हमारी त्वचा में विटामिन डी का संश्लेषण सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होता है ।

स्कर्वी रोग विटामिन-c की हीनता से होता है ।
इस विटामिन को एस्कोर्बिक अम्ल कहते है ।
मसूडों में खून आना , पेशियों तथा जोडो में दर्द के साथ दुर्बलता इसके प्रमुख लक्षण है ।
शारीरिक भार में कमी हो जाती है और घाव भी जल्द नही भरता है ।
निम्बू , संतरा ,अनन्नास , अंगूर ,पालक हरी मिर्च में विटामिन-c के प्रमुख स्रोत है ।
विटामिन-c की गोली के सेवन से भी स्कर्वी पर काबू पाया जा सकता है


विटामिन डी की कमी से रिकेट्स नामक रोग होता है ।
हमारी त्वचा में विटामिन डी का संश्लेषण सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होता है ।
विटामिन डी के अभाव में कैल्सियम आयन की मूत्र के साथ अत्यधिक हानि होती है ।
विटामिन डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स तथा बड़ों में ओस्तियोमालेसिया नामक बिमारी होती है ।
रिकेट्स को सुखा रोग भी कहते है ।
बच्चों की टाँगे धनुष के आकार की हो जाती है । पसलियों के आकार में परिवर्तन के कारण बच्चों का वक्ष कबुतर्नुमा हो जाता है ।
काड लीवर तेल , मछली , दूध , अंडे की जर्दी प्रमुख स्रोत है ।

1 comment:

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

मार्कण्डेय भाई यकीन मानें अथवा न मानें पर भोजन संबंधी पोषण की साइंस की सारी अवधारणाएं फ़ुस्स हो कर रह जाती हैं जब आयुर्वेद के कफ़ पित्त और वात का जिक्र आता है,ये नीली,लाल,पीली गोलियां विटामिनों के पक्ष में जानने से बाजार में खप जाती हैं लेकिन आयुर्वेद के षडरस के सिद्धांत को बाजार में आने ही नहीं दिया विदेशी शिक्षा,कानून और अर्थनीति के पक्षधरों ने..... थू है इन कमीनों पर
जय जय भड़ास

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