BRAIN DAMAGING HABITS

BRAIN DAMAGING HABITS


1. No Breakfast
People who do not take breakfast are going to have a lower blood sugar level. This leads to an insufficient supply of nutrients to the brain causing brain degeneration.

2 . Overeating
It causes hardening of the brain arteries, leading to a decrease in mental power.

3. Smoking
It causes multiple brain shrinkage and may lead to Alzheimer disease.

4. High Sugar consumption
Too much sugar will interrupt the absorption of proteins and nutrients causing malnutrition and may interfere with brain development.

5. Air Pollution
The brain is the largest oxygen consumer in our body. Inhaling polluted air decreases the supply of oxygen to the brain, bringing about a decrease in brain efficiency.

6 . Sleep Deprivation
Sleep allows our brain to rest.. Long term deprivation from sleep will accelerate the death of brain cells..

7. Head covered while sleeping
Sleeping with the head covered increases the concentration of carbon dioxide and decrease concentration of oxygen that may lead to brain damaging effects.

8. Working your brain during illness
Working hard or studying with sickness may lead to a decrease in effectiveness of the brain as well as damage the brain.

9. Lacking in stimulating thoughts
Thinking is the best way to train our brain, lacking in brain stimulation thoughts may cause brain shrinkage.

10. Talking Rarely
Intellectual conversations will promote the efficiency of the brain

The main causes of liver damage are:


1. Sleeping too late and waking up too late are main cause.

2. Not urinating in the morning.

3 . Too much eating.

4. Skipping breakfast.

5. Consuming too much medication.

6. Consuming too much preservatives, additives, food coloring, and artificial sweetener.

7. Consuming unhealthy cooking oil.
As much as possible reduce cooking oil use when frying, which includes even the best cooking oils like olive oil. Do not consume fried foods when you are tired, except if the body is very fit.

8. Consuming raw (overly done) foods also add to the burden of liver.
Veggies should be eaten raw or cooked 3-5 parts. Fried veggies should be finished in one sitting, do not store.

We should prevent this without necessarily spending more. We just have to adopt a good daily lifestyle and eating habits. Maintaining good eating habits and time condition are very important for our bodies to absorb and get rid of unnecessary chemicals according to 'schedule.'

The top five cancer-causing foods are:


1.. Hot Dogs


Because they are high in nitrates, the Cancer Prevention Coalition advises that children eat no more than 12 hot dogs a month. If you can't live without hot dogs, buy those made without sodium nitrate.

2. Processed meats and Bacon


Also high in the same sodium nitrates found in hot dogs, bacon, and other processed meats raise the risk of heart disease. The saturated fat in bacon also contributes to cancer.

3. Doughnuts


Doughnuts are cancer-causing double trouble. First, they are made with white flour, sugar, and hydrogenated oils, then fried at high temperatures. Doughnuts, says Adams , may be the worst food you can possibly eat to raise your risk of cancer.

4. French fries


Like doughnuts, French fries are made with hydrogenated oils and then fried at high temperatures. They also contain cancer- causing acryl amides which occur during the frying process. They should be called cancer fries, not French fries, said Adams .

5. Chips, crackers, and cookies


All are usually made with white flour and sugar. Even the ones whose labels claim to be free of trans-fats generally contain small amounts of trans-fats.

PASS THIS TO ALL WHOM YOU LOVE & CARE FOR. ............ .. ...

दोहे और उक्तियाँ !!


जो इस जीवन में महान बनना चाहते हैं, वे हमेशा साधारण घटनाओं तक में किसी


विशेषता को लक्ष्य कर नोट कर सकते हैं। जब-जब मन में कुछ अच्छे विचार प्रकट हों


, तुरंत उन्हें नोट-बुक में अंकित कर लिया जाए। यही आदत जीवन के सभी कार्यों और


प्रयासों में सफलता की कुंजी है। इसका अभ्यास करो, अनुभव करो और सुखी रहो।


एक व्यावहारिक मनुष्य बन जाओ।


(स्वामी शिवानन्द )

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दोहे और उक्तियाँ !!


जो इस जीवन में महान बनना चाहते हैं, वे हमेशा साधारण घटनाओं तक में किसी


विशेषता को लक्ष्य कर नोट कर सकते हैं। जब-जब मन में कुछ अच्छे विचार प्रकट हों


, तुरंत उन्हें नोट-बुक में अंकित कर लिया जाए। यही आदत जीवन के सभी कार्यों और


प्रयासों में सफलता की कुंजी है। इसका अभ्यास करो, अनुभव करो और सुखी रहो।


एक व्यावहारिक मनुष्य बन जाओ।


(स्वामी शिवानन्द )

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सपा ने अमर को अपमानित किया है :- जया प्रदा

पूर्व पार्टी महासचिव अमर सिंह के बाद समाजवादी पार्टी की सांसद जयाप्रदा ने पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा है ।

रामपुर की सांसद जयाप्रदा ने दिल्ली में चार पार्टी विधायक और बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में पत्रकारों को संबोधित किया । उन्होंने कहा कि अगर पार्टी के किसी सदस्य पर परिवार के लोग हमला कर रहे हैं तो उसको रोकना पार्टी नेतृत्व का काम है ।

उनका निशाना सीधे मुलायम सिंह यादव पर था, उन्होंने सीधे तौर पर उनका नाम नहीं लिया । फ़िल्मों से राजनीति का रुख़ करने वालीं जयाप्रदा ने कहा कि वह नेताजी से स्नेह करती हैं और वो उनके पिता सामान हैं। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि अगर ऐसा मौक़ा आया कि उन्हें मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह के बीच एक को चुनना पड़ा तो वह किसको चुनेंगीं? तो उनका जवाब था अमर सिंह को, जिन्होंने मुश्किल की घड़ी में उनका साथ दिया था । उन्होंनें इस बार रामपुर में हुए चुनाव का उदाहरण दिया जहाँ उनके निजी जीवन पर कीचड़ उछाला गया ।

जया प्रदा ने अमर सिंह के नेतृत्व में एक लोकमंच बनाने की घोषणा की । हालाँकि इसकी बात अमर सिंह गाज़ीपुर की एक रैली में शनिवार को ही कर चुके थे । उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक मंच नहीं और यह मंच आम लोगों से जुड़े मामले अलग अलग स्तर पर उठाएगा । समाजवादी पार्टी के महासचिव राम आसरे कुशवाहा ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अमर सिंह पार्टी के लिए इतिहास हैं और अब इसमें जयाप्रदा का नाम भी जोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के ख़िलाफ़ बोलना अनुशासनहीनता है ।

सपा ने अमर को अपमानित किया है :- जया प्रदा

पूर्व पार्टी महासचिव अमर सिंह के बाद समाजवादी पार्टी की सांसद जयाप्रदा ने पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा है ।

रामपुर की सांसद जयाप्रदा ने दिल्ली में चार पार्टी विधायक और बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में पत्रकारों को संबोधित किया । उन्होंने कहा कि अगर पार्टी के किसी सदस्य पर परिवार के लोग हमला कर रहे हैं तो उसको रोकना पार्टी नेतृत्व का काम है ।

उनका निशाना सीधे मुलायम सिंह यादव पर था, उन्होंने सीधे तौर पर उनका नाम नहीं लिया । फ़िल्मों से राजनीति का रुख़ करने वालीं जयाप्रदा ने कहा कि वह नेताजी से स्नेह करती हैं और वो उनके पिता सामान हैं। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि अगर ऐसा मौक़ा आया कि उन्हें मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह के बीच एक को चुनना पड़ा तो वह किसको चुनेंगीं? तो उनका जवाब था अमर सिंह को, जिन्होंने मुश्किल की घड़ी में उनका साथ दिया था । उन्होंनें इस बार रामपुर में हुए चुनाव का उदाहरण दिया जहाँ उनके निजी जीवन पर कीचड़ उछाला गया ।

जया प्रदा ने अमर सिंह के नेतृत्व में एक लोकमंच बनाने की घोषणा की । हालाँकि इसकी बात अमर सिंह गाज़ीपुर की एक रैली में शनिवार को ही कर चुके थे । उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक मंच नहीं और यह मंच आम लोगों से जुड़े मामले अलग अलग स्तर पर उठाएगा । समाजवादी पार्टी के महासचिव राम आसरे कुशवाहा ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अमर सिंह पार्टी के लिए इतिहास हैं और अब इसमें जयाप्रदा का नाम भी जोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के ख़िलाफ़ बोलना अनुशासनहीनता है ।

शाहरुख खान के घर के बाहर प्रदर्शन !!

