याद नही वो दिन जो चले गए
शायद देखा एक सपना
सपने में दिखा उजाला
सपना टूट गया
अन्धेरें रह गए
याद नही वो पल जो चले गए
चाँद सितारों की बातें
अब नही कहना
मर मर के अब
नही जीना
अबतक तो
मर मर के ही जीते रहे
याद नही वो दिन जो चले गए
आशा की किरणों से
मेरा नाता टूट गया
आगे मै बढ़ चला
कुछ पीछे छुट गया
अबतक तो
ऐसे ही चलते रहे
याद नही वो दिन जो चले गए
मार्कण्डेय भाई आपका स्वागत है आशा है कि भड़ास के मूल दर्शन को समझ रहे हैं कि भड़ास किस लिये अस्तित्त्व में है। यहां भीड़ नहीं भड़ासी चाहिये इसलिये रचनात्मक ऊर्जा को आकार देते रहिये
ReplyDeleteजय जय भड़ास
aapake sujhaaw ka dhyan rakhuga...
ReplyDelete