यह खुशी के पल रजनीश जी के साथ


एक खुशी का पल जब दो मित्र हृदेश अग्रवाल और भाई रजनीशजी

6 comments:

  1. हृदेश भाई और भाई रजनीश जी हम सब भड़ासी दिल से एकदूसरे से इतने ही करीब हैं|भड़ास एक वेबपेज नहीं जिंदगी जीने का अंदाज बनता जा रहा है, डा.रूपेश के शब्दों में भड़ास का अपना एक निजी दर्शन है। उन्होंने एक संचालन समिति बनाने के आपके सुझाव का ज़िक्र करा था,अच्छा सुझाव है।
    जय जय भड़ास

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  2. मेरी भडास के सभी सदस्यों से एक गुजारिश है ..आपने जिस महिला की तस्वीर अपने ब्लॉग में (मुनव्वर सुल्ताना) लगा रखी है कृपया उस से पूछें की मेरी नज़्म को अपने नाम से अपने ब्लॉग में डालने का हक उसे किसने दिया......क्या इस घृणित कार्य में आप उसके साथ हैं...???
    अगर नहीं तो मुझे न्याय दिलाएं ....!!

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  3. रजनीश भाई और हृदेश भाई इस प्रेम भरे आलिंगन में हम सब को भी जुड़ा समझिये। हृदेश भाई तो देखने में बिल्कुल मेरे छोटे भाई जैसे लग रहे हैं
    जय जय भड़ास

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  4. भाई वाशी रेल्वे स्टेशन याद आ गया...
    इसी तरह एक दूसरे को सीने से लगाए सुख-दुःख बांटते चलें यही जिंदगी है मेरी नजरों में।
    जय जय भड़ास

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  5. rajnish jee mera bhi ek dost bachpan se bichhada hua hai ...khoj raha hoon ..har nahi manuga ...

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  6. भाई मनु,
    मैं हिन्दी भवन में गया था हिंद युग्म के वार्सिकोत्सव में.
    बहर्हा मेरा नंबर ९८९९७३०३०४ है.
    धन्यवाद

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