विष्णु संतराम वाघमारे, ग्राम - आडस, तालुका- केज, जिला- बीड के क्षेत्र मराठवाड़ा से निकला एक अति सामान्य गरीब परिवार का बेटा गांव के स्कूल से किसी तरह गरीबी में पढ़ कर शहर आया और एक छोटी सी नौकरी कर ली। लेकिन फिर नौकरी छोड़ कर आगे बढ़ने की तमन्ना के कारण कालेज में दाखिला ले लिया। ये उस समय की बात है जब कि गांव के नाई(हज्जाम) हम अछूत समझे जाने वाले शूद्रों के बाल नहीं काटा करते थे। मैंने अपने दोस्त विट्ठल से शर्ट मांग कर पहना और गांधी टोपी लगा कर कालेज पहुंचा तो डेढ हजार छात्रों मे मैं ही एक अलग दिख रहा था। सारे बच्चे मुझे चिढ़ा रहे थे "गांधी जी आ गए.... गांधी जी आ गए.... और मेरी टोपी सिर से थप्पड़ मार कर नीचे गिरा रहे थे। मैं खीझ कर रो दिया और गाली देकर टोपी उतार कर जमीन पर फेंक दी। प्रधानाध्यापक जी ने भीड़ एकत्र देख कर मुझे बुलाया और घटना पूछी कि मामला क्या है? धीरे-धीरे संघर्ष जारी रहा सामान्य जीवन जीने का और मैं परिस्थितिवश रिपब्लिकन पार्टी आफ़ इंडिया का सदस्य बना। अन्याय सहन नहीं होता था तो इस तेजतर्रार व्यक्तित्व को देख कर मुझे तालुका सेक्रेटरी बना दिया गया। झोपड़पट्टी में दादागिरी करने वाले दुष्टों से मैं निर्भय होकर टकरा जाता था। जहां रहता था वहां के कुंए का पानी पास की फैक्टरियों के दुष्प्रभाव से दूषित हो गया इस सिलसिले में दलित पैन्थर के श्री अविनाश मातेकर जी से मुलाकात हुई और हमारी सफ़लता की खबर समाचार पत्र में प्रकाशित कराया गया। १९८० में पोस्ट आफ़िस के सम्पर्क में आया और १९८४ में विधिवत पोस्ट की परीक्षा उत्तीर्ण करके पोस्टमैन बन गया। आजकल पनवेल में नियुक्ति जगन्नाथ पाटिल जो कि पनवेल(तुर्भे गांव) में तत्कालीन पोस्टमास्टर थे उन्होंने मुझे मार्ग दिखा कर यहां तक पहुंचाया जिनका मैं जीवन भर आभारी रहूंगा।
दलितों के लिये कार्य जारी रहा और विभाग में आकर भी एस.सी.-एस.टी. एसोसिएशन के लिये कार्य करता रहा और विभिन्न पदों पर सक्रिय रहा। वर्तमान में केन्द्रीय मुख्यालय का सदस्य हूं इससे पहले मैं आल इंडिया एस.सी.-एस.टी. एसोसिएशन के डिवीजनल सेक्रेटरी के पद पर था।
आडस गांव का एक आडसकर विष्णु संतराम वाघमारे आज अपनी बचपन से लेकर आजतक की तमाम यादों में खोकर भावुक हो कर इतना सब आपको लिख रहा हूं। अपनी खुशी आप सबके साथ बांट रहा हूं। धन्यवाद
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