
सागर को संयम दे दो,
या पूरी कर दो आशा।
भाषा को आँखें दे दो,
या आंखों को दे दो भाषा॥
तम तोम बहुत गहरा है,
उसमें कोमलता भर दो।
या फिर प्रकाश कर में,
थोडी श्यामलता भर दो ॥
अति दीन हीन सी काया,
संबंधो की होती जाए ।
काया को कंचन कर दो,
परिरम्भ लुटाती जाए॥
डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल "राही"
1 comment:
अति सुन्दर
कोमल भाव
जय जय भड़ास
Post a Comment