वैसे तो हर दिन माँ के लिये ही है और कोई पल ऐसा नहीं होता जब मुझे मेरी स्वर्गवासी अम्मी की याद न आती हो लेकिन इन दोनो प्यारी-प्यारी माँओं ने मेरे जीवन से वो कमी दूर कर दी है इनमें से एक हैं हमारे आदरणीय गुरूदेव डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी की माता जी श्रीमती आशा श्रीवास्तव और उनके साथ हैं मेरी प्यारी धर्म बहन उर्दू अदब की मशहूर शायरा मासूमा तबस्सुम की माता जी यानि कि श्री वक़ार जाफ़री जी की धर्मपत्नी। ईश्वर इन दोनो को अच्छी सेहत व दीर्घायु दे।
भड़ास के मंच पर मैं आप सब से जुड़ी मातृशक्ति को नमन करती हूं।
1 comment:
माँ के चरणों में नमन वंदन.
आप जियें हजारो साल कि आपका आशीष मिलता रहे.
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