अपने पंटर पप्पू हटेला की कविता

ओए भैण का टका तू मुझे फोड़ने आया
तेरी इतनी हिम्मत की मेरी सुपारी खाया
ओए भैण का टका........
सोनिया मैडम करती है अपुन को सलाम
दाउद की फट जाती है सुनकर अपना नाम
ओए भैण का टका........
मैंने उसकी बेटी को भेजा जो गुलाब
ओसामा के मामा को हो गया जुलाब
ओए भैण का टका........
मेरी दम पर करते सारे शाणे रॉक एंड रोल
खुली हुई सड़कों पर मूतूं मैं पैट्रोल
ओए भैण का टका........
दूध पीते बच्चे अपने लेकर राइफ़ल बम
पालने में लेटे-लेटे देते सबको दम
ओए भैण का टका........

2 comments:

मुनव्वर सुल्ताना said...

अरे भूमिका तुम कब से ये "भाई" लोगों के प्रभाव में आ गयीं? कविता मजेदार से लग रही है अपने पंटर को बोलना कि भाई लोगों की बहन ने कविता को पसंद करा है।
जय जय भड़ास

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

मजेदार,
भूमिका सिर्फ़ आपा ने ही नही हमने भी बहुत पसंद किया. मजा आ गया सच में.
जय जय भड़ास

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