लो क सं घ र्ष !: निंदक नियरे रखिये आँगन कुटी छवाये, बिन साबुन बिन तेल के निर्मल करे सुहाय

उत्तर प्रदेश की सरकार ने प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना शुरू कर दिया है जो चिंता का विषय हैउत्तर प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने ऊपर के अघोषित आदेशो के तहत उर्दू के सुप्रसद्दिध दैनिक अखबार जो लखनऊ व फैजाबाद से प्रकाशित होता है उसके विज्ञापन रोक दिए है और सरकार की कोशिश ये है की यह अखबार बंद हो जाए । इसका मुख्य कारण यह है कि सरकार के पक्ष के मौलाना साहब की कथनी और करनी में अन्तर के संबंध में उर्दू दैनिक ने संसदीय चुनाव से पहले से ही प्रकाशित करना शुरू कर दिया थामौलाना साहब ने अपने सरकारी तालुकात का इस्तेमाल करते हुए ऊपर से आदेश करा दिए कि इस अखबार के विज्ञापन रोक दिए जाएँ और हर सम्भव तरीके से सरकार उर्दू दैनिक अखबार को बंद कराने की कोशिश कर रही हैइस तरह की परंपरा जन विरोधी होती है और हिटलरशाही की परंपरा बढती है अगर एक व्यक्ति की नाराजगी से मीडिया चलने लगेगा तो उसके परिणाम अच्छे नही आते हैजब-जब प्रिंट मीडिया के संपादको ने सरकार की जी हाँ हजूरी की है तो उस सरकार को जनता ने वापस कर दिया हैइस सम्बन्ध में रहीम का यह दोहा :-
"निंदक नियरे रखिये आँगन कुटी छवाय, बिन साबुन बिन तेल के निर्मल करे सुहाय" को लागू करना चाहिए तभी लोकतांत्रिक व्यवस्था बची और बनी रह सकती हैअच्छा होता की उत्तर प्रदेश की सरकार उक्त मौलाना साहब के क्रियाकलापों की जांच करा कर दण्डित करती


सुमन
loksangharsha.blogspot.com

2 comments:

दीनबन्धु said...

सुमन भाईसाहब, जरा ऐसे लोगों के बारे में खुल कर बताइये तो जम कर भड़ास पर इन्हें पेला जाए। ऐसे चिंदीचोर चिरकुट भले ही राजनैतिक हलकों में घुसपैठ रखते हों लेकिन हमारा क्या उखाड़ लेंगे? धन्य हैं डा.रूपेश और भाई रजनीश झा जिन्होंने भड़ास पर गूगल का एडसेंस तक नहीं लगाया। आप दुबारा इस विषय पर खुल कर लिखिये ताकि......
जय जय भड़ास

डा.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

सुमन भाई! दीनबंधु भाई सही कह रहे हैं आप जरा नाम गांव तो बताइये कि ये कौन दुष्ट है ताकि हम भड़ासी इसे इसकी औकात याद दिला सकें।
जय जय भड़ास

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