आईपीएल में पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाडि़यों के शामिल किए जाने के मुद्दे पर शाहरुख खान की टिप्पणी पर शिव सेना कार्यकर्ताओं ने रविवार को बॉलीवुड के मेगास्टार के बांद्रा स्थित घर मन्नत के बाहर प्रदर्शन किया।

विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले शिवसेना के विधान पार्षद अनिल परब ने कहा कि शाहरुख अगर पाकिस्तान के खिलाडि़यों के पक्ष में बोलना चाहते हैं तो उन्हें पाकिस्तान जाना चाहिए।

शिव सैनिकों ने प्रदर्शन के दौरान मुंबई से पाकिस्तान का यात्रा टिकट भी लहराया और किंग खान की आने वाली फिल्म माइ नेम इज खान पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।

अपने कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन का समर्थन करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी ने कहा कि यह देशभक्ति का मामला है और शाहरुख को राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

शाहरुख खान के घर के बाहर प्रदर्शन !!

आईपीएल में पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाडि़यों के शामिल किए जाने के मुद्दे पर शाहरुख खान की टिप्पणी पर शिव सेना कार्यकर्ताओं ने रविवार को बॉलीवुड के मेगास्टार के बांद्रा स्थित घर मन्नत के बाहर प्रदर्शन किया।

विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले शिवसेना के विधान पार्षद अनिल परब ने कहा कि शाहरुख अगर पाकिस्तान के खिलाडि़यों के पक्ष में बोलना चाहते हैं तो उन्हें पाकिस्तान जाना चाहिए।

शिव सैनिकों ने प्रदर्शन के दौरान मुंबई से पाकिस्तान का यात्रा टिकट भी लहराया और किंग खान की आने वाली फिल्म माइ नेम इज खान पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।

अपने कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन का समर्थन करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी ने कहा कि यह देशभक्ति का मामला है और शाहरुख को राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

लो क सं घ र्ष !: भाई ! गाँधी की हत्या कितनी बार करोगे ?

source:google

महान सेनानी मोहनदास करमचंद गाँधी की हत्या आजादी के बाद ब्रिटिश साम्राज्यवाद के पिट्ठू हिंदुत्ववादी शक्तियों ने कर दी थी। अब उन्ही शक्तियों को गाँधी की सूरत गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी में दिख रही है। गाँधी जी ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ हुए शांति पूर्ण युद्ध के अद्भुद महानायक थे। गाँधी से हम सहमत हों या न हों यह दूसरी बात है लेकिन गाँधी धर्म निरपेक्षता को बनाये रखने के भी महान सेनानी भी थे। भारतीय संघ को धार्मिक रूप से एक रखने की अदभुद क्षमता थी। अंग्रेजो ने हिन्दू-मुसलमान का जो बीज अपने फायदे के लिए बोया था। गाँधी जी जबतक जिन्दा थे उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा कर उस बीज को पेड़ नहीं बनने दिया। गोडसे प्रतीक ने गाँधी का वध किया था। आज उनके अनुयायीओं को नरेंद्र मोदी में गाँधी की तस्वीर दिखती है। मोदी जी ने गुजरात के अन्दर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का नरसंहार कराया था आज उसी व्यक्ति में अगर गाँधी की तस्वीर दिखती है तो भी वह गाँधी की दूसरी हत्या है।
गाँधी जी के तथाकथित उत्तराधिकारी अमेरिकन साम्राज्यवाद की सेवा में लगे हुए हैं। साम्राज्यवाद का मुख्य दुश्मन महात्मा गाँधी थे। अगर उनके तथाकथित उत्तराधिकारी साम्राज्यवाद की सेवा में लगे हुए हैं तो यह गाँधी के विचारों का वध नहीं है तो और क्या है ? गाँधी जी के विचार आज पूरी दुनिया में प्रासंगिक हैं अगर उनका सत्य और अहिंसा का प्रयोग उनके अनुयायी अगर अपने जीवन में उतारे होते तो निश्चित रूप से साम्राज्यवादी शक्तियों का शोषण भारतीय जनता को आत्महत्या करने को मजबूर नहीं करता।

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

लो क सं घ र्ष !: भाई ! गाँधी की हत्या कितनी बार करोगे ?

source:google

महान सेनानी मोहनदास करमचंद गाँधी की हत्या आजादी के बाद ब्रिटिश साम्राज्यवाद के पिट्ठू हिंदुत्ववादी शक्तियों ने कर दी थी। अब उन्ही शक्तियों को गाँधी की सूरत गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी में दिख रही है। गाँधी जी ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ हुए शांति पूर्ण युद्ध के अद्भुद महानायक थे। गाँधी से हम सहमत हों या न हों यह दूसरी बात है लेकिन गाँधी धर्म निरपेक्षता को बनाये रखने के भी महान सेनानी भी थे। भारतीय संघ को धार्मिक रूप से एक रखने की अदभुद क्षमता थी। अंग्रेजो ने हिन्दू-मुसलमान का जो बीज अपने फायदे के लिए बोया था। गाँधी जी जबतक जिन्दा थे उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा कर उस बीज को पेड़ नहीं बनने दिया। गोडसे प्रतीक ने गाँधी का वध किया था। आज उनके अनुयायीओं को नरेंद्र मोदी में गाँधी की तस्वीर दिखती है। मोदी जी ने गुजरात के अन्दर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का नरसंहार कराया था आज उसी व्यक्ति में अगर गाँधी की तस्वीर दिखती है तो भी वह गाँधी की दूसरी हत्या है।
गाँधी जी के तथाकथित उत्तराधिकारी अमेरिकन साम्राज्यवाद की सेवा में लगे हुए हैं। साम्राज्यवाद का मुख्य दुश्मन महात्मा गाँधी थे। अगर उनके तथाकथित उत्तराधिकारी साम्राज्यवाद की सेवा में लगे हुए हैं तो यह गाँधी के विचारों का वध नहीं है तो और क्या है ? गाँधी जी के विचार आज पूरी दुनिया में प्रासंगिक हैं अगर उनका सत्य और अहिंसा का प्रयोग उनके अनुयायी अगर अपने जीवन में उतारे होते तो निश्चित रूप से साम्राज्यवादी शक्तियों का शोषण भारतीय जनता को आत्महत्या करने को मजबूर नहीं करता।

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

शरद पवार के दिमाग के इलाज के लिये चंदा इकट्ठा करो

शरद पवार के मुंह पर लगे लकवे का असर अब उनके दिमाग पर साफ़ दिखने लगा है उन्होंने कहा है की देश में गरीबी पर नियंत्रण हुआ है और अब गरीब भी खाने लगे हैं तो खाने पीने की चीजों की तंगी होना स्वाभाविक है। अब कोई इस दिमाग के लकवे के मरीज से पूछे कि क्या तू चाहता है कि गरीब आदमी का जीवन स्तर न सुधरे अगर सुधर जाए तो मंहगाई इस हद तक बढ़ा दो कि उस साले नंगे भूखे को उसकी औकात याद आ जाए और फिर वह अपनी सही जगह पर पहुँच जाए। ऐसे लोगों कि सोच अमेरिकी नव उपनिवेश वादी है जो ये चाहते हैं कि गरीबी यथावत बनी रहे ताकि कस कर शासन करके दोहन करा जा सके और कोई विरोध न हो।
जय जय भड़ास

शरद पवार के दिमाग के इलाज के लिये चंदा इकट्ठा करो

शरद पवार के मुंह पर लगे लकवे का असर अब उनके दिमाग पर साफ़ दिखने लगा है उन्होंने कहा है की देश में गरीबी पर नियंत्रण हुआ है और अब गरीब भी खाने लगे हैं तो खाने पीने की चीजों की तंगी होना स्वाभाविक है। अब कोई इस दिमाग के लकवे के मरीज से पूछे कि क्या तू चाहता है कि गरीब आदमी का जीवन स्तर न सुधरे अगर सुधर जाए तो मंहगाई इस हद तक बढ़ा दो कि उस साले नंगे भूखे को उसकी औकात याद आ जाए और फिर वह अपनी सही जगह पर पहुँच जाए। ऐसे लोगों कि सोच अमेरिकी नव उपनिवेश वादी है जो ये चाहते हैं कि गरीबी यथावत बनी रहे ताकि कस कर शासन करके दोहन करा जा सके और कोई विरोध न हो।
जय जय भड़ास

लश्कर ए तैयबा और छह अन्य के खिलाफ मुंबई हमलों में संलिप्तता के साक्ष्य पेश !

