इरशाद अली ने दिल से थूका और दिमाग से चाटा

ये रहा इस बात का प्रमाण कि इरशाद बाबू मनीषा दीदी की टिप्पणी के बाद छ्टपटा गये तो उत्तर देने लपके और उसी कतार में जब भाई डा.रूपेश श्रीवास्तव और भाई रजनीश झा ने टिप्पणी लिखी तो बिलबिला कर दिल से जो निकला लिख बैठे लेकिन फिर बनियापे के दिमाग ने बताया होगा कि गलत आदमियों से पंगा ले रहे हो ये भड़ासी हैं यशवंत सिंह की तरह लालची लाला जी नहीं हैं जिन्हें विमोचन का तेल लगाया जा सके। देख लीजिये इसको ही थूकना और चाटना कहते हैं अब एडिटिंग की दुहाई मत देना इरशाद बाबू। हम सबके दिमाग की जांच करवाओ। खुद कहते हो कि ब्लागिंग पर किताब लिखे हो भारत में पहली लेकिन इतना नहीं जानते कि अपने हगे को पूरी तरह साफ़ करने का भी विकल्प होता है।

5 comments:

  1. देखिये ये गंदी बात है इरशाद बाबू जैसे सभ्य लोग न तो थूकते हैं न ही मूतते हैं न ही हगते हैं.... ये सब तो असभ्यों के काम हैं यशवंत सिंह जैसे सभ्य लोग जिनकी किताब का विमोचन करते हैं वो भला क्यों थूकेंगे?
    जय जय भड़ास

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  2. बहुत-बहुत शुक्रिया डाक्टर साहब आपका, और मनीषा जी का तो दिल से आभार। आज ही आपकी पोस्ट पढ़ी, कहा जा सकता है कि ब्लागिंग एक जिन्दा क्रिया कलाप है, आपने इतनी शौहरत दिलायी, इसका वाकई में शुक्रगुजार हूं, हमें इस लायक तो समझा कि एक पूरी पोस्ट लिख दी जाए। आपकी वजह से चार लोग और जान गए। आशा है अपना स्नेह ऐसे ही बनाए रखेगें।

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  3. आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    आपका ये पोस्ट कुछ अलग सा है और काफी अच्छा है! लिखते रहिये!

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  4. हा हा हा हो हो हो हो ही ही ही ही

    बहुत खूब भैये, सच को आइना दिखाना, इरशाद अली मिमिया रहे हैं, और हाँ यशवंत का जिक्र गुरुदेव ने खूब किया.
    वो कहते हैं न चोर चोर मौसेरे भाई.

    जय हो
    जय जय भड़ास

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  5. इरशाद भाई अभी तो आपकी प्रसिद्धि का दौर शुरू हो गयी है अभी आगे के एपिसोड्स भी जारी करे जाएंगे परेशान मत होइये, आप हुए,आपके गुरूजी यशवंत हुए और उनके चम्मच श्री संजय सेन सागर हुए; आप सबके हिस्से में बहुत सारी प्रसिद्धि मालिक ने लिखी है आपको ऐसी और हमें वैसी (कु)बुद्धि देकर।
    जय जय भड़ास

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