आजकल जिधर देखो कम्प्यूटर और तकनीकी विकास की चर्चा है। कम्प्यूटर के इस दौर में एक बेहद खतरनाक साजिश को रच कर अंजाम दिया जा रहा है और आप सब देख कर भी कुछ विरोध नहीं करते बल्कि उसे सहज ही स्वीकारते जा रहे हैं ये बुद्धि की भ्रष्टता नहीं तो और क्या है। आप सबके दिमाग में भ्रम घुसा दिया गया है कि तरक्की की भाषा अंग्रेजी है जो अंग्रेजी नहीं जानेगा वह पिछड़ जाएगा। जबकि कोई बुद्धू भी समझ सकता है कि यदि कम्प्यूटर-तकनीक विज्ञान का विकास है जो सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा है वह ही इसकी भाषा व लिपि होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा न होकर इसकी भाषा में अंग्रेजी को वरीयता दी गयी है यह इस तकनीक का अपाहिजपन नहीं तो और क्या है? वैज्ञानिकतापूर्ण भाषा की लिपि व ध्वनि का एक कुटिल तरीके से लोप करा जा रहा है क्योंकि इस तरह की ध्वनि पर आधारित विज्ञान तो हमारी सभ्यता का अंग है, अंग्रेजी पढ़ कर बड़े हुए आपके बच्चे क्या कभी जीवन भर ये समझ पाएंगे कि कण्ठ्य, मूर्धन्य, तालव्य, ओष्ठ, दन्तोष्ठ ध्वनि क्या होती हैं या अनुस्वार अथवा विसर्ग का उच्चारण कैसे करा जाता है? आप खुद देख लीजिये अपने बच्चों को जरा इन अक्षरों को दिखा कर कि क्या वे इन्हें पहचानते हैं और उनका सही उच्चारण कर पाते हैं? जब आपकी अगली पीढ़ी इन कुदरत की देन मूल ध्वनि के आशीर्वाद से वंचित हो जाएगी तो फिर क्या प्राणायाम या मंत्र जप ; सब बेअसर रहेंगे। आपके बच्चे अस्वस्थ और कमज़ोर रहेंगे जिन पर राक्षस आसानी से हावी हो जाएंगे। बच्चे तो ॐ का उच्चारण ही शायद न कर पाएंगे फिर लाभ की तो बात ही मत सोचियेगा। ये साजिश राक्षसों की है जो कि मानकी करण के नाम पर हमारी प्रभावशाली भाषा व लिपि की विरासत को समाप्त कर रहे हैं। यदि आप अभी भी न समझ सके तो आपकी आने वाली पीढ़ी का विनाश हो जाएगा ये मान लीजिये।
जय नकलंक देव
जय जय भड़ास
nice
ReplyDeleteबेहतरीन आलेख है आपने सच लिखा है कि ये साजिशन करा जा रहा है
ReplyDeleteजय जय भड़ास
वाह क्या खूब कहा,
ReplyDeleteशानदार लिखा,
बधाई.
जय जय भड़ास