पाकिस्तान सरकार ने शनिवार को एक आतंकवाद निरोधक अदालत में लश्कर ए तैयबा के ऑपरेशन चीफ जकीउर रहमान लखवी और छह अन्य संदिग्धों के खिलाफ मुंबई हमलों में संलिप्तता के सिलसिले में साक्ष्य पेश किए।
सूत्रों ने बताया कि रावलपिंडी में जज मलिक मोहम्मद अकरम अवान की अदालत में सरकारी अभियोजकों के दल ने आरोपियों के खिलाफ सुबूत पेश किए ।
आरोपियों के वकील शहबाज राजपूत ने कहा कि सुबूत पेश किए जाने के बाद जज ने मामले को 13 फरवरी तक स्थगित कर दिया। 23 जनवरी को सुनवाई हुई थी जिसका बचाव पक्ष के वकीलों ने बहिष्कार किया था। वकीलों का आरोप है कि लाहौर हाईकोर्ट के आदेश के अनुरप, रावलपिंडी की अडाला जेल में बंद उनके मुवक्किलों से मुलाकात की व्यवस्था और उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने में अधिकारी विफल रहे। सुरक्षा कारणों से जज अवान अडाला जेल में ही मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
लखवी के अलावा अन्य आरोपियों, जरार शाह, अबू अल-कामा, हमाद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और यूनुस अंजुम को भी अडाला जेल में रखा गया है।
लाहौर उच्च न्यायालय की रावलपिंडी आधारित एक खंडपीठ ने इस सप्ताह लखवी की इस मामले में बरी किए जाने संबंधी याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। लखवी ने आतंकवाद निरोधक अदालत में बरी किए जाने की याचिका दायर की थी, जिसे उसने खारिज कर दिया था। इसे चुनौती देते हुए लखवी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। लखवी ने अपनी सुरक्षा का हवाला देते हुए इस मामले को रावलपिंडी से लाहौर स्थानांतरित करने की भी मांग की थी, जिसे भी खारिज कर दिया गया था।

लश्कर ए तैयबा और छह अन्य के खिलाफ मुंबई हमलों में संलिप्तता के साक्ष्य पेश !

पाकिस्तान सरकार ने शनिवार को एक आतंकवाद निरोधक अदालत में लश्कर ए तैयबा के ऑपरेशन चीफ जकीउर रहमान लखवी और छह अन्य संदिग्धों के खिलाफ मुंबई हमलों में संलिप्तता के सिलसिले में साक्ष्य पेश किए।
सूत्रों ने बताया कि रावलपिंडी में जज मलिक मोहम्मद अकरम अवान की अदालत में सरकारी अभियोजकों के दल ने आरोपियों के खिलाफ सुबूत पेश किए ।
आरोपियों के वकील शहबाज राजपूत ने कहा कि सुबूत पेश किए जाने के बाद जज ने मामले को 13 फरवरी तक स्थगित कर दिया। 23 जनवरी को सुनवाई हुई थी जिसका बचाव पक्ष के वकीलों ने बहिष्कार किया था। वकीलों का आरोप है कि लाहौर हाईकोर्ट के आदेश के अनुरप, रावलपिंडी की अडाला जेल में बंद उनके मुवक्किलों से मुलाकात की व्यवस्था और उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने में अधिकारी विफल रहे। सुरक्षा कारणों से जज अवान अडाला जेल में ही मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
लखवी के अलावा अन्य आरोपियों, जरार शाह, अबू अल-कामा, हमाद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमील अहमद और यूनुस अंजुम को भी अडाला जेल में रखा गया है।
लाहौर उच्च न्यायालय की रावलपिंडी आधारित एक खंडपीठ ने इस सप्ताह लखवी की इस मामले में बरी किए जाने संबंधी याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। लखवी ने आतंकवाद निरोधक अदालत में बरी किए जाने की याचिका दायर की थी, जिसे उसने खारिज कर दिया था। इसे चुनौती देते हुए लखवी ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। लखवी ने अपनी सुरक्षा का हवाला देते हुए इस मामले को रावलपिंडी से लाहौर स्थानांतरित करने की भी मांग की थी, जिसे भी खारिज कर दिया गया था।

इंडियन प्रीमियर लीग में पाकिस्तान को लिया जाना चाहिए था :शाहरुख़ खान !!

इंडियन प्रीमियर लीग में पाकिस्तान खिलाड़ियों को लेकर चल रहा विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस विवाद में शिवसेना भी कूद गई है ।

शिवसेना ने कहा है कि अगर फ़िल्म स्टार शाहरुख़ ख़ान की कोलकाता नाइट राइडर्स टीम में किसी पाकिस्तानी खिलाड़ी को शामिल किया जाएगा, तो उन्हें इसका नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए ।

पिछले दिनों हुए बयानबाज़ी के बाद एक समय लग रहा था कि पाकिस्तानी खिलाड़ियों को लेकर आईपीएल में चल रहा विवाद थम जाएगा । आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के एक मालिक शाहरुख़ ख़ान ने आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के न लेने पर सवाल उठाया था और कहा था कि ऐसा सम्मानपूर्ण तरीक़े से भी हो सकता था ।
गृह मंत्री पी चिदंबरम ने इस मामले में सरकार की किसी भूमिका से तो इनकार किया ही, साथ ही आईपीएल के रवैए पर निराशा भी जताई। इसके बाद कुछ पाकिस्तानी खिलाड़ियों को आईपीएल में शामिल करने पर बात होने लगी। इसमें कोलकाता की टीम का भी नाम लिया जा रहा है । शिवसेना ने इस मामले पर शाहरुख़ ख़ान को चेतावनी दी है ।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने मुंबई में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "अगर शाहरुख़ ख़ान चाहते हैं कि पाकिस्तानी खिलाड़ी यहाँ खेलें, तो उन्हें इस्लामाबाद या कराची में जाकर मैच खेलना चाहिए। अगर वे अपनी टीम में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को शामिल करते हैं, तो उन्हें इसका नतीजा भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए ।

शाहरुख़ ने कहा था कि वे यह मानते हैं कि आईपीएल के तीसरे संस्करण में पाकिस्तानी क्रिकेटरों को लिया जाना चाहिए था ।

इंडियन प्रीमियर लीग में पाकिस्तान को लिया जाना चाहिए था :शाहरुख़ खान !!

इंडियन प्रीमियर लीग में पाकिस्तान खिलाड़ियों को लेकर चल रहा विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस विवाद में शिवसेना भी कूद गई है ।

शिवसेना ने कहा है कि अगर फ़िल्म स्टार शाहरुख़ ख़ान की कोलकाता नाइट राइडर्स टीम में किसी पाकिस्तानी खिलाड़ी को शामिल किया जाएगा, तो उन्हें इसका नतीजा भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए ।

पिछले दिनों हुए बयानबाज़ी के बाद एक समय लग रहा था कि पाकिस्तानी खिलाड़ियों को लेकर आईपीएल में चल रहा विवाद थम जाएगा । आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के एक मालिक शाहरुख़ ख़ान ने आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों के न लेने पर सवाल उठाया था और कहा था कि ऐसा सम्मानपूर्ण तरीक़े से भी हो सकता था ।
गृह मंत्री पी चिदंबरम ने इस मामले में सरकार की किसी भूमिका से तो इनकार किया ही, साथ ही आईपीएल के रवैए पर निराशा भी जताई। इसके बाद कुछ पाकिस्तानी खिलाड़ियों को आईपीएल में शामिल करने पर बात होने लगी। इसमें कोलकाता की टीम का भी नाम लिया जा रहा है । शिवसेना ने इस मामले पर शाहरुख़ ख़ान को चेतावनी दी है ।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने मुंबई में पत्रकारों से बातचीत में कहा, "अगर शाहरुख़ ख़ान चाहते हैं कि पाकिस्तानी खिलाड़ी यहाँ खेलें, तो उन्हें इस्लामाबाद या कराची में जाकर मैच खेलना चाहिए। अगर वे अपनी टीम में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को शामिल करते हैं, तो उन्हें इसका नतीजा भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए ।

शाहरुख़ ने कहा था कि वे यह मानते हैं कि आईपीएल के तीसरे संस्करण में पाकिस्तानी क्रिकेटरों को लिया जाना चाहिए था ।

