आत्मन प्रशांत जी आप अभी भी तमाम सवालों के जवाब से बच कर यदि ये चाहते हैं कि मात्र आप मेरे ऊपर आरोप लगा कर कुछ अपने जैसी सोच वाले लोगों को अपने ब्लाग successbt.blogspot.com की तरफ़ आकर्षित कर लेंगे तो सीधी बात करने में कैसा घबराना? मुस्लिमों का विरोध मुझे दोगला कहना या महिलाओं को छिनाल कह कर इस गाली की अपनी निजी परिभाषा देना वगैरह.... इतना दिखावा करने की जरूरत नहीं है लेकिन कुछ लोग आपको जान सकें कि आप बहुत बड़े हिंदूवादी हैं इसलिये आपने ये सब करा मुझे कोई परेशानी नहीं है। लेकिन अगर सचमुच आप वैचारिक षंढ नहीं है तो तमाम लोगों के सवालों के क्रमबद्ध उत्तर क्यों नहीं देते जैसे कि भाई हरभूषण से लेकर अजय मोहन जी तक ने आपसे तमाम सवाल करें हैं चलिये अगर मैं मान लूं कि सारे मुस्लिम आतंकवादी होते हैं और कल इस्लाम कबूल कर लूं तो क्या ये तमगा आप कल ही मेरे गले में लटका देंगे या इंतजार करेंगे कि मैं कहीं बम फ़ेंकूं तब आतंकी कहेंगे? इस बात का उत्तर जरूर दीजियेगा। आपने छिनाल शब्द का अर्थ किस शब्दकोश से निकाला है या आप खुद शब्दों के नये अर्थ अपने हिसाब से लिख रहे हैं आशा है जल्दी ही आप अपना शब्दकोश तैयार कर लेंगे? प्रशांत बाबू आपका परिचय भड़ास से नया ही है वरना आप भाषा के संबंध में खुद समझ जाते कि हम सब उत्तर देना बखूबी जानते हैं आपने किस जगह पढ़ा था कि कर्ण ने भगवान को बाध्य करा था चक्र उठाने के लिये? इससे आपकी जानकारियों का तो पता चल ही जाता है कि आप भारतीय सभ्यता के कितने बड़े जानकार हैं अब मुझे भी संदेह हो रहा है कि आप या तो कहीं से इस दुराग्रह के लिये आर्थिक तौर पर समर्थित हैं या फिर मात्र प्रसिद्धि हासिल करने का एक सस्ता सा टोटका अपना रहे हैं। मैं आपकी पिछली पोस्ट में से वह शब्द हटा रहा हूं। अब हर पोस्ट में से गालियां ठीक वैसे ही निकाल दिया करूंगा जैसे कि किसी पित्त के रोगी को मसालेदार खाने से परहेज करना चाहिये तो ये आपके लिये पथ्य होगा, ये मेरा उत्तरदायित्त्व है। आप अपने निजी ब्लाग जिसे अब तक कोई नहीं जानता था जिसका कि आपने अब प्रचार करना शुरू करा है successbt.blogspot.com तो उस पर आप जितना चाहें गालियां लिखिये किसी को भला क्या आपत्ति होगी? ये तो एक चौपाल की तरह है जहां यदि आप अपशब्दों का प्रयोग करते हैं तो तत्काल आपको वहां से पिछाड़ी पर लतिया कर चलता कर दिया जाता है आप तो मेरी ही तरह ग्रामीण परिवेश से जुड़े हैं तो भली प्रकार जानते होंगे। आप मेरा "दोगलापन" भी अपने शब्दकोश के अनुसार स्पष्ट कर दें क्योंकि मुझे तो पता है कि दोगला शब्द "वर्ण संकर" के लिये प्रयुक्त होता है शायद आप के शब्दकोश में आपने नया अर्थ लिखा होगा कि दोगला यानि कि डा.