आज-तक, बाबा रामदेव और प्रभु चावला.

बाबा रामदेव का हमेशा कुछ न कुछ नया पैंतरा चलता रहता है, सुर्खियों में रहने का शौकीन ये बाबा सुर्खियाँ बनाता है और हमारे देश की निकम्मी मीडिया इस दो टकेके बाबा के पीछे बाइट्स के लिए यूँ भागती है जैसी की ख़बर के बाजार में वो पीछे ना रह जाए मगर इस बाजारू पत्रकारिता ने बड़े बड़े भीष्म को भी चकले का दलाल बना डाला है.

देश हित के बहाने स्वयं हित, दुनिया के दुसरे देशों में द्वीप खरीदना और देश हित की बात करना इस दोगले बाबा की पुरी कहानी कह जाता है।

लेखनी से हो सकता है मजबूती हो मगर जब टी वी पर टी टुडे का समूह संपादक आता है तो लगता है की खबरिया चैनल के बीच में जॉनी लीवर का कॉमेडी शो आ गया हो। कहने को सीधी बात उदेश्य पत्रकारिता के मध्यम से समाज के जिम्मेदार लोगों की जिम्मेदारी को सामने लाना परन्तु हिन्दुस्तान के इस सर्वाधिक तेज चैनल के सीधी बात पर प्रभु जी सीधी बात कम और मनोरंजन या कहिये करतब दिखाते ज्यादा नजर आते हैं।
बीते दिनों इसी कार्यक्रम में प्रभु जी प्रभु प्रभु करते योग से भोग की और जाते बाबा रामदेव के साथ नजर आए। जहाँ प्रभु चावला बाबा के बहाने आज तक को बेच रहे थे वहीँ बाबा रामदेव इस मंच पर खड़े होकर आने वाले भारत के एकमात्र हितैषी, दर्शन करता भारत निर्माता होने का दंभ भर रहे थे।
आख़िर ऐसा क्यूँ होता है की ख़बर बेचने के लिए मीडिया किसी को भी खरीदने बेचने के लिए तैयार रहता है और चौथा पाया होने का दंभ भरता है।
भारत हित आंकडे से लेकर वित्तीय व्यवस्था पर, सामजिक सरोकार से लेकर तंत्र तक पर बाबा अपना विचार मढ़ रहा था जिसे प्रभु चावला आत्मसात कर रहा था।
क्या इलेक्ट्रो त्रिदोष ( ई टी जी ) के बारे में बाबा को नही पता या मीडिया को नही पता जो वो भारतीय पद्दति है जिस से आप ई सी जी के बजाय चिकित्सा में उपयोग कर सकते हैं। डाक्टर देशबंधु जी के इस आविष्कार के बारे में बाबा को भी पता है और मीडिया को भी मगर बाबा को अपने योग और अपने यहाँ के निर्मित दवा बेचने के बाद बाहर अपना सामियाना बनने के लिए अर्थ का जुगाड़ होता है देशबंधु सरीखा लोग तो तुच्छ हैं क्यूँकी इस ढोंगी रामदेव की तरह बाजारवाद के बजे इस आविष्कार को देश को देना चाहते हैं।
बाबा से लेकर मीडिया तक सभी स्स्स्स....... चोर हैं।
क्या बाबा राम देव क्या प्रभु चावला सभी दो टके के लिए खोल कर बैठे हैं.......
जय जय भड़ास

5 comments:

  1. अग्नि बेटा बुंदेलखंड में एक कहावत है ...
    जैसे असू बैसे बसू
    न जे कछू न बे कछू

    रामदेव हों या प्रभु चावला सब एक जैसे ही प्रतीत होने लगे हैं। ई टी जी पर इंडिया न्य़ूज साप्ताहिक पत्रिका में वंदना भदौरिया ने एक स्टोरी करी है। उसमें भी वंदना बहन ने साफ़ शब्दों में लिखा है कि बाबा रामदेव अपनी प्रसिद्धि में से किसी को हिस्सा नहीं देना चाहते
    जय जय भड़ास

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  2. बाजारू पत्रकारिता may बड़े बड़े भीष्म भी चकले kay दलाल है.

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  3. भाई बेहतरीन है एक जैसे लोगों की जमात बैठी है तो यही होगा कि दूसरे देश में द्वीप खरीदने वाले और उनकी लोकप्रियता से दुकान चमकाने वाले सब एक साथ रहें इसी में उनका हित है
    जय जय भड़ास

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  4. बाबा रामदेव से योग की बजाय इधर उधर की बातें करना पृश्न करने वाले की ननीयत को बताता है

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  5. बाबा रामदेव से योग की बजाय इधर उधर की बातें करना पृश्न करने वाले की नीयत को बताता है

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