लो क सं घ र्ष !: मोहित असुरो को कर ले...


अरी ! युक्ति तू शाश्वत ,
मोहिनी रूप फिर धर ले
अमृत देवो को देकर,
मोहित असुरो को कर ले

बुद्धि कभी, चातुर्य कभी,
विधि तू कौशल्य निपुणता
युग-तपन शांत करने को,
है कैसी आज विवशता

कल्याणी शक्ति अमर ते ,
निज आशा वि्स्तृत कर दो,
वातायन स्वस्ति विखेरे ,
महिमामय करुणा वर दो

डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल 'राही'

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