ईश्वर
नित्य सुख और परम शान्ति, ईश्वर-प्राप्ति से ही प्राप्त की जा सकती है।
यही कारण है कि विचारवान, बुद्धिमान साधक ईश्वर-प्राप्ति की चेष्टा करते हैं।
ईश्वर की प्राप्ति हो जाने पर जन्म-मरण का चक्कर तथा उसके सहकारी दुःखों
का नाश हो जाता है। पाঁचों इन्द्रियाঁ मनुष्य को हर दम भ्रमित करती रहती हैं।
अपनी आঁखें खोलो।
विवेक-बिद्धि से काम लो।
ईश्वर के रहस्यों को समझो।
भगवान् की सर्वव्यापकता की अनुभूति करो।
उसकी निकटता काअनुभव करो।
वह आपकी हृदय-गुहा में सर्वदा विराजमान है।
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