मतगणना प्रारम्भ है, रुझान के साथ परिणाम भी सामने आ रहे हैं और खबरिया चैनल ख़बरों की होड़ में प्रतिस्पर्धा के साथ जुटी हुई है, मगर रुझान और परिणाम ने अगर किसी को तमाचा जडा है तो वो मीडिया मात्र है। अन्तिम चरण के मतदान की समाप्ति के बाद ही एग्जिट पोल और और संभावना को लेकर मीडिया ने व्यापक प्रचार प्रसार किए सारी संभावनाओं पर विवेचना कर डाली मगर क्या मीडिया का फोरकास्ट वास्तविकता से सम्बद्ध था ?
ब्लॉग जगत में अनकही भी अपने सहयोगी के साथ सम्भावना को लेकर उपस्थित था और परिणाम के सन्निकट मीडिया को मात देते हुए ब्लाग ने अपनी सार्थकता और उपयोगिता साबित की। तस्वीरों से जाहिर है कि संभावना के करीब कौन पहुँचा .... मीडिया या भड़ास ?अफवाह और स्वयं विवेचना के बजाय मीडिया का गैरजिम्मेदाराना व्याख्या नि:संदेह लोकतंत्र के लिए प्रश्न छोर रहा है।
बाजारवाद में जिस तरह से मीडिया लोकतंत्र का हनन कर अपने अपने ख़बर को बेचने की कवायद में लोगों के विश्वास को बाजार की भेंट चढा रहे हैं चिंतनीय है।
क्या आने वाले दिनों में मीडिया कि इस हड़कत पर लगाम लगेगी जो लोकतंत्र कि स्वस्थ परम्परा को चोटिल करे ?
परिणाम आने वाला है, सरकार भी बनेगी और देश विकाश कि और अग्रसर भी होगा मगर लोकतंत्र में लोक की आवाज मीडिया अपनी जिम्मेदारी को समझ चौथा खम्भा मजबूत होगा या बाजारवाद पर लोग्तंत्र कि जड़ खोदेगा ?
चुनाव सर्वेक्षण साभार : - इंगेजवोटर डट कॉम
मिडिया और ब्लोग्ज़ की दुनिया के लोग एक है जगह से आते हैं. इनमें से कोई भी, जानबूझकर, गलत अनुमान नहीं देना चाहेगा. और फिर तुक्का तो तुक्का ही होता है, हर बार सही लगे, ज़रूरी नहीं.
ReplyDeleteकाजल जी! शायद कह रहे हैं कि "तू कहे मैं ब्लाग का जाया तो आन द्वार से क्यों नहीं आया"...
ReplyDeleteकाजल बाबू ब्लागिंग का क्षेत्र ही ऐसा क्षेत्र है जहां हमारे जैसे जले-भुने-कुढ़े हुए लोग मीडिया की कमियों को बता कर उनके समाधान दे सकते हैं ये समानान्तर है मीडिया के लेकिन परम्परागत मीडिया से बिलकुल अलग है जहां घरेलू महिला से लेकर बच्चे तक लिखते हैं। भाई लोकतंत्र है सबको अपनी पेलने का हक है तो ब्लागर भी अपनी-अपनी पेले पड़े हैं
जय जय भड़ास
काजल भाई से सहमत हूँ गुरुदेव की मीडिया हर बार सही नहीं हो सकती मगर प्रश्न तो अलग है की मीडिया हर बार ही गलत होती है.
ReplyDeleteजय जय भड़ास