आईआरएस के 2007 के आंकड़े बताते हैं कि मीडिया केवल अपना बाजार देखता है। आखिर कौन सी वजह है कि आजादी के 60 वर्ष बाद तक महिला जनसंख्या तक मीडिया की पहुंच काफी कम रही है। इसके कारण चाहे जो भी हो लेकिन इसे शुभ संकेत नहीं माना जा सकता क्योंकि लोकतंत्र में लिंग असमानता का कोई प्रश्न ही नहीं खड़ा होता। फिर मीडिया की यह प्रवृत्ति संविधान के खिलाफ भी है। आखिर क्या हो भारतीय लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका आगे पढने के लिए क्लिक करें
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