एक दम्पति पर प्रसन्न हो भगवान ने वरदान माँगने को कहा।
पत्नी बोली- 'मेरी इच्छा है कि मुझे रोज नए-नए आभूषण पहनने को मिलें।'
यह सुनकर पति को लगा कि वह तो लुट गया।
उसने भगवान से कहा- 'हे प्रभु, मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि मैं जौहरी की दुकान पर हाथ साफ कर सकूँ।'
भगवान बोले- 'तथास्तु, मैं अति प्रसन्न हूँ वत्स।
तुमने तो मेरी चिंता ही दूर कर दी।
मैं दुविधा में था कि रोज नए-नए आभूषण का इंतजाम कहाँ से करूँगा।'
प्रशांत भाई सुंदर है लेकिन गूगल पेज क्रिएटर पर नए साइन अप नहीं स्वीकार रहा है। आप ने जो लिंक दिया था उसे देखा अच्छा है। आशा है कि अन्य लोग भी आपके प्रयोग को करना चाहेंगे लेकिन यदि आप स्वयं चरण बद्ध तरीके से ये काम करना बताएं तो जरा भड़ास पर चल रहे व्यर्थ के विवाद से अलग हट कर एक रचनात्मक दिशा मिलेगी आपका क्या विचार है?
ReplyDeleteजय जय भड़ास
डॉ साहब परसांत भाई का जादू चल गया है , अब आप को अमित भी परसांत लगने लगा है , ...........:)
ReplyDeleteआप के आदेशानुसार मै जल्दी ही easy poadcast को step by step post करने की कोशिश करूगा
फ़िर सभी अपनी अपनी आवाज मे यहाँ पर उपस्थिति देगे तो आपका और हमारा भड़ास ब्लॉग पहला इस परकार का ब्लॉग होगा ,