रूपेश श्रीवास्तव,सहिष्णु,सहनशील,तुष्टीकारक इत्यादि...। बस इतना तो बताइये कि खुद को इतना बड़ा मानने के भ्रम में हो कि फांसी पर चढ़ा दो जैसी बातें लिखते हो तो क्या लगता है कोई फासी पर चढ़ा देगा, अरे मेरे भाई! उसके लिये बहुत बड़ा अपराध करना पड़ता है जो आपमें साहस नहीं है। अपना पता देने तक में तो सौ बहाने बना चुके हो,गाली लिख कर भी मुंहजोरी कर रहे हो लेकिन सजा के लिये तैयार नहीं हो बस इस लिये कि साहस नहीं है और खुद को कर्ण और भगत सिंह न जाने क्या क्या खुद ही गाल बजाए पड़े हो। देश में मौजूद सारी समस्याओं और देश ही क्या आपके खुद के क्षेत्र की सारी समस्याओं से बड़ी बात अगर आपको यह ही लगती है तो यही सही उन्हें आप इस ब्लाग पर लिखिये और गालियां व निजी दुराग्रह अपने ब्लाग पर लिखें किसी को कोई समस्या नहीं है। ध्यान रखना कि भड़ासी मुखौटे नोचने की मुहिम में हैं अगर आपने जल्द ही ये देशभक्ति के दिखावे का मुखौटा न उतारा तो फिर इस मुहिम में आपका भी मुखौटा उतारा जाएगा जैसे कि यशवंत सिंह और संजय सेन का उतारा जा रहा है। आप शायद सचमुच किसी भ्रम में हैं कि हम लोग लीचड़ होने की हद तक शरीफ़ हैं .... ये आपकी भूल हैं समय रहते सुधार लें वरना जिस सायबर कैफ़े से काम कर रहे हैं उसे ट्रेस करके आपका पता लगाने में कितनी देर लगती है फिर आराम से अदालत में अपने इस चिरकुट अपराध के लिये फांसी की सजा मांग लेना जज से; ठीक है न क्योंकि हम तो फांसी देने या सजा देने के लिये हैं ही नहीं। जिस मंच पर खड़े हो उसी पर आयोजकों को गाली दे रहे हो ये सिर्फ़ यहीं हो सकता है वरना पहले भी आपको बताया है न किसी ने कि बस एक क्लिक पर आप सायबर स्पेस में गायब हो जाते हैं फिर बांसगांव में किसी गली में खड़े रह कर डा.रूपेश को गालियां देते भी रहो तो कोई नहीं सुनेगा लेकिन अगर भड़ास पर दोगे तो कुछ लोग आपको जानने लगेंगे इसलिये एक सलाह है कि बेकार का ड्रामा बंद करो और मुझे ही गालियां लिखना शुरू करो काफ़ी प्रसिद्धि मिल जाएगी फिर जब लोग जानने लगें तो अपने ब्लाग पर स्वतंत्र लिखने लगना और भड़ास से अपनी सदस्यता समाप्त कर लेना।
जय जय भड़ास
डा.साहब इन्हें आपके बारे में कुछ पता ही नहीं है इसलिये ये आपको दोगला या चौगला कहेंगे। खुद ने जीवन में आज तक कोई ऐसा कार्य न करा होगा जो कि गर्व से इस मंच पर उल्लेख कर सकें तो एक ये ही बड़ा काम कर लिया कि आप जैसे इंसान को गाली दे ली बस जानने लगे कुछ लोग और बना लिया अपना ब्लाग.... इस आदमी की हड्डियों में यशवंत की तरह से मज्जा नहीं है ये भी बातों का उत्तर कुटिलता से देता है और जब कुछ नहीं बन पड़ता तो गालियां देने लगता है। अब मुझे गालियां देगा लेकिन दे तो जरा अगर उस सायबर कैफ़े का आई.पी.एड्रेस ट्रेस करा कर इसको सबके सामने लाकर दंडित न कराया तो भड़ासी नहीं.....
