Loksangharsha: यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम....

सत्ता की लाठी से गुंडे ,जबरन भैंसी हथियाए रहे
न्याय के खातिर घिसई काका , कोर्ट मा घिघियाये रहे
यहि देश कै भैया का होईआओ हम....
धूर्त सियारऊ गीता बांचै ,बैठ बिल्लैया कथा सुन रही
भेङहे करें संत सम्मलेन,गदहन की घोड़ दौड़ होए रही
यहि देश कै भैया का होईआओ हम....
नंग धड़ंग नन्हे मुन्ने, लोटी धूल गुबारन मा
टामी मेम की गोद मा सोवैं , घूमे .सी कारन मा
यहि देश कै भैया का होईआओ हम....
ठग - बटमार ,छली -कपटी ,अब पहिरैं साधुन कै चोला
मुंह से राम -राम उच्चारैं ,बगल मा दाबे हथगोला
यहि देश कै भैया का होईआओ हम....

-मोहम्मद जमील शास्त्री

2 comments:

  1. शास्त्री जी को दंडवत..... पुराने दिन याद दिला दिये महाराज
    जय जय भड़ास

    ReplyDelete
  2. शास्त्री जी बहुत खूब,
    शानदार लिखा है,
    जारी रहिये

    जय जय भड़ास

    ReplyDelete