दो घंटे का सफर पाँच घंटे में,संग ही लोकप्रिय संगीत का आनंद.

घर आए थे तो विचार की दादा दादी से भी मिल लें, बुढे हैं पता नहीं फ़िर मिलना हो की नही सो मधुबनी से गाँव चला, लोगों ने बताया की सड़क ख़राब है अपनी गाड़ी के बजाय आप कैब ले लें । मधुबनी से मेरा गाँव ५० किलोमीटर पर अवस्थित है और इस यात्रा का छोटा सा आनंद आप भी लीजिये की कैसे मैने ५० किलो मीटर की दूरी ५ घंटे में तय की संग ही संगीत का आनंद भी। सच में गाँव का सफर एक अद्भुत और रोचक अनुभव होता है सो शायद आपको भी इसे देख कर गाँव की याद आ जाए।

धन्यवाद ।

3 comments:

Kaptan Mali said...

काफी बढियां सराहनीय प्रयत्न है श्री रजनीशजी का. हमे आशा है की भविष्य में भी वे इसे जारी रखेंगे और तथाकथित भारतीय लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की आतंरिक खबरों को उजागर करते रहेंगे. धन्यवाद्

गरिमा said...

जी बिल्कुल गाँव की याद आ गयी।

योगेन्द्र मौदगिल said...

पूरे देश में कमोबेश यही स्थिती है
तभी तो हम गर्व से कहते हैं कि
केरल से काश्मीर
साबरमती से ब्रह्मपुत्र के तीर तक
भारत एक है

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