ReplyDeleteभड़ासियों को बेवकूफ़ समझ रहा है और खुद को सबसे सयाना कि बिल में छुप कर किसी को भी गाली दे लेगा।
जय जय भड़ास
डा.साहब आप क्यों परेशान हो रहे हैं ये आदमी एक पगलाए खुजली वाले कुक्कुर से ज्यादा कुछ नहीं है इसे भड़ास पर पट्टा डाल कर बांधे रहिए वरना बेकार ही इधर-उधर भौंकता फिरेगा। इसने जो ब्लाग बनाया है उसे कौन जानता है तो बस इसी लिये भौंक भौंक कर लोगों को बता रहा है जैसे कि शिवसेना वाले बताते हैं कि वो हिंदूवादी हैं और न जाने कितनी शिवसेना की शाखाओं के प्रमुख मुस्लिम बना रखे हैं जैसे कि मेरे पास की शाखा क्रमांक १७५..... बेवकूफ़ लोग जानते नहीं हैं कि इन लोगों का हिंदुओं या मुस्लिमों से कोई लेना देना नहीं है इन्हें तो बस अपना अस्तित्त्व बनाए रखना है कैसे भी करके जैसे ये प्रलापी कर रहा है अपना अस्तित्त्व जताने के लिये
ReplyDeleteजय जय भड़ास
OHO TO YE SAHAB MARKETING KA NAYA FARMULA LAYE HAIN. SACHCHE VANIK MALOOM HOTE HAIN. LEKIN SAYAD YE BHUL RAHE HAIN KI BAZAR TIKAU NAHI HOTA. BIKAU HOTA HAI AUR HAR BIKANE WALI CHIZ INKI BHASA ME.....
ReplyDeleteCHHI CHHI CHHI....
निहायत ही दुराग्रही आदमी है मनोज भाई ये बंदा... सिर्फ़ छि छि छि से काम नहीं चलेगा इसके लिये थू थू अभियान चलाना होगा लेकिन अभी वरिष्ठ भड़ासी जनों ने इसे ढील दे रखी है जिसे ये उनकी कमजोरी समझ रहा है वरना हम भड़ासियों को ऐसे लोगों को थूक में बहा देने में देर नहीं लगती ये पोकल लोग हैं खोखले किस्म के.... मक्कार बनिया,धूर्त बनिया,डंडी मारने वाला बनिया जो देशभक्ति के पैकेट में अपनी प्रसिद्धि की मिलावट कर के लाया है
ReplyDeleteजय जय भड़ास
पोकल हड्डी है तभी तो किसी की बात का जवाब नहीं देता बस भौं भौं करके शोर मचाता है और हमारे पिताजी को दोगला कह रहा है पता नहीं खुद क्या है? वणिक होना बुरा नहीं पर शुभलाभ के कांसेप्ट पर ये तो बनिया कम ठग ज्यादा है
ReplyDeleteजय जय भड़ास
पिताजी को गाली दे कर बड़ा आदमी बनना चाहता है मूर्ख आदमी! उनके जैसे काम करके दिखा तब पता चलेगा कि जान हथेली पर रख कर कैसे भड़ास को जिंदगी में जिया जाता है, कैसे सबके हित के लिये अपना जीवन होम करा जाता है कैसे अपनी रोटी दूसरों को खिला कर खुद पानी से पेट भरा जाता है कैसे दूसरों के जख्म पर मरहम लगा कर उन्हें अपना बना लिया जाता है..... इसे क्या है पागल की तरह चिल्लाए जा रहा है बिना किसी की बात का जवाब दिये या सुने।
ReplyDeleteजय जय भड़ास
भाईसाहब आप इसपर अधिक ध्यान मत दीजिये बस इसकी पोस्ट की गालियों का संपादन करके हटा दिया करिए
ReplyDeleteजय जय भड़ास
डरपोक और हत्बुद्धि किस्म का दुराग्रही आदमी है ज्यादा कुछ नहीं जितनी अक्ल है उस हिसाब से आकर अपनी पहचान बनाने के लिये उछल कूद कर रहा है आप लोग बेकार ही इससे किसी संतुलित उत्तर की उम्मीद करते हैं। बस इसकी गालियों में जैसा संपादन करा है कर दिया करिये।
ReplyDeleteजय जय भड़ास