मैं इस बात को स्वीकारता हूं कि मुझे राजनीति की समझ नहीं है लेकिन विभिन्न संगठनों का समय समय पर जो लोक व्यवहार देखता हूं उससे तमाम राजनैतिक दलों और धार्मिक संगठनों के कर्ता-धर्ताओं की सोच का अनुमान लगता है। मुंबई में शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का एक साझा व्यवहार रहा है कि जो दूसरे राज्यों से आए लोग हैं उन्हें अपनी राजनीति का मुद्दा बनाए रखा जाए। जर-जरा सी बात पर तमाम हिंदू-मुस्लिम संगठन के नेतागण सड़कों पर उतर कर ड्रामेबाजी करने लगते हैं। इन सभी संगठनों के ऊपर मैं आज खुल कर एक आरोप लगा रहा हूं कि अगर शिवसेना, मनसे, बजरंग दल, विश्वहिंदू परिषद, सभी इस्लामी संगठनों में समलैंगिक नेता नहीं हैं या कार्यकर्ता समलैंगिक नहीं हैं तो कल जो तुम्हारे मुंह पर मूता जाने वाला है गिरगांव चौपाटी पर उसे रोक कर दिखाओ। अभी ये सारे कहेंगे कि ये तो कानूनी मान्य हो गया है तो नपुंसकों , कायरों, षंढों जाकर अपने घरों में दुबक जाना और तब बाहर आना जब किसी हिंदीभाषी को पीटना हो, किसी बाबरी मस्जिद को विध्वंस करना हो या फिर किन्हीं हिंदुओं का घर जलाकर उनकी औरतों के साथ बलात्कार करना हो; ये सब तुम्हारे लिये कानूनी रहता है पाखंडियों। मुझे पता है कि तुम चुप्पी साध जाओगे किसी फ़ादरजात में दम नहीं है कि देश की सभ्यता और सामाजिक संस्कारों की खुलेआम धज्जियां उड़ाने वाले इन हरामियों को डंडा डाल सके। तुम सालों बस हिजड़ों की तरह तालियां बजाकर "वेलेन्टाइन डे" का विरोध करना और इस्लाम की दुहाई देकर बकैती करना। जगह और समय बता रहा हूं अगर दम है दाढ़ी वालों से लेकर तिलकधारी चुटिया वालों किसी में भी तो इन्हें रोक कर दिखाओ वरना मैं ही नहीं सभी भड़ासी तुम सबको इनके जैसा मानेंगे।
जय जय भड़ास
good
ReplyDeleteक्या बात है सुमन भाई बस good????
ReplyDeleteजय जय भड़ास
मैं इस तरह की समाज को साजिशन दूषित करी जाने वाले नीच कार्यों की भर्त्सना करती हं और सभी को आगाह करती हूं कि ये साधारण बात नहीं है ये हमारी नौजवानों और आने वाली पीढ़ियों के संस्कारों को निंदनीय स्थिति में ले जाने का षडयंत्र है जिसे सभ राजनेता और धर्म के ठेकेदार तमाशे की तरह देख रहे हैं। इन सबको आने वाले समय में पछताना पड़ेगा। मुनेन्द्र भाई अच्छा लिखा आपने लेकिन ये सब के सब वाकई में षंढ हैं मैं तो दुर्दैववश हूं ये सारे बने हुए हैं।
ReplyDeleteजय जय भड़ास
what was this???
ReplyDeleteA person's sexual orientation is his/her personal choice. noone has any right to be judgmental on that.
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