ताज, आतंकवाद और सुरक्षा ???

खुफिया विभाग और सरकार की माने तो ताज महल आतंकियों के निशाने पर है, दुनिया के इस नायब इमारत और हिन्दुस्तान की शान ताज के प्रति सुरक्षा और व्यवस्था में सरकार, प्रशाशन और पुलिस चौकस है ?
२६ जनवरी का समय था जब हम आगरा में थे सो ताज भी हो आए। प्रेस छायाकार के साथ था सो उन्होंने अपने कार्य को भी अंजाम दिया और मैंने ताज में तफरीह भी कर ली। मगर वहां के हालत और स्थिति को देखते हुए मैंने अपने पत्रकार मित्र से कुछ फोटो लेने का आग्रह किया जिसने व्यवस्था, कानून और कायदा की पोल पट्टी खोलता है।


जहाँ कैमरे को ले जाने की इजाजत नही है वहां फ़िल्म की सूटिंग करती युवती !!!



विडियो कैमरे के साथ अंदर प्रवेश करती युवती, रोकने वाला कोई नही !!!

यानी की जिस इमारत में जाने से पहले आपको अपने सामानों को गेट पर जमा करके अंदर जाना होगा वहां आप बे रोक टोक कुछ भी ले जाते हैं और रोकने वाला कोई नही। अंदर के हाल भी कुछ ऐसे ही थे जहाँ स्थानीय शरारती लोगों का हुजूम विदेशी पर्यटक के साथ बदमाशियां कर रहे थे और उनको देखने के लिए पुलिस का कोई इन्तजाम नही।
नि:संदेह ताज पर खतरा है मगर क्या सरकार हमारी इस अमूल्य धरोहर पर पुरी चाक चौबंद है या फ़िर घटना हो जाने के बाद की खानापूर्ति ही????
अनकही प्रश्न करता है ?

5 comments:

  1. saara sach kah rahi hai aapki tasveerain.....bahut bahut badhaaee....achchi or sachchi rasveeron ke liye

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  2. aapki isi khoobi ke to hum kayal hain rajneesh ji.
    badi hi paini nazar rakhte hain aur sahi rakhte hain.
    aap believe karenge ki delhi metro ka bhi yahi hal hai,hum wahan jo chahe le jayein ya kuch bhi kar lein kisi ko kuch pata nhi chalega sirf khanapoori ki jati hai checking ki .
    yeh hal sirf 1-2jagahon ka hi nhi hai balki india ki har mahatvpoorna imarat ka hai.

    aapne sahi swaal uthaya hai magar jawab kisi ke pass nhi hai kyunki sab apne swarthsiddhi mein lage hain .
    desh ya janta dono ka kuch bhi ho kisi ko fark nhi padta bas apni kursi bachni chahiye.
    yeh hamare desh ka hal hai to aise mein is desh ya janta ka kya ho sab bhagwan ke hawale hai.

    aapke is prashna ka koi bhi uttar kisi bhi sarkar ya neta ke pass nhi hoga har koi ek doosre par dal dega.
    sarkar bhi kah degi ki yeh to puratatva vibhag ka kaam hai ----yahan phir prashna uthega ki phir sarkar ka kya kaam hai?

    kuch prashna anuttarit hi rahte hain jab andher nagri aur chaupat raja ho tab.

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  3. बहुत खूब वैसे भाई सुरक्षा का ये ही आलम सभी जगह राजधानी में भी है, जरा रेलवे स्टेशन पर जाएँ या मेट्रो में, सरकारी खानापूर्ति और विभागीय लालफीताशाही.
    प्रभावी मुद्दा

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  4. भीडू जरा मुंबई की लोकल ट्रेन में नजर मारने का, कोई भी सुरक्षा नहीं. दपोर्शंखी बातें करने वाले इन्तेजार करते हैं की घटना घटे और फिर उसका श्रेय लें, चाहे नेता या पुलिस प्रशासन या सेना.
    तस्वीर ही सब कुछ बयां करने को काफी है.

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