बीसीसीआई के आला हुक्मरानों ने ललित मोदी को आईपीएल के कमिश्नर पद से हटाने का मन लगभग बना लिया है। कोच्चि फ्रेंचाइजी के मालिकाना हक के मामले ने भानुमति का ऐसा पिटारा खोल दिया है जिसमें से हर दिन एक नया विवाद सामने आ रहा है। पिछले कुछ दिन के घटनाक्रम और आईपीएल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच ने मोदी के आलोचकों को और मुखर बना दिया है।
मोदी पर भी आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने विभिन्न आईपीएल टीमों में अंश खरीदने में अपने परिवार और दोस्तों की मदद की। कोच्चि मसले पर उनके ट्वीट से सियासी तूफान आ गया जिसमें विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर की कुर्सी और उनकी करीबी दोस्त सुनंदा पुष्कर का कोच्चि टीम में हिस्सा चला गया।
बीसीसीआई के एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि मोदी की छुट्टी तय है। बीसीसीआई सदस्य इस सारे विवाद से काफी नाराज हैं। उन्होंने कहा कि बीसीसीआई के इतिहास में कभी भी आयकर अधिकारियों ने दफ्तरों पर छापे नहीं मारे थे। इससे बोर्ड और आईपीएल ब्रांड की रसूख को ठेस पहुंची है।
शरद पवार जैसे दिग्गज भले ही मोदी का समर्थन कर रहे हों लेकिन कोई और उनके लिए आगे नहीं आया है। थरूर के इस्तीफे से इन अटकलों को बल मिला है कि अब केंद्र के निशाने पर मोदी हैं और बीसीसीआई बीच में नहीं आना चाहता। क्रिकेट बोर्ड की कार्यसमिति की बैठक 24 अप्रैल की बजाय दो मई को होगी जिसमें ललित मोदी के खिलाफ लगाए गए आरोपों और कोच्चि फ्रेंचाइजी मसले पर चर्चा होगी। आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल की बैठक फाइनल के एक दिन बाद 26 अप्रैल को होनी है। अभी तक कोई आधिकारिक तारीख तय नहीं की गई है।
बीसीसीआई की मीडिया और वित्त समिति के अध्यक्ष राजीव शुक्ला ने पत्रकारों से कहा कि मोदी के खिलाफ लगाए गए तमाम आरोपों और अन्य मसलों पर गवर्निंग काउंसिल में बात होगी। तारीखों की घोषणा जल्दी ही होगी। यह पूछने पर कि शशि थरूर के साथ विवाद के मद्देनजर क्या मोदी के पर कतरने की तैयारी है तो शुक्ला ने कहा कि यह मीडिया की अटकलबाजी है। शुक्ला ने मोदी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर टिप्पणी से इंकार करते हुए कहा कि हमें कुछ नहीं पता है। हम मीडिया में ही पढ़ रहे हैं। बीसीसीआई अध्यक्ष शशांक मनोहर को भी सब मीडिया रपटों से ही पता चल रहा है।
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