नाबालिग लड़कियों के बच्चों में कुपोषण सबसे ज्यादा


शिरीष खरे
18 साल से कम उम्र में मां बनने वाली लड़कियों से पैदा होने वाले बच्चों पर कुपोषण का खतरा सबसे ज्यादा मंडराता है। बीएमजे यानि बिट्रिश मेडीकल जनरल ने हाल में प्रकाशित अपने शोध अध्ययन से ऐसा जाहिर किया है।
बीते दशक की महत्वपूर्ण आर्थिक वृद्धि के इर्दगिर्द, सबसे ज्यादा होने वाली मौतों के हिसाब से दुनिया के 5 देशों में भारत भी शामिल है। भारत में 20 से 24 साल की शादीशुदा औरतों में से 44.5% (करीब आधी) औरतें ऐसी हैं- जिनकी शादियां 18 साल के पहले हुईं हैं। इन 20 से 24 साल की शादीशुदा औरतों में से 22% (करीब एक चौथाई) औरतें ऐसी हैं- जो 18 साल के पहले मां बनीं हैं। इन कम उम्र की लड़कियों से 73% (सबसे ज्यादा) बच्चे पैदा हुए हैं। फिलहाल इन बच्चों में 67% (आधे से बहुत ज्यादा) कुपोषण के शिकार हैं।
बोस्टन यूनिवर्सिटी के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेन्ट की एसोशियट प्रोफेसर अनीता राज और उनके सहयोगियों का यह शोध अध्ययन मूलतः भारत में कम उम्र के शादीशुदा संबंधों, शिशु और बाल मृत्यु-दर से जुड़ा है। यह अध्ययन 15 से 49 साल की तकरीबन 1,25,000 भारतीय औरतों के प्रतिनिधि नमूने पर आधारित है। शोध के लिए एकत्रित जानकारियों को नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (2005-06) से लिया गया है।
यह शोध बताता है कि कम उम्र में शादी करने, दो बच्चों के बीच अंतर न रखने, गर्भावस्था के समय पर्याप्त भोजन न मिलने, प्रसव के समय थोड़ा-सा भी आराम न मिलने और इसी दौरान चिकित्सा की सुविधाओं के अभाव में कुपोषण किस तरह से लहलहा उठता है। यह शोध ‘कम उम्र की किशोरियों और बच्चों’ को केन्द्र में रखकर भारत के कुपोषण की व्याख्या करता है। शोध यह भी मानता है कि कम उम्र में शादी करने वाली औरतों को अगर उनके पतियों या ससुराल वालों द्वारा दरकिनार किया जाता है तो ऐसी औरतों को अपने और अपने बच्चों के लिए भोजन जुटा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसमें भारत की भुखमरी को पारिवारिक व्यवस्था से लेकर सामाजिक तंत्र, राजनीति से लेकर विचारधारा और व्यवहारिकता तक में मौजूद लैंगिक भेदभाव से जोड़कर देखा गया है।
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शिरीष खरे ‘चाईल्ड राईटस एण्ड यू’ के ‘संचार-विभाग’ से जुड़े हैं।
संपर्क :
shirish2410@gmail.com
ब्लॉग : crykedost.tk


--

Shirish Khare
C/0- Child Rights and You
189/A, Anand Estate
Sane Guruji Marg
(Near Chinchpokli Station)

Mumbai-400011

www.crykedost.blogspot.com

I believe that every Indian child must be guaranteed equal rights to survival, protection, development and participation.
As a part of CRY, I dedicate myself to mobilising all sections of society to ensure justice for children.

नाबालिग लड़कियों के बच्चों में कुपोषण सबसे ज्यादा


शिरीष खरे
18 साल से कम उम्र में मां बनने वाली लड़कियों से पैदा होने वाले बच्चों पर कुपोषण का खतरा सबसे ज्यादा मंडराता है। बीएमजे यानि बिट्रिश मेडीकल जनरल ने हाल में प्रकाशित अपने शोध अध्ययन से ऐसा जाहिर किया है।
बीते दशक की महत्वपूर्ण आर्थिक वृद्धि के इर्दगिर्द, सबसे ज्यादा होने वाली मौतों के हिसाब से दुनिया के 5 देशों में भारत भी शामिल है। भारत में 20 से 24 साल की शादीशुदा औरतों में से 44.5% (करीब आधी) औरतें ऐसी हैं- जिनकी शादियां 18 साल के पहले हुईं हैं। इन 20 से 24 साल की शादीशुदा औरतों में से 22% (करीब एक चौथाई) औरतें ऐसी हैं- जो 18 साल के पहले मां बनीं हैं। इन कम उम्र की लड़कियों से 73% (सबसे ज्यादा) बच्चे पैदा हुए हैं। फिलहाल इन बच्चों में 67% (आधे से बहुत ज्यादा) कुपोषण के शिकार हैं।
बोस्टन यूनिवर्सिटी के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेन्ट की एसोशियट प्रोफेसर अनीता राज और उनके सहयोगियों का यह शोध अध्ययन मूलतः भारत में कम उम्र के शादीशुदा संबंधों, शिशु और बाल मृत्यु-दर से जुड़ा है। यह अध्ययन 15 से 49 साल की तकरीबन 1,25,000 भारतीय औरतों के प्रतिनिधि नमूने पर आधारित है। शोध के लिए एकत्रित जानकारियों को नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (2005-06) से लिया गया है।
यह शोध बताता है कि कम उम्र में शादी करने, दो बच्चों के बीच अंतर न रखने, गर्भावस्था के समय पर्याप्त भोजन न मिलने, प्रसव के समय थोड़ा-सा भी आराम न मिलने और इसी दौरान चिकित्सा की सुविधाओं के अभाव में कुपोषण किस तरह से लहलहा उठता है। यह शोध ‘कम उम्र की किशोरियों और बच्चों’ को केन्द्र में रखकर भारत के कुपोषण की व्याख्या करता है। शोध यह भी मानता है कि कम उम्र में शादी करने वाली औरतों को अगर उनके पतियों या ससुराल वालों द्वारा दरकिनार किया जाता है तो ऐसी औरतों को अपने और अपने बच्चों के लिए भोजन जुटा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसमें भारत की भुखमरी को पारिवारिक व्यवस्था से लेकर सामाजिक तंत्र, राजनीति से लेकर विचारधारा और व्यवहारिकता तक में मौजूद लैंगिक भेदभाव से जोड़कर देखा गया है।
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शिरीष खरे ‘चाईल्ड राईटस एण्ड यू’ के ‘संचार-विभाग’ से जुड़े हैं।
संपर्क :
shirish2410@gmail.com
ब्लॉग : crykedost.tk


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Shirish Khare
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(Near Chinchpokli Station)

Mumbai-400011

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I believe that every Indian child must be guaranteed equal rights to survival, protection, development and participation.
As a part of CRY, I dedicate myself to mobilising all sections of society to ensure justice for children.

लो क सं घ र्ष !: संघ का हिंदुत्व

सर्वश्री जमुना प्रसाद त्रिपाठी, चन्दन मिश्र, मनीष मेहरोत्रा नगर पुरोहित भाल चन्द्र मिश्रा

बाराबंकी
में सैकड़ों साल पुराना ठाकुरद्वारा का मंदिर शहर के बीच में स्थित है ठाकुरद्वारा ट्रस्ट के पदाधिकारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आदि पुरुष गण हैं । संघ का परिचय उन्ही के नामो से शुरू होता है इन लोगो ने शहर में दंगा करने के लिए मंदिर के अग्र भाग को प्रोपर्टी ड़ीलर नौशाद आलम उर्फ़ चंदा को बेच दिया जिस पर जैसे ही मंदिर टूटना प्रारम्भ हुआ शहर में तमाम तरह की अफवाहें उड़ना शुरू हो गयीं वो तो कहिये की नगर पुरोहित भाल चन्द्र मिश्र, जमुना प्रसाद त्रिपाठी पूर्व अध्यक्ष राज्य कर्मचारी महासंघ, चन्दन मिश्र व समाज सेवी मनीष मल्होत्रा ने स्थित को संभाला और संघ के बाराबंकी के संस्थापको में से एक सूर्य नारायण टंडन को जेल जाना पड़ा।
मंदिर का आगे का बिका हुआ खंड

संघ के लोगो ने प्राचीन मंदिर को प्रोपर्टी ड़ीलर के हाथ कुल रकबा का 60% प्रोपर्टी ड़ीलर को बेच डाला है अब सवाल यह उठता है की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का हिंदुत्व सिर्फ हिन्दू धर्म के प्रतीकों को नष्ट करना, धर्म के महान नायकों को राजनीति में उनका इस्तेमाल कर अपमानित करना है । उनका हिन्दू धर्म से कोई लेना देना नहीं है यह लोग हिटलर की नाजी विचारधारा से प्रेरणा लेते हैं। हिंदुत्व इनकी राजनीतिक विचारधारा है।

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

लो क सं घ र्ष !: संघ का हिंदुत्व

सर्वश्री जमुना प्रसाद त्रिपाठी, चन्दन मिश्र, मनीष मेहरोत्रा नगर पुरोहित भाल चन्द्र मिश्रा

बाराबंकी
में सैकड़ों साल पुराना ठाकुरद्वारा का मंदिर शहर के बीच में स्थित है ठाकुरद्वारा ट्रस्ट के पदाधिकारी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आदि पुरुष गण हैं । संघ का परिचय उन्ही के नामो से शुरू होता है इन लोगो ने शहर में दंगा करने के लिए मंदिर के अग्र भाग को प्रोपर्टी ड़ीलर नौशाद आलम उर्फ़ चंदा को बेच दिया जिस पर जैसे ही मंदिर टूटना प्रारम्भ हुआ शहर में तमाम तरह की अफवाहें उड़ना शुरू हो गयीं वो तो कहिये की नगर पुरोहित भाल चन्द्र मिश्र, जमुना प्रसाद त्रिपाठी पूर्व अध्यक्ष राज्य कर्मचारी महासंघ, चन्दन मिश्र व समाज सेवी मनीष मल्होत्रा ने स्थित को संभाला और संघ के बाराबंकी के संस्थापको में से एक सूर्य नारायण टंडन को जेल जाना पड़ा।
मंदिर का आगे का बिका हुआ खंड

संघ के लोगो ने प्राचीन मंदिर को प्रोपर्टी ड़ीलर के हाथ कुल रकबा का 60% प्रोपर्टी ड़ीलर को बेच डाला है अब सवाल यह उठता है की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का हिंदुत्व सिर्फ हिन्दू धर्म के प्रतीकों को नष्ट करना, धर्म के महान नायकों को राजनीति में उनका इस्तेमाल कर अपमानित करना है । उनका हिन्दू धर्म से कोई लेना देना नहीं है यह लोग हिटलर की नाजी विचारधारा से प्रेरणा लेते हैं। हिंदुत्व इनकी राजनीतिक विचारधारा है।

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

दोहे और उक्तियाँ !!


