न्याय के खातिर घिसई काका , कोर्ट मा घिघियाये रहे॥
यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम....
धूर्त सियारऊ गीता बांचै ,बैठ बिल्लैया कथा सुन रही ।भेङहे करें संत सम्मलेन,गदहन की घोड़ दौड़ होए रही॥
यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम....
नंग धड़ंग नन्हे मुन्ने, लोटी धूल गुबारन मा।टामी मेम की गोद मा सोवैं , घूमे ए.सी कारन मा ॥
यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम....
ठग - बटमार ,छली -कपटी ,अब पहिरैं साधुन कै चोला।मुंह से राम -राम उच्चारैं ,बगल मा दाबे हथगोला ॥
यहि देश कै भैया का होई ॥ आओ हम....
-मोहम्मद जमील शास्त्री
शास्त्री जी को दंडवत..... पुराने दिन याद दिला दिये महाराज
ReplyDeleteजय जय भड़ास
शास्त्री जी बहुत खूब,
ReplyDeleteशानदार लिखा है,
जारी रहिये
जय जय भड़ास