बैठक में हुई आम सहमति की घोषणा करते हुए उन्होंने कहा कि पहली कक्षा में नामांकन की न्यूनतम आयु छह वर्ष होनी चाहिए तथा अनौपचारिक शिक्षा नर्सरी और केजी को औपचारिक स्कूलों से बाहर संचालित किया जाना चाहिए।
सिब्बल ने कहा कि इन निर्णयों पर अमल के लिए वह मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को पत्र लिखेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि नर्सरी और केजी जैसे प्री़स्कूल कक्षाओं को औपचारिक स्कूली शिक्षा से अलग करने पर भी सहमति बनी।
उन्होंने कहा कि इस बात पर भी सहमति बनी कि अनौपचारिक शिक्षा की आधारभूत संरचना को अलग किये जाने की जरूरत है ताकि बच्चों से दबाव को कम किया जा सके।
सिब्बल ने कहा कि तीन वर्ष के बच्चों को स्कूल और अन्य बातों की कोई समक्ष नहीं होती है और उसपर अनावश्यक रूप से दबाव पड़ता है। इसके साथ ही अभिभावकों और स्कूल पर भी दबाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली की लगभग 1.4 करोड़ जनसंख्या के हिसाब से स्कूलों की संख्या कम है और अभिभावकों में अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे स्कूल में नामांकन कराने के लिए प्रतिस्पर्धा रहती है जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है।
मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि नर्सरी में नामांकन की न्यूनतम उम्र चार वर्ष करने पर सहमति बनी है, इसका अर्थ यह हुआ कि 4 से 5 वर्ष में नर्सरी, पांच से छह वर्ष में केजी और छह वर्ष के बाद पहली कक्षा में बच्चों का दाखिला हो।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम में भी बुनियादी शिक्षा के लिए छह से 14 वर्ष की आयु निर्धारित की गई है।
सिब्बल ने कहा कि राज्य को इस संबंध में कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे पास इस विषय में कोई अधिकार नहीं है, लेकिन मैं शीला जी को पत्र लिखकर इस निर्णय को अमल में लाने का आग्रह करूंगा।
उन्होंने कहा कि शीलाजी से इस विषय पर मेरी बातचीत भी हुई है और उन्होंने मुझे आश्वस्त किया है कि इस पर ध्यान देंगी।
मंत्री ने कहा कि अनौपचारिक स्कूली शिक्षा नर्सरी और केजी को औपचारिक स्कूली शिक्षा से अलग रखने का उद्देश्य यह है कि बच्चों पर बिना वजह औपचारिक स्कूल के अनुशासन और कायदे कानून को लागू नहीं करना सुनिश्चित किया जाए।
No comments:
Post a Comment