फेर नाहीं है कपट सों, जो कीजै व्यापार।


जैसे हांडी काठ की, चढ़ै न दूजी बार।।


(वृंद कवि)

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दोहे और उक्तियाँ !!


फेर नाहीं है कपट सों, जो कीजै व्यापार।


जैसे हांडी काठ की, चढ़ै न दूजी बार।।


(वृंद कवि)

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गाँधी जी की ह्त्या के इतने सालों बाद दक्षिण अफ्रीका में उनका अस्थि विसर्जन !!

शनिवार को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर भारत में तो उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कई कार्यक्रम होंगे ही लेकिन गांधीजी की हत्या के 62 साल बाद दक्षिण अफ़्रीका में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है ।

इसका महत्व यह है कि डरबन में महात्मा गांधी के बचे हुए अस्थि अवशेष समुद्र में बहाए जाएंगे। इसके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं थी ।

महात्मा गांधी की अस्थियाँ डरबन पहुंची कैसे इसकी भी एक कहानी है । महात्मा गांधी की इन अस्थियों के बारे में उनके परिवार को भी लगभग डेढ़ साल पहले तक जानकारी नहीं थी । डरबन के समुद्र में 62 साल बाद ठीक उसी समय महात्मा गांधी के शेष अस्थि अवशेष समुद्र में बहाए जाएंगे जिस समय उनकी हत्या हुई थी ।

हमने महात्मा गांधी के परपोते केदार रामगोबिन से पूछा कि महात्मा गांधी के यह शेष अवशेष डरबन कैसे पुहंच गए तो उन्हों ने कहा, "गांधी परिवार का एक मित्र 1948 में यह अस्थि अवशेष अपने साथ दक्षिण अफ़्रीका ले आया। उन्होंने उसे स्मृतिचिन्ह की तरह अपने पास रखा , उनसे यह अस्थि अवशेष परिवार के एक मित्र विलास मेहता के पास आ गया ।

उन्होंने आगे कहा, "चांदी के कलश में रखे इस अस्थि अवशेष को मरने से पहले विलास मेहता ने अपनी बहू को सौंप दिया। और उनकी बहू ने इसे महात्मा गांधी की पोती और डरबन में गांधी डेवलपमेंट फ़ाउंडेशन की अध्यक्ष ईला गांधी को सौंपा । "

ईला गांधी कहती हैं, "महात्मा गांधी ने अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ़्रीका में बिताए थे, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम यहाँ उन्हें श्रद्धांजलि दें । "

दक्षिण अफ़्रीका में स्थानीय समयानुसार सुबह पांच बजे महात्मा गांधी की इन शेष अस्थियों का विसर्जन होगा। गांधी परिवार के लगभग 200 सदस्यों और मित्रों के अलावा दक्षिण अफ़्रीकी नौसेना का एक बेड़ा भी इस समारोह में शामिल होगा ।

गाँधी जी की ह्त्या के इतने सालों बाद दक्षिण अफ्रीका में उनका अस्थि विसर्जन !!

शनिवार को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर भारत में तो उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कई कार्यक्रम होंगे ही लेकिन गांधीजी की हत्या के 62 साल बाद दक्षिण अफ़्रीका में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है ।

इसका महत्व यह है कि डरबन में महात्मा गांधी के बचे हुए अस्थि अवशेष समुद्र में बहाए जाएंगे। इसके बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं थी ।

महात्मा गांधी की अस्थियाँ डरबन पहुंची कैसे इसकी भी एक कहानी है । महात्मा गांधी की इन अस्थियों के बारे में उनके परिवार को भी लगभग डेढ़ साल पहले तक जानकारी नहीं थी । डरबन के समुद्र में 62 साल बाद ठीक उसी समय महात्मा गांधी के शेष अस्थि अवशेष समुद्र में बहाए जाएंगे जिस समय उनकी हत्या हुई थी ।

हमने महात्मा गांधी के परपोते केदार रामगोबिन से पूछा कि महात्मा गांधी के यह शेष अवशेष डरबन कैसे पुहंच गए तो उन्हों ने कहा, "गांधी परिवार का एक मित्र 1948 में यह अस्थि अवशेष अपने साथ दक्षिण अफ़्रीका ले आया। उन्होंने उसे स्मृतिचिन्ह की तरह अपने पास रखा , उनसे यह अस्थि अवशेष परिवार के एक मित्र विलास मेहता के पास आ गया ।

उन्होंने आगे कहा, "चांदी के कलश में रखे इस अस्थि अवशेष को मरने से पहले विलास मेहता ने अपनी बहू को सौंप दिया। और उनकी बहू ने इसे महात्मा गांधी की पोती और डरबन में गांधी डेवलपमेंट फ़ाउंडेशन की अध्यक्ष ईला गांधी को सौंपा । "

ईला गांधी कहती हैं, "महात्मा गांधी ने अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ़्रीका में बिताए थे, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम यहाँ उन्हें श्रद्धांजलि दें । "

दक्षिण अफ़्रीका में स्थानीय समयानुसार सुबह पांच बजे महात्मा गांधी की इन शेष अस्थियों का विसर्जन होगा। गांधी परिवार के लगभग 200 सदस्यों और मित्रों के अलावा दक्षिण अफ़्रीकी नौसेना का एक बेड़ा भी इस समारोह में शामिल होगा ।

भारतिय रिजर्व बैंक का महंगाई से निपटने की पहल !!

भारतीय रिजर्व बैंक ने बढ़ती महंगाई से निपटने की पहल करते हुए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 0.75 प्रतिशत की वृद्धि करने तथा अन्य प्रमुख दरें यथावत रखने की घोषणा की है। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा के दौरान यह घोषणा की है।

सीआरआर में वृद्धि दो चरणों में की जाएगी। पहली वृद्धि 13 फरवरी को 0.50 प्रतिशत होगी और 27 फरवरी को 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। अभी सीआरआर पांच प्रतिशत है जो अब बढ़कर 5.75 प्रतिशत हो जाएगी। हालांकि रिजर्व बैंक ने मंदी से देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के तहत किए उपायों के तहत रेपो और रिवर्स रेपों में की गई कमी को जारी रखने का निर्णय लिया है। इसके तहत बैंक दर छह प्रतिशत रेपो दर 4.75 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर 3.25 प्रतिशत पर यथावत बनी रहेगी।

रिजर्व बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर चालू वित्त वर्ष में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। पहले इसके छह प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी। केन्द्रीय बैंक ने थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर को मार्च तक बढ़कर 8.5 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान जताया है जबकि पहले इसके 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी।

रिजर्व बैंक के गवर्नर डा डी सुब्बाराव ने मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा जारी करते हुए कहा कि सीआरआर में वृद्धि किए जाने से 36 हजार करोड़ रुपये बैंकिंग तंत्र से निकलेंगे। उन्होंने कहा कि कीमतों में स्थिरता से समझौता किए बगैर रिजर्व बैंक मंदी से उबरने में मदद जारी रखेगा।

भारतिय रिजर्व बैंक का महंगाई से निपटने की पहल !!

भारतीय रिजर्व बैंक ने बढ़ती महंगाई से निपटने की पहल करते हुए नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 0.75 प्रतिशत की वृद्धि करने तथा अन्य प्रमुख दरें यथावत रखने की घोषणा की है। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा के दौरान यह घोषणा की है।

सीआरआर में वृद्धि दो चरणों में की जाएगी। पहली वृद्धि 13 फरवरी को 0.50 प्रतिशत होगी और 27 फरवरी को 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। अभी सीआरआर पांच प्रतिशत है जो अब बढ़कर 5.75 प्रतिशत हो जाएगी। हालांकि रिजर्व बैंक ने मंदी से देश की अर्थव्यवस्था को उबारने के तहत किए उपायों के तहत रेपो और रिवर्स रेपों में की गई कमी को जारी रखने का निर्णय लिया है। इसके तहत बैंक दर छह प्रतिशत रेपो दर 4.75 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर 3.25 प्रतिशत पर यथावत बनी रहेगी।

रिजर्व बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर चालू वित्त वर्ष में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। पहले इसके छह प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी। केन्द्रीय बैंक ने थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर को मार्च तक बढ़कर 8.5 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान जताया है जबकि पहले इसके 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी।

रिजर्व बैंक के गवर्नर डा डी सुब्बाराव ने मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा जारी करते हुए कहा कि सीआरआर में वृद्धि किए जाने से 36 हजार करोड़ रुपये बैंकिंग तंत्र से निकलेंगे। उन्होंने कहा कि कीमतों में स्थिरता से समझौता किए बगैर रिजर्व बैंक मंदी से उबरने में मदद जारी रखेगा।

पहली बार एक वरिष्ट सेना अधिकारी का कोर्ट मार्शल !!

