एक पत्रकार था एक दिन वो मर गया....... प्रभाष जोशी नहीं रहे।

हिन्दी पत्रकारिता के समकालीन श्रेष्ठ प्रभाष जोशी (72 वर्ष) नहीं रहे। दिल का दौरा पड़ने के कारण गुरुवार मध्यरात्रि के आसपास गाजियाबाद की वसुंधरा कॉलोनी स्थित उनके निवास पर उनकी मृत्यु हो गई। उनकी पार्थिव देह को विमान से शुक्रवार दोपहर बाद उनके गृह नगर इंदौर ले जाया जाएगा जहां उनकी इच्छा के अनुसार, नर्मदा के किनारे अंतिम संस्कार होगा। सुबह जैसे ही उनके दोस्तों, प्रशंसकों और उनका अनुसरण करने वाले लोगों को उनकी मृत्यु की जानकारी मिली तो सभी स्तब्ध रह गए। समूचा पत्रकारिता जगत उनके इस तरह से दुनिया छोड़कर चले जाने से शोक संतप्त है। हर पत्रकार उन्हें अपने अपने अंदाज में श्रृद्धांजली दे रहा है। क्रिकेट के रसिया और लेखक प्रभाष जोशी दिल का दौरा पड़ने से ठीक पहले भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रहा वनडे क्रिकेट मैच देख रहे थे। बेचैनी होने पर उन्हें समीप के नरेन्द्र मोहन अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत पाया।
प्रभाष जोशी आजकल 'तहलका हिंदी' के लिये लिखते थे।
विरोधियों के खेमे में जोशी अपने-अपने अंदाज में श्रृद्धांजली देने वाले पत्रकारों की फौज के उत्पत्तिकर्ता रहे। कुल मिला कर ये कि एक आदमी था एक दिन वो मर गया जब तक जिन्दा था लोग प्रशंसा भी करते थे और निंदा भी लेकिन मुर्दापरस्तों की बस्ती में अब प्रभाष जोशी अपने अच्छे कामों के लिये याद करे जाते रहेंगे। भड़ास परिवार उनके निधन पर शोकाकुल परिवार के साथ है। ईश्वर प्रभाष जी को शांति दे।

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