दोहे और उक्तियाँ !!


भार झोंक के भाड़ में, रहीम उतरै पार।


पे डूबे मंझधार में, जिनके सिर भार॥


(रहीम)


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1 comment:

Udan Tashtari said...

आभार रहीम के दोहे के लिए.


एक अपील:

विवादकर्ता की कुछ मजबूरियाँ रही होंगी, उन्हें क्षमा करते हुए विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.

हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.

-समीर लाल ’समीर’

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