मिडिया और ब्लोग्ज़ की दुनिया के लोग एक है जगह से आते हैं. इनमें से कोई भी, जानबूझकर, गलत अनुमान नहीं देना चाहेगा. और फिर तुक्का तो तुक्का ही होता है, हर बार सही लगे, ज़रूरी नहीं.
काजल जी! शायद कह रहे हैं कि "तू कहे मैं ब्लाग का जाया तो आन द्वार से क्यों नहीं आया"... काजल बाबू ब्लागिंग का क्षेत्र ही ऐसा क्षेत्र है जहां हमारे जैसे जले-भुने-कुढ़े हुए लोग मीडिया की कमियों को बता कर उनके समाधान दे सकते हैं ये समानान्तर है मीडिया के लेकिन परम्परागत मीडिया से बिलकुल अलग है जहां घरेलू महिला से लेकर बच्चे तक लिखते हैं। भाई लोकतंत्र है सबको अपनी पेलने का हक है तो ब्लागर भी अपनी-अपनी पेले पड़े हैं जय जय भड़ास
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मिडिया और ब्लोग्ज़ की दुनिया के लोग एक है जगह से आते हैं. इनमें से कोई भी, जानबूझकर, गलत अनुमान नहीं देना चाहेगा. और फिर तुक्का तो तुक्का ही होता है, हर बार सही लगे, ज़रूरी नहीं.
काजल जी! शायद कह रहे हैं कि "तू कहे मैं ब्लाग का जाया तो आन द्वार से क्यों नहीं आया"...
काजल बाबू ब्लागिंग का क्षेत्र ही ऐसा क्षेत्र है जहां हमारे जैसे जले-भुने-कुढ़े हुए लोग मीडिया की कमियों को बता कर उनके समाधान दे सकते हैं ये समानान्तर है मीडिया के लेकिन परम्परागत मीडिया से बिलकुल अलग है जहां घरेलू महिला से लेकर बच्चे तक लिखते हैं। भाई लोकतंत्र है सबको अपनी पेलने का हक है तो ब्लागर भी अपनी-अपनी पेले पड़े हैं
जय जय भड़ास
काजल भाई से सहमत हूँ गुरुदेव की मीडिया हर बार सही नहीं हो सकती मगर प्रश्न तो अलग है की मीडिया हर बार ही गलत होती है.
जय जय भड़ास
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