देखो दिल्ली को, यूँ ही बदनाम ना करो !

सुनीता चौधरी, दिल्ली की पहली महिला ऑटो चालक

पी वी आर अनुपम, साकेत से सिनेमा देख कर वापस आने के लिए सड़क पर आया और ऑटो ढूंढ रहा था मोलभाव कर ही रहा था की एक ऑटो सामने आकर रुकी और एक महिला ऑटो चालक ने पुछा की कहाँ जाना है,
बिना कुछ सवाल जवाब किए , बिना मोल भाव के बैठ गया और बातचीत के साथ रास्ते का सफर शुरू हो गया।

नाम सुनीता चौधरी पहाड़ की सुंदर वादियों को छोड़ जीविका की तलाश में दिल्ली आयीं और ऑटो चलाना शुरू किया, और बा इज्जत दो रोटी का जुगाड़ ऑटो से करती हैं। बातचीत आगे बढ़ा तो इन्होने दिल्ली की असुरक्षा पर बताया कि ये रात के ११ १२ बजे तक ऑटो चलती हैं और छिटपुट घटना जो कि एक ऑटो ड्राइवर के लिए आम है के अलावे इन्हें अभी तक ऎसी कोई परेशानी नही आयी है, दिल्ली ट्राफिक पुलिस के बाबत पूछने पर इन्होने स्पष्ट बताया कि महिला होने या न होने से कोई फर्क नही होता और अगर आप ट्राफिक रुल को तोड़ते हैं तो आपको जुरमाना भरना ही होता है अन्यथा और कोई शिकायत इन्होने नही की।

सुरक्षा और असुरक्षा को लेकर दिल्ली पर हमेशा प्रश्न उठते रहते हैं और इस प्रश्न की आग में घी डालने का काम मीडिया करता रहता है, मगर सुनीता जी से हुई बातों ने मानो दिल्ली के बारे में राय बदलने को मुझे मजबूर किया वरन मुझे लगा कि दिल्ली की हकीकत मैं अनकही के मध्यम से लोगों से साझा करुँ।

सुनीता जी का संदेश कि अपने आप पर भरोसा करें और कायदे का पालन करें तो दिल्ली देश का सबसे सुरक्षित जगह है।

अनकही इस वीर को सलाम करता है।

12 comments:

हर्षवर्धन said...

रजनीशजी
दिल्ली को गाली देने वाला हर कोई दिल्ली का मोही है और इसे अच्छा करने के लिए ही गरियाता है। बढ़िया है ऐसे किस्से ज्यादा सुनने-पढ़ने को मिलें।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक said...

अजी साहब!
दिल्ली तो हिन्दुस्तानियों का दिल है।

राजीव तनेजा said...

दिल्ली में दिल है मेरा....

निर्मला कपिला said...

bilakul sahee kisee bhi sthan ki sundarataa aur surakshaa hanare hee haath me hai agar achhe nagarik ki tarah raheM to dili bhe koi apavad nahin hai sarkar ko dosh dene se pahale hame khud ko sudharana hoga aabhaar

रंजना said...

आभार आपका,इस प्रसंग को असंख्य लोगों तक पहुँचने के लिए...बड़ा ही अच्छा लगा पढ़कर....

इस बहादुर बाला और इसकी सोच को सलाम !!

वन्दना said...

delhi to hai hi dilwalon ki..............yahan dilwale hi raha karte hain.

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत बढिया. देर रात तक एक युवती का auto चलाना ज़ाहिर करता है कि उतनी असुरक्षित भी नहीं लड्कियां.प्रेरक पोस्ट..

हिमांशु । Himanshu said...

आश्वस्त करती प्रविष्टि । नवीन भारत के निर्माण में सुरक्षा जरूरी होगी प्रत्येक स्तर पर । प्रसंग सुन्दर है । धन्यवाद ।

Rajeshwar Singh Thakur said...

kuchh hatke karne ka maja hi aur hai.unka jajba kabiletarif hai.

रंजनी कुमार झा (Ranjani Kumar Jha) said...

प्रभावकारी लेख,
सुनीता जी को बधाई और शुभकामना

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

सभी साथी का प्रतिक्रया के लिए आभार

अग्नि बाण said...

बहुत सुन्दर,
एक उदाहरण.
लेखक को बधाई और सुनीता जी को सलाम.
जय हो

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