आज मै आप सभी से अपनी ख़ुशी बाँटना चाहता हूँ मै आप सभी को बताना चाहूँगा की पिछली तीन तारीख को मै मुंबई जा पहुंचा और अगले दिन सीधा जा पहुंचा हमारे डॉक्टर रुपेश भाई के डेरा पर जो पनवेल में है जैसा सोचा था वैसा ही इंसान मेरे सामने था ऐसा कहीं से नहीं लगा की हम पहली बार मिल रहे हों शायद ये भड़ास पर बने रिश्ते की वजह से था या रुपेश भाई का व्यक्तित्व जो सैकडों मील दूर होते हुए भी वैचारिक रूप से हमेशा हम सभी के साथ होते हैं, मै जब रुपेश भाई की बताई हुई जगह पर पहुंचा तो यही सोच रहा था रुपेश भाई हैं कहाँ उस रोड से आने जाने वाले हर शख्श को गौर से देखता लेकिन फिर अचानक सामने से पठानी सूट में एक नौजवान दिखा उर्जा से भरा हुवा चेहरे का तेज दूर से ही बता रहा था की यही हैं भडासियों के सरदार और फिर हम बिछडे हुए भाईओं की तरह मिले वहां से चाँद क़दमों की दूरी पर रुपेश भाई का आशियाना था रस्ते में ही मुझे पता चला की मुनव्वर आप भी यहीं सामने रहती हैं जान कर ख़ुशी हुई की उनसे भी मुलाक़ात हो जायेगी हाँ शमा आप और मनीषा दीदी वहां से काफी दूर रहती हैं जानकर अफ़सोस भी हुआ की इस बार मुलाक़ात नहीं हो पायेगी.फिर हम पहुंचे भड़ास की जन्मस्थली पर मतलब रुपेश भाई के आशियाने पर जहाँ आफताब भाई से मुलाक़ात हुई जो शायद नींद से जगाये गए थे फिर शुरू हुईं बातें इसी बीच रुपेश भाई की आदरणीय माता जी भी आ गयीं उनसे आशीर्वाद मिला फिर हम लोगों ने एक विस्तृत चर्चा की और मेरा दावा है की भडास का ये धमाका बड़े बड़े दलालों की दुकान बंद कर देगा खैर बैटन में वक़्त का पता नहीं चला और टाइम हुवा दोपहर के खाने का और मुझे पता चला की खाना मुनव्वर आपा के घर खाना है अब मेरी उत्सुकता फिर बढ़ गयी की मुनव्वर आपा से मिलने जा रहा हूँ हम जैसे जैसे मुनव्वर आपा के घर के नजदीक पहुँच रहे थे मै सोच रहा था क्या आपा मुझे पहचानेगी लेकिन जैसे ही आपा ने मुझे देखा बोली 'ये गुफरान भाई हैं' उनकी ख़ुशी देख कर मुझे उस वक़्त मेरी आपा की याद आ गयी मै जब भी उनके घर मिले जाता हूँ वो दूर से आवाज़ लगाना शुरू कर देती हैं,अन्दर जैसे ही पहुंचा सामने मोहम्मद उमर रफाई(मुनव्वर आपा के पिता जी) मिले उनसे मिलने के बाद हमारे बीच नन्हे भडासी के नाम से मशहूर बादशाह बासित और तेज तर्रार भदासिन फरहीन सबसे मिल कर लगा की वास्तव में रुपेश भाई की ये ताक़त हैं. फिर बिरयानी का प्रोग्राम चला फिर चाय और उसी बीच हम फिर आपसी चर्चा में मशगूल हो गए वहां से फिर हम सभी लोग रुपेश भाई के घर आये जहाँ कुछ फोटो खींचने का प्रोग्राम हुवा वास्तव में हम सभी चाहते थे की ये यादगार लम्हे कैमरे में कैद हो जाएँ खैर उसके बाद मैंने इस वादे के साथ विदा लिया की अगली बार ज्यादा वक़्त निकाल कर मुंबई में रुकुंगा.जीवन में ये वक़्त हमेशा याद रहेगा और मुझे आशा है की भड़ास परिवार हमेशा ऐसे ही खुशियों के साथ आगे बढता रहेगा.
आपका हमवतन भाई - गुफरान सिद्दीकी (अवध पीपुल्स फोरम फैजाबाद)
9 comments:
GUFRAN BHAI APKO BADHAI HO...
हमें भी आपसे मिलकर बेहद खुशी हुई।
इन्शा अल्लाह! जल्द ही दुबारा मिलना होगा।
जय जय भड़ास!
shuqriya manoj bhai aur aftab sahab jald hi zaroor mulaqat hogi
gufraan sahab namastey,
bamabai k rashtey mein barabanki bhi padta hai kripya hamare hisse ki biryani bhijva dein.
dhanyvaad
aapka,
Suman
गुफ़रान भाई,मुझे बाद में पता चला कि आप आए थे अफ़सोस हुआ कि आपसे मिल न सकी लेकिन विश्वास है कि दोबारा आने पर जरूर मिल पाउंगी। मेरे पास तो फोन भी नहीं है कि मुझे तुरंत बताया जा सकता। मैने भाई के हाथों से आपको गले लगा लिया है वो हाथ हम सबके ही हैं वो हजार हाथ वाले होकर भी दो हाथ वाले दिखते हैं।
जय जय भड़ास
वाह अद्भुत,
भड़ास मिलन का संयोग. हम तो पढ़ कर ही आनंदित हो रहे हैं.
भड़ास परिवार का मिलन जारी रहे और सामाजिक चेतना और उत्थान के लिए भड़ास कि मुहीम भी.
जय जय भड़ास
गुफ़रान भाई सचमुच आप सबसे मुलाकात बहुत अच्छी रही लेकिन बहुत कम समय के लिये थी। सुमन भाईसाहब जब आप मुंबई आएंगे तो आपके लिये बिरयानी प्रतीक्षा करती मिलेगी। रजनीश भाई जब मुंबई में थे तब की यादें अब भी उतनी ही ताजा हैं; मैं, डा.साहब,मनीषा दीदी,दिव्या,भाई हरभूषण सिंह सभी ने वाशी स्टेशन पर भड़ास की ऊर्जा का आनंद लिया था। भाई गुरूदत्त तिवारी जब आए थे तब मैं पुणे में थी लेकिन उनसे फोन पर अवश्य बातें हुई थीं। कृष्णा शर्मा दीदी तो मनीषा दीदी के जन्मदिन पर सतना (मध्यप्रदेश) से आयीं थीं।
सोचिये ये सब एक शख्स के निमित्त बनने से हो रहा है और वो हैं हमारे अनोखी शख्सियत के मालिक डा.रूपेश श्रीवास्तव जी। भड़ासियों की मुलाकातें ऐसे ही जीवन में ऊर्जा का संचार करती रहें और सुख-दुःख बांटने का रास्ता बनाएं ईश्वर से प्रार्थना है।
जय जय भड़ास
aap sabhi ke pyar ashirwad ka shuqriya aur suman bhai jab bhi aadesh karen banda biryani ke saath hazir ho jayega
गुफ़रान भाई मैं जल्द ही आपकी टीम से मिलना चाहता हूं साथ ही बाराबंकी जाकर सुमन जी के दर्शन करना चाहता हूं।
जय जय भड़ास
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