भारतीय सेना प्रमुख दीपक कपूर ने सुकना ज़मीन घोटाला मामले में सैन्य सचिव लेफ़्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश के ख़िलाफ़ कोर्ट मार्शल प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है ।

दो दिन पहले रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इसका निर्देश दिया था। ऐसा पहली बार है कि इतने वरिष्ठ 'थ्री-स्टार' अधिकारी का कोर्ट मार्शल होगा ।

सेना के प्रवक्ता कर्नल ओम सिंह ने बीबीसी को बताया कि सेना के अनुशासन और सतर्कता विभाग ने रक्षा मंत्रालय को इस संबंध में एक नोट भेजा है ।

बुधवार को रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सेना प्रमुख दीपक कपूर को आदेश दिया था कि वे प्रशासनिक कार्रवाई की बजाए जनरल अवधेश के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई करें ।

पिछले कुछ दिनो से प्रसार माध्यमों में ऐसी ख़बरें आईं थीं कि पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग के पास सुकना सैनिक स्टेशन के पास एक निजी संस्था को लगभग 70 एकड़ ज़मीन दी गई थी जिसमें कथित तौर पर अनियमितता बरती गई थी ।

किसी भी सेना कैंप के पास ज़मीन ख़रीदने के लिए सुरक्षा कारणों से सेना से ‘नो ऑब्जेक्शन’ प्रमाणपत्र लेना पड़ता है और इसी मामले में सेना के कुछ बड़े अधिकारियों ने कथित तौर पर गड़बड़ी की थी ।

इसमें सेना प्रमुख के सैन्य सचिव लेफ़्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश समेत चार अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं ।

इन अधिकारियों के नाम आने के बाद रक्षा मंत्री एके एंटनी ने जाँच के आदेश दिए थे और यक़ीन दिलाया था कि गड़बड़ी पाए जाने पर बड़े से बड़े अधिकारी को भी नहीं बख़्शा जाएगा ।

पहली बार एक वरिष्ट सेना अधिकारी का कोर्ट मार्शल !!

भारतीय सेना प्रमुख दीपक कपूर ने सुकना ज़मीन घोटाला मामले में सैन्य सचिव लेफ़्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश के ख़िलाफ़ कोर्ट मार्शल प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है ।

दो दिन पहले रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इसका निर्देश दिया था। ऐसा पहली बार है कि इतने वरिष्ठ 'थ्री-स्टार' अधिकारी का कोर्ट मार्शल होगा ।

सेना के प्रवक्ता कर्नल ओम सिंह ने बीबीसी को बताया कि सेना के अनुशासन और सतर्कता विभाग ने रक्षा मंत्रालय को इस संबंध में एक नोट भेजा है ।

बुधवार को रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सेना प्रमुख दीपक कपूर को आदेश दिया था कि वे प्रशासनिक कार्रवाई की बजाए जनरल अवधेश के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई करें ।

पिछले कुछ दिनो से प्रसार माध्यमों में ऐसी ख़बरें आईं थीं कि पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग के पास सुकना सैनिक स्टेशन के पास एक निजी संस्था को लगभग 70 एकड़ ज़मीन दी गई थी जिसमें कथित तौर पर अनियमितता बरती गई थी ।

किसी भी सेना कैंप के पास ज़मीन ख़रीदने के लिए सुरक्षा कारणों से सेना से ‘नो ऑब्जेक्शन’ प्रमाणपत्र लेना पड़ता है और इसी मामले में सेना के कुछ बड़े अधिकारियों ने कथित तौर पर गड़बड़ी की थी ।

इसमें सेना प्रमुख के सैन्य सचिव लेफ़्टिनेंट जनरल अवधेश प्रकाश समेत चार अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं ।

इन अधिकारियों के नाम आने के बाद रक्षा मंत्री एके एंटनी ने जाँच के आदेश दिए थे और यक़ीन दिलाया था कि गड़बड़ी पाए जाने पर बड़े से बड़े अधिकारी को भी नहीं बख़्शा जाएगा ।

हमारे देश की राष्ट्रभाषा अंग्रेजी है

हाल ही में हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है। कई बार भड़ासी इस तरह के निर्णयों से सहमत नहीं होते हैं लेकिन इस बार पूरी तरह से हमें ये तथ्य मान्य है कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है। जरा विचार करिये कि किसी भी सभ्य देश में विधि की जो भाषा है वही राष्ट्रभाषा होगी क्योंकि शासन तो विधि का ही है(Rule of law)। हमारे देश का तो अभी तक नाम भी स्पष्ट नहीं है कि ये भारत है, हिन्दुस्तान(ठाकरे के अनुसार हिंदुस्थान) है या फिर इंडिया??? हमारे देश में विधि का शासन है और हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की सारी कार्यवाही अंग्रेजी में ही होती है यानि कि अंग्रेजी ही हमारे देश(जिसका निर्धारित नाम तक नहीं है) की राष्ट्रभाषा है। बड़ी प्रसन्नता हुई ये जान कर कि इस तरह से धीरे धीरे हमारी सरकारें साफ़ करती जा रही हैं कि हम किसी भ्रम में न रहें हम अभी भी गुलाम हैं और ये देश अभी भी गोरे टोडी बच्चों का एक वैचारिक उपनिवेश है जिसे हमारी सरकारें शिक्षा के माध्यम से बड़ी ही कुटिलता से चला रही हैं।
जय जय भड़ास

हमारे देश की राष्ट्रभाषा अंग्रेजी है

हाल ही में हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है। कई बार भड़ासी इस तरह के निर्णयों से सहमत नहीं होते हैं लेकिन इस बार पूरी तरह से हमें ये तथ्य मान्य है कि हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है। जरा विचार करिये कि किसी भी सभ्य देश में विधि की जो भाषा है वही राष्ट्रभाषा होगी क्योंकि शासन तो विधि का ही है(Rule of law)। हमारे देश का तो अभी तक नाम भी स्पष्ट नहीं है कि ये भारत है, हिन्दुस्तान(ठाकरे के अनुसार हिंदुस्थान) है या फिर इंडिया??? हमारे देश में विधि का शासन है और हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट की सारी कार्यवाही अंग्रेजी में ही होती है यानि कि अंग्रेजी ही हमारे देश(जिसका निर्धारित नाम तक नहीं है) की राष्ट्रभाषा है। बड़ी प्रसन्नता हुई ये जान कर कि इस तरह से धीरे धीरे हमारी सरकारें साफ़ करती जा रही हैं कि हम किसी भ्रम में न रहें हम अभी भी गुलाम हैं और ये देश अभी भी गोरे टोडी बच्चों का एक वैचारिक उपनिवेश है जिसे हमारी सरकारें शिक्षा के माध्यम से बड़ी ही कुटिलता से चला रही हैं।
जय जय भड़ास

हिंदी के इन अक्षरों को बोल पाएंगे आपके अंग्रेजी पढ़ने वाले बच्चे :- श्र ऋ ङ ञ क्ष ष ण ळ ज्ञ ????

आजकल जिधर देखो कम्प्यूटर और तकनीकी विकास की चर्चा है। कम्प्यूटर के इस दौर में एक बेहद खतरनाक साजिश को रच कर अंजाम दिया जा रहा है और आप सब देख कर भी कुछ विरोध नहीं करते बल्कि उसे सहज ही स्वीकारते जा रहे हैं ये बुद्धि की भ्रष्टता नहीं तो और क्या है। आप सबके दिमाग में भ्रम घुसा दिया गया है कि तरक्की की भाषा अंग्रेजी है जो अंग्रेजी नहीं जानेगा वह पिछड़ जाएगा। जबकि कोई बुद्धू भी समझ सकता है कि यदि कम्प्यूटर-तकनीक विज्ञान का विकास है जो सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा है वह ही इसकी भाषा व लिपि होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा न होकर इसकी भाषा में अंग्रेजी को वरीयता दी गयी है यह इस तकनीक का अपाहिजपन नहीं तो और क्या है? वैज्ञानिकतापूर्ण भाषा की लिपि व ध्वनि का एक कुटिल तरीके से लोप करा जा रहा है क्योंकि इस तरह की ध्वनि पर आधारित विज्ञान तो हमारी सभ्यता का अंग है, अंग्रेजी पढ़ कर बड़े हुए आपके बच्चे क्या कभी जीवन भर ये समझ पाएंगे कि कण्ठ्य, मूर्धन्य, तालव्य, ओष्ठ, दन्तोष्ठ ध्वनि क्या होती हैं या अनुस्वार अथवा विसर्ग का उच्चारण कैसे करा जाता है? आप खुद देख लीजिये अपने बच्चों को जरा इन अक्षरों को दिखा कर कि क्या वे इन्हें पहचानते हैं और उनका सही उच्चारण कर पाते हैं? जब आपकी अगली पीढ़ी इन कुदरत की देन मूल ध्वनि के आशीर्वाद से वंचित हो जाएगी तो फिर क्या प्राणायाम या मंत्र जप ; सब बेअसर रहेंगे। आपके बच्चे अस्वस्थ और कमज़ोर रहेंगे जिन पर राक्षस आसानी से हावी हो जाएंगे। बच्चे तो का उच्चारण ही शायद न कर पाएंगे फिर लाभ की तो बात ही मत सोचियेगा। ये साजिश राक्षसों की है जो कि मानकी करण के नाम पर हमारी प्रभावशाली भाषा व लिपि की विरासत को समाप्त कर रहे हैं। यदि आप अभी भी न समझ सके तो आपकी आने वाली पीढ़ी का विनाश हो जाएगा ये मान लीजिये।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

हिंदी के इन अक्षरों को बोल पाएंगे आपके अंग्रेजी पढ़ने वाले बच्चे :- श्र ऋ ङ ञ क्ष ष ण ळ ज्ञ ????

