भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके पाकिस्तानी समकक्ष यूसुफ रजा गिलानी के बीच भूटान में कल हुई वार्ता के एक दिन बाद विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शुक्रवार को कहा कि सात मई को जैसे ही भारतीय संसद के बजट सत्र का समापन होगा मैं विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से संपर्क करने को इच्छुक हूं।
महमूद कुरैशी ने कहा कि जो वार्ता होने वाली है उसे समग्र वार्ता प्रक्रिया जैसे नाम देने के झमेले में पड़ने की जरूरत नहीं है लेकिन कश्मीर, सियाचिन, सर क्रीक और जल बंटवारे जैसे सभी लंबित मामलों पर विचार-विमर्श की मंशा होनी चाहिए।
कुरैशी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि सभी मुद्दों पर विचार विमर्श किया जाना है तो आप इसे चाहे व्यापक संवाद, समग्र वार्ता चाहे जो कुछ भी आप कह लीजिए, यह महत्वपूर्ण नहीं है। इसके पीछे की भावना अच्छी है।
विदेश सचिव निरूपमा राव ने कल कहा था कि नामकरण महत्वपूर्ण नहीं है। ऐसा लगता है कि समग्र वार्ता प्रक्रिया फिर से शुरू करने पर जोर देने वाले पाकिस्तान ने भी यह मांग छोड़ दी है। कुरैशी ने कहा कि कल की वार्ता के संबंध में मीडिया से बातचीत में भारतीय विदेश सचिव का रवैया बहुत सकारात्मक था।
मनमोहन और गिलानी के बीच हुई बैठक की ओर संकेत करते हुए कुरैशी ने कहा कि नतीजा तो अपेक्षा से भी अधिक रहा। यह सही दिशा में एक कदम है, एक ठोस प्रगति है और हमें इसे आगे बढ़ाना होगा। कुरैशी ने स्वीकार किया कि विश्वास में कमी पाटना रातों रात संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें यथार्थवादी और व्यावहारिक होना होगा। यह एक दिन में संभव नहीं है, यह एक प्रक्रिया है। यदि हम इस प्रक्रिया को जारी रखते हैं तो साफ है कि समय के साथ परस्पर विश्वास में इस खाई को कम किया जा सकेगा।
एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष एक दूसरे के दृष्टिकोण में खोट निकाल सकते हैं लेकिन भारत पाकिस्तान के संबंधों में और तल्खी आने से रोका जा सकता है।