दिल्ली में विकाश चल रहा है, कहीं मेट्रो बन रहे हैं तो कहीं फ्लाई ओवर, सड़के चौडी हो रही हैं; संभावित कोमनवेल्थ खेल के मद्दे नजर दिल्ली को बदलने की तैयारी चल रही है। दिल्ली के विकाश की गाथा शीला जी मेट्रो और फ्लाई ओवर के साथ दिखाती है और दिल्ली के पत्रकारों का हुजूम शीला जी के साथ सुर में सुर मिला कर रेंकता है।
जरा एक नजर इस तस्वीर पर मारिये, कुछ दिनों पूर्व ऐसे ही गड्ढे में गिर कर एक बुजुर्ग की मृत्यु हो गयी थी। पान बीडी सिगरेट के ठेले वाले के सामने ये बड़ा सा गड्ढा वास्तविक दिल्ली दर्शन कराता है। आस पास का माहौल भी प्रश्न उठाता है की क्या ये दिल्ली है? बस में था जब इस गड्ढे पर नजर पड़ी और अगले दिन दिल्ली की मुख्यमंत्री का बयान की कामनवेल्थ के लिए पुरी दिल्ली से झुग्गी हटाना है।
शीला जी हमारी दिल्ली है और हमसे दिल्ली है हम दिल्ली से हैं, वास्तविकता का आइना देखिये ये एक गड्ढे हैं मगर ऐसे हजारो गड्ढे दिल्ली के मुख्यमार्ग पर हैं, इन गड्ढों को तो बंद करवाओ, खेल के नाम पर दिल्ली के आम जन का पैसा विकाश के झूठे चोंचले में और महगाई की मार गरीबों पर ?
अनकही की चीखें जारी रहेंगी.....
4 comments:
thik hai
सही मुद्दा है, इसे आप चीखें ना कहें.
आवाम कि आवाज है ये तो.
वाजिब प्रश्न
प्रतिक्रिया के लिए आभार
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