आजकल जिधर देखो कम्प्यूटर और तकनीकी विकास की चर्चा है। कम्प्यूटर के इस दौर में एक बेहद खतरनाक साजिश को रच कर अंजाम दिया जा रहा है और आप सब देख कर भी कुछ विरोध नहीं करते बल्कि उसे सहज ही स्वीकारते जा रहे हैं ये बुद्धि की भ्रष्टता नहीं तो और क्या है। आप सबके दिमाग में भ्रम घुसा दिया गया है कि तरक्की की भाषा अंग्रेजी है जो अंग्रेजी नहीं जानेगा वह पिछड़ जाएगा। जबकि कोई बुद्धू भी समझ सकता है कि यदि कम्प्यूटर-तकनीक विज्ञान का विकास है जो सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा है वह ही इसकी भाषा व लिपि होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा न होकर इसकी भाषा में अंग्रेजी को वरीयता दी गयी है यह इस तकनीक का अपाहिजपन नहीं तो और क्या है? वैज्ञानिकतापूर्ण भाषा की लिपि व ध्वनि का एक कुटिल तरीके से लोप करा जा रहा है क्योंकि इस तरह की ध्वनि पर आधारित विज्ञान तो हमारी सभ्यता का अंग है, अंग्रेजी पढ़ कर बड़े हुए आपके बच्चे क्या कभी जीवन भर ये समझ पाएंगे कि कण्ठ्य, मूर्धन्य, तालव्य, ओष्ठ, दन्तोष्ठ ध्वनि क्या होती हैं या अनुस्वार अथवा विसर्ग का उच्चारण कैसे करा जाता है? आप खुद देख लीजिये अपने बच्चों को जरा इन अक्षरों को दिखा कर कि क्या वे इन्हें पहचानते हैं और उनका सही उच्चारण कर पाते हैं? जब आपकी अगली पीढ़ी इन कुदरत की देन मूल ध्वनि के आशीर्वाद से वंचित हो जाएगी तो फिर क्या प्राणायाम या मंत्र जप ; सब बेअसर रहेंगे। आपके बच्चे अस्वस्थ और कमज़ोर रहेंगे जिन पर राक्षस आसानी से हावी हो जाएंगे। बच्चे तो का उच्चारण ही शायद न कर पाएंगे फिर लाभ की तो बात ही मत सोचियेगा। ये साजिश राक्षसों की है जो कि मानकी करण के नाम पर हमारी प्रभावशाली भाषा व लिपि की विरासत को समाप्त कर रहे हैं। यदि आप अभी भी न समझ सके तो आपकी आने वाली पीढ़ी का विनाश हो जाएगा ये मान लीजिये।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास

लो क सं घ र्ष !: कैसे मिले गरीब को भोजन ?


महंगाई अपनी चरम सीमा पर है। आम आदमी की आय में कोई वृद्धि नहीं हो रही है। सरकार द्वारा सार्वजानिक वितरण प्रणाली उत्तर प्रदेश में ध्वस्त हो गयी है आपूर्ति विभाग के जिला पूर्ती अधिकारी से लेकर विपणन विभाग के अधिकारीयों तक केंद्र सरकार द्वारा सस्ते दामो पर उपलब्ध कराये खाद्यान को सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से वितरित होता है किन्तु कई सालों से आपूर्ति विभाग के अफसर फर्जी लिखा पढ़ी करवाकर गेंहू को सीधे फ्लोर मीलों को बेच देते हैं। चावल को महंगे दामो पर खुले बाजार में बेचने का काम भी करते हैं अब जनता को सस्ते दामो पर दालें भी बेचने का काम आपूर्ति विभाग के जिम्मे किया गया है। भगवान् ही मालिक होगा आज जरूरत इस बात की है की इनके अधिकारियो और कर्मचारियों की संपत्तियों की जांच हो तो 99 प्रतिशत यह लोग आर्थिक अपराधी हैं और आर्थिक अपराधियों की जगह जेल होती है लेकिन भ्रष्ट व्यवस्था में भ्रष्टाचारियों को ही व्यवस्था का प्रमुख बनाया जाता है । इस तरह से कैसे मिलेगी गरीब आदमियों की रोटी इस पर एक प्रश्नवाचक चिन्ह है ।

सुमन
loksangharsha.blogspot.com

फोटो साभार: google

लो क सं घ र्ष !: कैसे मिले गरीब को भोजन ?


महंगाई अपनी चरम सीमा पर है। आम आदमी की आय में कोई वृद्धि नहीं हो रही है। सरकार द्वारा सार्वजानिक वितरण प्रणाली उत्तर प्रदेश में ध्वस्त हो गयी है आपूर्ति विभाग के जिला पूर्ती अधिकारी से लेकर विपणन विभाग के अधिकारीयों तक केंद्र सरकार द्वारा सस्ते दामो पर उपलब्ध कराये खाद्यान को सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से वितरित होता है किन्तु कई सालों से आपूर्ति विभाग के अफसर फर्जी लिखा पढ़ी करवाकर गेंहू को सीधे फ्लोर मीलों को बेच देते हैं। चावल को महंगे दामो पर खुले बाजार में बेचने का काम भी करते हैं अब जनता को सस्ते दामो पर दालें भी बेचने का काम आपूर्ति विभाग के जिम्मे किया गया है। भगवान् ही मालिक होगा आज जरूरत इस बात की है की इनके अधिकारियो और कर्मचारियों की संपत्तियों की जांच हो तो 99 प्रतिशत यह लोग आर्थिक अपराधी हैं और आर्थिक अपराधियों की जगह जेल होती है लेकिन भ्रष्ट व्यवस्था में भ्रष्टाचारियों को ही व्यवस्था का प्रमुख बनाया जाता है । इस तरह से कैसे मिलेगी गरीब आदमियों की रोटी इस पर एक प्रश्नवाचक चिन्ह है ।

सुमन
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फोटो साभार: google

"झेंडा" बना कर अपने लिये मुसीबत पाल ली है

आज कई दिनों से देख रहा हूं कि देख रहा हूं कि अवधूत गुप्ते नाम के मराठी फिल्म निर्माता ने महान महाराष्ट्र के राजनैतिक आधार पर एक फिल्म "झेंडा" बना कर अपने लिये मुसीबत पाल ली है। सारी राजनैतिक पार्टियो के चिट्टू-पिट्टू को अपनी फिल्म दिखाते फिर रहे हैं कि भाई अभी देख कर अपने गैरकानूनी राजनैतिक सेंसर से पास कर दो तब प्रदर्शन के लिये आगे बढ़ाएं वरना बाद में उठ कर कोई भी नौटंकी शुरू कर देगा कि इसमें कि अमुक बात हमें पसंद नहीं है इसलिये हम और हमारी चिरकुट पार्टी के चूहे-छछूंदर मिल कर सिनेमा का पर्दा फाड़ देंगे। अब बेचारे गुप्ते बाबू ठाकरे से लेकर राणे तक की सहमति असहमति के मोहताज हैं कि कहीं ये गुंडे उनकी अभिव्यक्ति को आग न लगा दें। महेश मांजरेकर की बात अलग है वो अगर "शिक्षणाचा ची आईच्या घो...." यानि शिक्षा की मां का भो...... आगे क्या है आप सबको अंदाज है इसलिये महेश ने आगे का नाम लिखने की जरूरत महसूस नहीं करी। ये महेश की कहानी शिक्षा के बारे में है अब ठाकरे परिवार या राणे परिवार का तो शिक्षा से लेना देना है नहीं उन्हें तो अंग्रेजी की चाटने से फुरसत नहीं है। ये सारे मिल कर फिल्म झेंडा की एक एक रील चाट कर उसकी मैय्या करे दे रहे हैं। सेंसर बोर्ड को इस देश में समाप्त कर देना चाहिये क्योंकि अब तो सेंसर का काम राजनैतिक पार्टियां चलाने वाले कर रहे हैं पहले उनकी सहमति जरूरी हो गई है।
जय जय भड़ास

