मायावती कब तक बेलगामी करती रहेगी, क्या राष्ट्रपिता के लिए दुर्भावना और अपशब्द कहने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा नही चलना चाहिए?

मायावती ने शनिवार को बीएसपी के विधायकों और सांसदों की एक बैठक में महात्मा गांधी को नाटकबाज करार दिया था। उन्होंने दलितों के सामाजिक-आर्थिक स्तर में सुधार के बारे में गंभीर न होने पर कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के साथ-साथ महात्मा गांधी की आलोचना में पैम्फलेट बंटवाए थे।

पर्चे में मायावती ने कहा था, 'दलितों के गांव के चक्कर लगाकर, गरीब गांववालों के यहां खाना खाकर और सोकर उन्हें बराबरी का अहसास कराना (कांग्रेस जैसे) दलों की वोट हासिल करने के लिए पुरानी नीति रही है। यहां तक कि गांधी जी भी जिंदगी भर ऐसे ही नाटक करते रहे। यह गांधी परिवार के सदस्य और कांग्रेस पार्टी ही थी, जिसने इस देश के दलितों को विशेष अधिकार देने से वंचित करने वाले पूना समझौता का अनुमोदन किया था। इस समझौते के जरिए पैदा किए गए भेदभाव से समुदाय अब तक बाहर नहीं निकल सका है।'

मायावती के इस संदेश पर विपक्षी नेताओं ने कड़ी आपत्ति की है। कांग्रेस प्रवक्ता श्रीवास्तव ने कहा कि अब मायावती को समझ आने लगा है कि दलित उनकी प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं हैं। इसी की खीज में मायावती ने यह कदम उठाया है। कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि मायावती चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रही हैं। उन्होंने दलितों के लिए क्या किया? उन्होंने कितनी जमीन दलितों में बांटी? दलितों को कितने अधिकार दिए? मायावती ने दलितों के लिए कुछ भी नहीं किया...। सिर्फ दलित की बेटी होने का यह मतलब नहीं कि वह दलितों को मजबूत बना रही हैं। उधर, महात्मा गांधी के पड़पोते तुषार गांधी ने कहा कि मायावती वोट बैंक की घटिया राजनीति के कारण बापू की यादों का अपमान कर रही हैं।

राष्ट्रपिता का अपमान भारतवर्ष का अपमान है और ऐसे बेलगाम नेताओं के ख़िलाफ़ देश द्रोह का मुकदमा चलना चाहिए।

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