दुनिया का सबसे बड़ा हिंदी का कम्युनिटी ब्लाग यानि कि "पंखों वाली भड़ास" जो कि अब तक भड़ास हुआ करता था जब उसने देखा कि यहां भड़ास का दर्शन तो मर गया है लेकिन दुकान तो भड़ास के नाम पर ही सजी हुई है तो क्या करा जाए। माडरेटर ने अपनी हीनभावना के चलते अच्छे-खासे "भड़ास" पर blog शब्द की फूल-माला चढ़ा कर ये सिद्ध करना शुरू कर दिया कि ये ब्लाग ही कोई इसे कुछ और न समझ ले क्योंकि यहां आने वाले और जुड़ने वाले तो एकदम जाहिल ही हैं(ये निर्णय माडरेटर महामहोपाध्याय स्वयं अपनी हीनभावना के चलते स्वयं ही ले लेते हैं या उनके अग्रज और नजदीकी ऐसी महाबौद्धिक सलाहें देते हैं यह एक वैसा ही रहस्य है जैसे की दुनिया की उत्पत्ति)। पंखों वाली भड़ास अब भड़ास की दरगाह है जहां मासूम लोग साल भर चलने वाले संवेदनाओं के उर्स में आते रहते हैं।
अभी दरगाह पर एक मुरीद की संवेदना के फूल आए हैं , इंदौर के पत्रकार कुलदीप का राष्ट्रपति को स्वेच्छा से मरने के विषय में पत्र; भाई! शो केस में अगर इस तरह के आइटम नहीं सजाए जाएंगे तो कैसे पता चलेगा कि हिंदी की दुनिया में सबसे बड़ा इनका ही है.....ब्लाग।
जय जय भड़ास
सोनी जी,
ReplyDeleteआते ही पहले पोस्ट में धमाका किया, शानदार आगाज के लिए आपको बधाई.
इस पंखे वाले ब्लॉग को यशवंत ने जिस तरह से बेचा है वो किसी को भाये किसी को सुहाए, मगर जिसने भड़ास को आत्म सात किया है और जो आज भी बदास को जीता है वो जानता है की भड़ास की सच्चई क्या है.
धन्यवाद इस शानदार पोस्ट के लिए.
जय जय भड़ास
मुनेन्द्र भाई क्या दादा कोंडके की कोई फिल्म देख कर पोस्ट लिखने बैठे थे लेकिन जो भी लिखा है वह शानदार है मुखौटा नोचने वाले नाखून ऐसे ही धारदार और नुकीले चाहिये वरना ये पाखंडी इसी तरह से हमें बेनामी गालियां देते रहेंगे और दुनिया के सामने साधु बने रहेंगे। बड़े सुन्दर और अद्भुत शब्दों का समायोजन करा है।
ReplyDeleteजय जय भड़ास
अरे बापू....क्या धांसू लिखाई है
ReplyDeleteजम कर पेला है साले चिरकुट ब्लागर को बड़ा आया साला दुनिया का सबसे बड़ा ......
ये आदमी दुनिया का सबसे बड़ा कमीना है बस और कुछ नहीं...
जय जय भड़ास