"झेंडा" बना कर अपने लिये मुसीबत पाल ली है

आज कई दिनों से देख रहा हूं कि देख रहा हूं कि अवधूत गुप्ते नाम के मराठी फिल्म निर्माता ने महान महाराष्ट्र के राजनैतिक आधार पर एक फिल्म "झेंडा" बना कर अपने लिये मुसीबत पाल ली है। सारी राजनैतिक पार्टियो के चिट्टू-पिट्टू को अपनी फिल्म दिखाते फिर रहे हैं कि भाई अभी देख कर अपने गैरकानूनी राजनैतिक सेंसर से पास कर दो तब प्रदर्शन के लिये आगे बढ़ाएं वरना बाद में उठ कर कोई भी नौटंकी शुरू कर देगा कि इसमें कि अमुक बात हमें पसंद नहीं है इसलिये हम और हमारी चिरकुट पार्टी के चूहे-छछूंदर मिल कर सिनेमा का पर्दा फाड़ देंगे। अब बेचारे गुप्ते बाबू ठाकरे से लेकर राणे तक की सहमति असहमति के मोहताज हैं कि कहीं ये गुंडे उनकी अभिव्यक्ति को आग न लगा दें। महेश मांजरेकर की बात अलग है वो अगर "शिक्षणाचा ची आईच्या घो...." यानि शिक्षा की मां का भो...... आगे क्या है आप सबको अंदाज है इसलिये महेश ने आगे का नाम लिखने की जरूरत महसूस नहीं करी। ये महेश की कहानी शिक्षा के बारे में है अब ठाकरे परिवार या राणे परिवार का तो शिक्षा से लेना देना है नहीं उन्हें तो अंग्रेजी की चाटने से फुरसत नहीं है। ये सारे मिल कर फिल्म झेंडा की एक एक रील चाट कर उसकी मैय्या करे दे रहे हैं। सेंसर बोर्ड को इस देश में समाप्त कर देना चाहिये क्योंकि अब तो सेंसर का काम राजनैतिक पार्टियां चलाने वाले कर रहे हैं पहले उनकी सहमति जरूरी हो गई है।
जय जय भड़ास

दोहे और उक्तियाँ !!


लोभ जहां, वहां नेह नहीं, झूठी मुहमल बात।


टूटा छप्पर कब तलक, सह पाये बरसात।।


(शेख फरीद)

दोहे और उक्तियाँ !!


लोभ जहां, वहां नेह नहीं, झूठी मुहमल बात।


टूटा छप्पर कब तलक, सह पाये बरसात।।


(शेख फरीद)

ओबामा को भारत और चीन के आगे बढ़ने से चिंता !!

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साफ शब्दों में चेताया है कि भारत और चीन की अर्थव्यवस्था जिस तेजी से सुधार की ओर बढ़ रही है, उसे देखते हुए अमेरिका के पिछड़ने का खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि मंदी से उबरने के बाद अमेरिका दूसरे स्थान पर रहना बर्दाश्त नहीं कर सकता।

बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस को अपने पहले संयुक्त संबोधन में ओबामा ने कहा कि मंदी के चलते नौकरी गंवाने वाले लोगों के लिए रोजगार पैदा करना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। इसके लिए उन्होंने नौकरियों की आउटर्सोसिंग करने वाली कंपनियों को मिल रहीं रियायतें खत्म करने की भी घोषणा की ।


ओबामा ने कहा कि जब भी आर्थिक सुधारों की बात आती है, लोगों को इंतजार करने को कहा जाता है। लेकिन भारत, चीन और जर्मनी जैसे देश चुपचाप नहीं बैठे हैं। वे गणित और विज्ञान को तवज्जो देते हुए अपनी अर्थव्यवस्था को लगातार मजबूत कर रहे हैं। 69 मिनट के अपने संबोधन में ओबामा ने कहा, ‘अब हम इंतजार नहीं कर सकते। हमें उन समस्याओं को दूर करना होगा, जो हमारे आर्थिक विकास में बाधक हैं।’ ओबामा के इस भाषण को मंदी के बाद देश के हालात से चिंतित अमेरिकी जनता को तसल्ली देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है


ओबामा ने कहा कि विदेशों में नौकरियों की आउटर्सोसिंग करने वालों को करों की रियायतें खत्म की जाएंगी। इसके विपरीत घरेलू रोजगार को बढ़ावा देने वाली कंपनियों को छूट मिलेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2015 तक आउटर्सोसिंग के चलते 33 लाख अमेरिकियों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ेगा। भारत में बीपीओ इंडस्ट्री को इस आउटर्सोसिंग से 71.7 अरब डॉलर की कमाई होती है।


ओबामा ने कहा कि अमेरिका अगले चार साल में दुनिया के सारे एटमी हथियारों की सुरक्षा तय करना चाहता है। उन्होंने कहा कि अप्रैल में होने वाले परमाणु सम्मेलन में वे भारत समेत 44 देशों के नेताओं से मिलकर इन हथियारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, ताकि अमेरिकियों के खिलाफ आतंकियों की तरफ से एटमी हमले की किसी भी आशंका को दूर किया जा सके।

अमेरिकी कांग्रेस में ओबामा के संबोधन के दौरान इस बार कोई टोका-टोकी या हंगामा नहीं हुआ। विपक्षी रिपब्लिकन सांसद दम साधे भाषण सुनते रहे। भारत और चीन से पिछड़ने की चेतावनी पर सांसदों ने खड़े होकर कहा, ‘हम नंबर एक हैं।’ 535 सदस्यीय कांग्रेस में सांसदों ने 80 बार खड़े होकर राष्ट्रपति के प्रस्तावों का स्वागत किया।

ओबामा को भारत और चीन के आगे बढ़ने से चिंता !!

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साफ शब्दों में चेताया है कि भारत और चीन की अर्थव्यवस्था जिस तेजी से सुधार की ओर बढ़ रही है, उसे देखते हुए अमेरिका के पिछड़ने का खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि मंदी से उबरने के बाद अमेरिका दूसरे स्थान पर रहना बर्दाश्त नहीं कर सकता।

बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस को अपने पहले संयुक्त संबोधन में ओबामा ने कहा कि मंदी के चलते नौकरी गंवाने वाले लोगों के लिए रोजगार पैदा करना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। इसके लिए उन्होंने नौकरियों की आउटर्सोसिंग करने वाली कंपनियों को मिल रहीं रियायतें खत्म करने की भी घोषणा की ।


ओबामा ने कहा कि जब भी आर्थिक सुधारों की बात आती है, लोगों को इंतजार करने को कहा जाता है। लेकिन भारत, चीन और जर्मनी जैसे देश चुपचाप नहीं बैठे हैं। वे गणित और विज्ञान को तवज्जो देते हुए अपनी अर्थव्यवस्था को लगातार मजबूत कर रहे हैं। 69 मिनट के अपने संबोधन में ओबामा ने कहा, ‘अब हम इंतजार नहीं कर सकते। हमें उन समस्याओं को दूर करना होगा, जो हमारे आर्थिक विकास में बाधक हैं।’ ओबामा के इस भाषण को मंदी के बाद देश के हालात से चिंतित अमेरिकी जनता को तसल्ली देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है


ओबामा ने कहा कि विदेशों में नौकरियों की आउटर्सोसिंग करने वालों को करों की रियायतें खत्म की जाएंगी। इसके विपरीत घरेलू रोजगार को बढ़ावा देने वाली कंपनियों को छूट मिलेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2015 तक आउटर्सोसिंग के चलते 33 लाख अमेरिकियों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ेगा। भारत में बीपीओ इंडस्ट्री को इस आउटर्सोसिंग से 71.7 अरब डॉलर की कमाई होती है।


ओबामा ने कहा कि अमेरिका अगले चार साल में दुनिया के सारे एटमी हथियारों की सुरक्षा तय करना चाहता है। उन्होंने कहा कि अप्रैल में होने वाले परमाणु सम्मेलन में वे भारत समेत 44 देशों के नेताओं से मिलकर इन हथियारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, ताकि अमेरिकियों के खिलाफ आतंकियों की तरफ से एटमी हमले की किसी भी आशंका को दूर किया जा सके।

अमेरिकी कांग्रेस में ओबामा के संबोधन के दौरान इस बार कोई टोका-टोकी या हंगामा नहीं हुआ। विपक्षी रिपब्लिकन सांसद दम साधे भाषण सुनते रहे। भारत और चीन से पिछड़ने की चेतावनी पर सांसदों ने खड़े होकर कहा, ‘हम नंबर एक हैं।’ 535 सदस्यीय कांग्रेस में सांसदों ने 80 बार खड़े होकर राष्ट्रपति के प्रस्तावों का स्वागत किया।