जिएं ऐसे की कल हो अंत, सिखें इतना की जीवन हो अनंत।
दहेज मांगकर आप अपना सम्मान तो खोते ही हैं, साथ ही भिखारी होने का प्रमाण भी देते हैं।
क्रोध से मनुश्य दूसरों की बेइज्जती ही नहीं करता, बल्कि अपनी प्रतिश्ठा भी गंवाता है।
- (सौजन्य से: लाला रामनारायण रामस्वरूप)
ह्रदेश भाई,
ReplyDeleteस्वागत है आपका, वैसे ये कह कर मैं ख़ुद शर्मिन्दा हो रहा हूँ,
इस संदेश्वाचक पोस्ट के माध्यम से आपने भड़ास परिवार में वापस आए हैं.
पंखे वाले भड़ास से यशवंत ने आपको मेरे ही नाम पर मेरे कंधे पर बन्दूक चला कर आपको बाहर किया था मगर अब आप परिवार में वापस शरीक हो चुके हैं.
संतों की बेहतरीन वाणी के लिए आपको बधाई.
जय जय भड़ास
भाई आप हम सब में वापस आ गये इससे बड़ा शुभ शकुन और क्या हो सकता है। सुखद है आपकी वापसी भड़ास परिवार में इस पोस्ट के साथ...
ReplyDeleteजय जय भड़ास
रजनीश मामू ये शर्मिन्दगी वाला क्या आईटम है अपने को भी बताना कभी.... क्या भाई को दुःखी करा था आपने??
ReplyDeleteजय जय भड़ास
रजनीश भाई शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है जो भी हमारे साथ हुआ है उसकी ही सहज प्रतिक्रिया का नतीजा है भड़ास का पुनर्जन्म। भाईसाहब फिर से हमारे बीच हैं खुशी है इस बात की जबकि सच तो ये है कि दिल से दूर हुए ही नही ये रिश्ते....
ReplyDeleteजय जय भड़ास