--------उम्मीद कि किरण-------------मेरा दर्द

तेरे आने की ख़बर
ख़ुद की धडकनों से छुपा रखी थी ....

जगमगा रही थी वोह रात कुछ इस कदर !!!
वोह रात मैंने अंधेरो से बचा रखी थी .....

तेरी तस्वीर भी बोल उठी के उससे मुझसे मोहब्बत है !!!
तेरी तस्वीर को सीने से जो , लगा रखी थी ....

आसान है ऐसे में ,आंखों में से अश्को का बह जाना !!!
पर तेरे लिए ,मैंने इस चेहरे पर एक मुस्कान सी सजा रखी थी ...

एक पल के लिए भी तुझे भूला नही मैं !!!
कैसे भूलता तुझे ,तेरी खुसबू को इन साँसों में जो मैंने , बसा रखी थी ....

"अमित " आज गुनगुना रहा है वोह ग़ज़ल !!!
जो तुझे पहली मुलाक़ात में मैंने , सूना रखी थी ....

"अमित " को था यह पुरा यकीन ,के एक दिन हम मिलेंगे ज़रूर !!!!
कैसे bujhti वोह उम्मीद की किरण , दिल में अपने जो जला रखी थी ....

1 comment:

renu said...

apni ummedon ka bayan amit ji ne bakhoobi se kiya hai ...dil me utar gayi baaten ...

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