रा का निमंत्रण भी दिया। पत्र में मनमोहन सिंह ने कहा है, ""ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं स्वीकार करें। ब्रिटेन के चुनाव और कंजरवेटिव पार्टी के आपके नेतृत्व से संसदीय लोकतंत्र की सबसे बेहतर परंपराएं प्रदर्शित होती हैं।"" मनमोहन ने कहा कि नई दिल्ली में सितंबर 2006 में कैमरन से मुलाकात में उनको बहुत खुशी हुई थी। प्रधानमंत्री ने कहा, ""वर्षो से हमारे द्विपक्षीय संबंध करीब-करीब सभी क्षेत्रों में विविध, जीवंत और बहुपक्षीय तथा रणनीतिक साझेदारी के रहे हैं। आज हम न केवल दोनों देशों की जनता की भलाई की स्थिति में हैं वरन एक साथ मिलकर दुनिया के सामने पेश चुनौतियों का सामना करने और मानवता की भलाई के लिए राष्ट्रों के बीच बढ़ती अंतर-सरकारी निर्भरता को संवार सकते हैं।"" प्रधानमंत्री ने कहा, ""मित्रता के संबंध को और अधिक मजबूत बनाने के लिए मैं आपके साथ काम करने का इच्छुक हूं, भारत इसे सबसे अधिक महत्व देता है।"" कैमरन वैसे भी भारत के प्रशंसक है। उनका मानना है कि भारत के साथ संबंधों में और गहराई आनी चाहिए।
दरअसल, कैमरन के प्रभाव में उस समय जबरदस्त बढ़ोतरी हुई, जब उनकी प्रतिभा को देखकर चांसलर नॉर्मन लैमोंट ने उन्हें अपना विशेष सलाहकार बनाया था। सितंबर 2006 में अपनी भारत यात्रा से पहले कैमरन ने "द गार्जियन" समाचार पत्र में एक लेख लिखकर भारतीय लोकतंत्र को सलाम किया था। उन्होंने कहा था, ""भारत दुनिया का सबसे ब़डा लोकतंत्र और तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्था है। व्यापारिक भागीदारी के लिए भारत में मजबूत क्षमता है। वह बहुलवाद की मजबूत संस्कृति के साथ विभिन्नता वाला समाज है। साथ ही विश्व के अशांत क्षेत्रों में स्थिरता लाने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय ताकत है। इसलिए यह वक्त भारत का है।""
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