अब भड़ास पर पोस्ट को सीधे ई-मेल से भेजिये बिना सदस्यता लिये

रिश्तों के अधिकतर आयामों में पाखंड इस कदर घुस गया है कि रिश्ते का असली चेहरा ही नहीं समझ आता। एक कंपनी का मालिक अपने मैनेजर को मना करता है कि आफ़िस में "भड़ास" मत देखो, पति अपनी पत्नी को डांटता है कि "भड़ास" मत देखो, बाप अपनी बेटी की छाती पर चढ़ा जा रहा है कि "भड़ास" पर अगर तेरा नाम या तस्वीर दिखी तो रुपया-पैसा,पढ़ाई-लिखाई,खाना-पीना सब बंद........।
जिनकी जीवन शैली ही पाखंड पर टिकी है वो भला भड़ास की ऊर्जा कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं? जब मैंने बहुत सारे लोगों से इस पीड़ा को सुना कि उन्हें भड़ास से इस तरह अलग करा जाता है कि यदि उनका नाम या तस्वीर भड़ास पर दिखी तो बस ..... फ़ायर......। इस तरह की समस्या हमारे लिये कोई नयी नहीं है अनेकों बार इस तरह का तिरस्कार और बहिष्कार झेला है, सुनियोजित षडयंत्रों का मुकाबला करा है। अब हम सब इसके आदी हो चले हैं। भड़ास पर भड़ासियों के नामों की एक बेहद लंबी फ़ेहरिस्त लगी थी जो कि हरामी किस्म के लोगों की आंखों में चुभा करती थी, एक एक नाम एनाकोन्डा अजगर की तरह उन पाखंडियों की छाती पर लोटता रहता था। प्रताड़ना का दौर शुरू हो गया था इस कारण उपाय तलाश लिया कि अब भड़ास पूर्णतया लोकतंत्र की शैली में गोपनीयता भी रखेगा यदि कोई भड़ासी इन कारणों से अपनी पहचान गुप्त रखना चाहे या फिर भड़ास की सदस्यता लिए बिना ही भड़ास पर लिखना चाहे।
अब आप सब भड़ास पर सीधे ही लिख सकते हैं इसके लिये सदस्यता की अनिवार्यता नहीं है, न ही आपको अपने ब्लागर एकाउंट में जाना है और नई पोस्ट की विन्डो खोलना पड़ेगा। एकदम सीधा तरीका है जिसके लिये आप अपने Gmail खाते से ही लिख कर पोस्ट कर दीजिये इस पते पर........
bharhaas.bhadas@blogger.com
बस पहुंच गयी आपकी पोस्ट भड़ास तक और इसमें आपका नाम न आकर "भड़ास" नाम आएगा। है न सरल तरीका तो फिर देर किस बात की है शुरू हो जाइये धांय-धांय-धूम-धड़ाम....।
जय जय भड़ास

1 comment:

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

डाक्टर साहब,
सबसे पहले आपको बधाई,
ये इस खुले मंच पर क्रांति है कि आप निसंकोच बस अपना मेल बॉक्स खोलिए और सीधा भड़ास पर अपने भड़ास के लिख डालिए.
तमाम भडासी बंधू के बधाई और सभी मित्रजन के आमंत्रण कि बस कोई बंदिश नहीं कोई मेल का शिकवा नहीं सीधे अपने लेख के भड़ास पर लिख डालिए.

धन्यवाद

जय जय भड़ास

Post a Comment