किसी ने कहा
वह मेरा दोस्त है
मेरे बचपन का साथी
हम साथ पढ़े और बढे हैं
क्या इस उम्र मे अब
ऐसा साथी बन सकता है
मैं बोली यह न है सच
साथी या दोस्त
कब कहाँ मिल बन जाए
कहना बहुत मुश्किल है
हाँ सच्चा दोस्त
केवल किस्मत वालों
को ही मिलता है
चाहे बचपन मे मिले
या बुढापे मे।
साभार : - कुसुम ठाकुर।
8 comments:
साथी या दोस्त
कब कहाँ मिल बन जाए
कहना बहुत मुश्किल है..sahi kaha hai...dost kismat walo ko milte hai par unhe ahsaas nahi hota ki woh etne kismat wale hai...sunder kavita..
nice
bilkul sahee kahaa aabhaar
kya baat kah di .
सुंदर रचना.
मित्रता को समेटने के प्रति सुन्दर भाव और विचार,
आभार
Sundar Abhivyakti hai , Mitrata ke liye achchhe bhaav ko Prastut karti hai
Dhanyabad
प्रतिक्रिया के लिए सभी साथी का आभार.
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