भगवान ने इंसान का रूप देकर हमें स्वतंत्र जिंदगी जीने के लिए धरती पर उतारा... पर ऊपर वाले को क्या पाता की उसके बनाये इंसान धरती पर जाकर क्या क्या कृत्य कर रहे हैं... कभी आदमी बनकर जानवर की तरह व्यव्हार करते है तो कभी जानवर बनकर गधो की तरह खटते है और मलाई कोई और खाता है..मेरे हिसाब से नौकरीपेशा आदमी गधे से बिलकुल जुदानहीं (नौकरी पेशा बंधू माफ़ करें ) ये सिर्फ मेरा विचार है...क्योंकि मुझे ऐसा ही महसूस होता है..खैर चुतियापे जैसी बातों के लिए गधे की पूरी उम्र बाकि है। अचानक ऑफिस पहुँचाने पर पता चला की आज मेरा जन्म-दिन है..जबकि सच्चाई न तो मुझे याद है न मेरे पिताजी को..क्योंकि मेरे जैसा अपसगुनाहा इंसान जब पैदा हुआ तो एक साल के भीतर माँ की मौत हो गयी..पिताजी देवदास बन गए और मुझे छोड़ दिया चाटुकारों के बीच जिन्होंने न जाने कैसे-कैसे पाला ? या तो उपरवाला जनता है या निचे पलनेवाला..मैं तो किम्कर्ताब्या विमूढ़ हो गया की मेरा जन्मदिन है? अन्दर पहुँच कर क्या देखा की नाम के संगी-साथी काम के दुश्मनों ने केक वेक भी तैयार रखा था..मैंने भी सोचा रोज गधे की तरह काम करता हूँ..काम से काम एकदिन जन्म दिन के नाम पर ही मजे ले लिया जाये..पता नहीं मेरा जन्मदिन अगले साल किस दिन किस तारीख को आएगा ..पर आप सभी भड़ासियों से अनुनय-विनय है की आज मेरे जन्म-दिन की बधाई जरूर दे..हां ये जरुरी नहीं की सब अच्छा अच्छा ही बोले...आप मुझे गरिया कर भी बधाई दे सकते हैं....
जय भड़ास जय जय भड़ास
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