क्या हमारे भारतीयता त्यागने का समय आ गया ?

राहुल राज को गोली मार दी गई, महारष्ट्र पोलिस और स्थानीय गृह मंत्री की माने तो राहुल आतंकवादी था और आतंकी गतिविधी की बलिवेदी पर चढ़ गयाये उस प्रान्त के गृहमंत्री का बयान है जहाँ राज ठाकरे नामक नपुंशक मानवता को तार-तार, जार जार कर रहा है, भारतीय सभ्यता और संस्कृती के विपरीत आतंक का सिलसिला जो महाराष्ट्र की संस्कृती में शिवा जी ने शुरू किया को अभी भी अपने आतंकी गतिविधियों से जारी रखे हुए है , राज ठाकरे की आतंकी गतिविधि आर आर पाटिल के बयान लायक नही मगर राजनीति के खोमचे में सवार राहुल राज को आतंकी बनाने में क्षणिक देरी नही, पूरा का पूरा महाराष्ट्र यानी की क्षद्म चरित्र, अपनी नाकाबिलियत और निकम्मेपन का ठीकडा किसी और के सर पे फोर दो.
देश की राजनीति का काला पन्ना राज ठाकरे ने जो जहर भारतीय राजनीति में बोई उसे कब तक सहें, हम कब तक बर्दाश्त करें, बिहारी के सश्नुता का इम्तिहान और वो भी इस स्तर पर की अब और नही, हाँ राज ठाकरे अब और नहीजिस बिहारी को तुमने ललकारा है वो तुम्हारे शिवाजी की तरह काला इतिहास नही रखता हैभारतीयसंस्कृति और सभ्यता का एक मात्र संस्करण बिहार की संस्कृति है.
राहुल ने जो शहादत दी वो भारतीय इतिहास के मंगल पाण्डेय की याद करा गया. कोई ना साथ है ठीक है हम अकेले लड़ लेंगे भले ही जान चली जाए, मगर राहुल की ये शहादत बिहारियों के लिए एक आवाज़ की आगाज़ है
एक गरीब ब्राह्मण सिर्फ़ इसलिए एक राजा के वंश को शर्वनाश करने का शपथ लेता है क्यौंकी उस दम्भी राजा ने सरे आम उसकी बेइज्जती की। "चाणक्य" जो आज सारे दुनिया की राजनीति का एक मात्र नाम है, अपनी शिखा तब तक नही बंधी जब तक नन्द का शर्वनाश नही कर दिया, और एक शूद्र को देश की बागडोर सोंप दी,
शान्तिप्रिय अशोक ने जब क्रूडता धारण की तो इतिहास गवाह है भारत की चौहद्दी अशोक से ज्यादा किसी रजा ने नही बधाई, मगर एक छोटे बच्चे के आंसू ने महँ सम्राट को जब शान्ति का मसीहा बनाया तो महान अशोक भारत की सीमाओं में बंध कर नही रहा
आज एक बलिदान ने बिहार के शीर्षस्थ नेताओं को इकठ्ठा कर दिया तो क्या हम इन नेताओं से भी गए गुजरे हैं, अपने पूर्वजों महान सम्राट अशोक, चाणक्य, शेर शाह सूरी, बाबु कुंअर सिंह ने हमें निकम्मा और नाकारा बनना नही सिखायास्वभीमन्न और सम्मान के लिए मरने वाला बिहारी, देश के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने वाला बिहारी आज जिस जिस के लिए त्याग और बलिदान दिया वो हमारे अश्मिता के दुश्मन हैं, उनके लिए हम क्षुद्र हैं
बोद्धिक सम्पदा को लेकर आए तमाम बिहारियों से आवाहन, लाला की चाकरी के अलावे भी अपनी जिम्मेदारी समझें, अपनी पूर्वजों के प्रति, अपनी मातृभूमि के प्रति, सम्मान और निष्ठां के प्रति
यदि हमें मजबूर किया जा रहा है महान अशोक के रास्ते को चुनने का तो आवाहन करो और इस धरती से महाराष्ट्र और मराठी का नाम मिटा देने का संकल्प करोनही कर सकते तो अपनी मातृभूमि से माफी मांगो और गुलामी करों उनकी जो तुम्हारी माँ बहन की अश्मिता को अपनी जूती समझते हैं.
चाणक्य के नन्द वंश को समाप्त करने की कसम की तरह मराठियों की समाप्ती का संकल्प करो, तमाम लोगों को आवाहन करो और चलो मिटा देन उनको जिन्हें पता नही की बिहार क्या है, बिहारी क्या है.





2 comments:

Himwant said...

यह हमारा दुर्भाग्य है महान भारत के सिंहासन पर फिर ऐसे लोग जा बैठे है जो फिरंगीयो की तरह सोचते है। उनके और उनके गुलाम मिडिया के कारण राज ठाकरे को सुनियोजित रुप से प्रायोजित किया गया और फिर बेवजह महत्व भी दिया गया। इतना ही नही उसे खुले आम भारत की एकात्मकता मे क्षेत्रियता का जहर घोलने की खुली छुट देना भी फिरंगीयो के मानस-पुत्रो की सोची समझी रणनिती रही है। ऐसे मे अगर हम उत्तर भारतीय भी भारतीयता त्याग करने की बात कैसे कर सकते है। हमारे दुश्मन यही तो चाहते है। राज का जवाब बिहारवाद नही, भारतवाद हीं है। भारत के बिना क्या महाराष्ट्र और क्या बिहार - सब तुच्छ है ।

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

ना,मत त्यागो राष्ट्र को,करो हिन्दु की बात.
अपना घर है देश यह,पुरखों की सौगात.
पुरखों की सौगात,विश्व की यह आत्मा है.
आध्यात्मिक संस्कार,छोङने से खात्मा है.
कह साधक कविराय,फ़र्ज से दूर ना भागो.
करो हिन्दु की बात राष्ट्र को कभी ना त्यागो.

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