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पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की 44 वीं पुण्यतिथि पर सोमवार को यूपीए सरकार की ओर से कोई भी मंत्री उनके समाधिस्थल विजयघाट पर श्रद्धासुमन चढ़ाने नहीं पहुंचा। इस मौके पर शास्त्री जी के परिजन और उनके कुछ करीबी लोग विजयघाट पर मौजूद थे। पूर्व प्रधानमंत्री के करीबियों ने केंद्र के किसी नुमांइदे के समाधिस्थल पर नहीं पहुंचने पर हैरत जताते हुए इसे अपमानजनक बताया है।
सूत्रों के मुताबिक, यह पहला मौका है कि सरकार की ओर से ऐसा उपेक्षा भरा रवैया अपनाया गया है। अमूमन प्रधानमंत्री के व्यस्त होने पर सरकार की ओर से कोई न कोई मंत्री सरकार का प्रतिनिधित्व करता है। शास्त्री जी कांग्रेस के 125 साल पूरे होने के मौके पर उन नेताओं की सूची में शामिल हैं जिन्हें पार्टी ने प्रेरणा के रूप में याद करने के लिए कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाई है।
2 comments:
उपेक्षा की इंतिहा है ये और हमारी बदकिस्मती की जो पूज्यनीय है उन्हें कोई याद नहीं करता ..अफसोश
क्या शास्त्रीजी नेहरू खानदान में पैदा हुए थे? नहीं तो फिर ऐसे आँसू मत बहाओ.
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