केंद्र सरकार सभी औद्योगिक घरानों के लिए अपने परिसर में सुरक्षा के सालाना लेखे-जोखे को अनिवार्य बनाने पर विचार कर रही है। देश के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में लगातार हो रहे आतंकी हमलों के मद्देनजर यह कदम उठाया जा सकता है।
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए देशभर में एकसमान सुरक्षा प्रोटोकॉल न होने के चलते एसोसिएशन ऑफ प्रायवेट सिक्योरिटी एजेंसी (कापसी) को सुरक्षा लेखा-जोखा (सिक्योरिटी ऑडिट) का प्रारूप तैयार करने को कहा गया है।
कापसी के अध्यक्ष विक्रम सिंह ने बताया कि इस समय व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर आतंकी खतरा सबसे ज्यादा है। इन पर हमला होने से जानमाल का नुकसान भी ज्यादा होता है। इसे देखते हुए इन प्रतिष्ठानों की सुरक्षा का नियमित ऑडिट कराने का प्रस्ताव है। कापसी देशभर के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में तैनात निजी सुरक्षा कर्मियों का सबसे बड़ा संगठन है। करीब 600 कंपनियां इसकी सदस्य हैं।
ऑडिट की अनिवार्यता लागू होने के बाद होटल, शॉपिंग मॉल, दफ्तर, दुकानें और रेलवे स्टेशन समेत तमाम व्यावसायिक प्रतिष्ठान इसके दायरे में आ जाएंगे। विक्रम सिंह ने बताया कि प्रारूप अंतिम चरण में है, जिसे जल्दी ही केंद्र सरकार को सौंप दिया जाएगा। प्रारूप में सुरक्षा की जरूरत के साथ सुरक्षाकर्मियों की संख्या और उन तकनीकों का भी जिक्र होगा, जो आतंकियों से सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं। गृह मंत्रालय के साथ ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने भी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए मौजूदा सुरक्षा मानकों की समीक्षा का काम शुरू कर दिया है।
इस महीने की एक तारीख को ब्यूरो ने सुरक्षा उपकरण बनाने वाली कंपनी के सदस्यों के साथ एक बैठक की थी, जिसमें इस बात पर विचार किया गया कि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के सुरक्षा मानकों को कैसे उन्नत बनाया जाए।
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