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नेता, खाता, पीता, सोता, किसी का नही होता
मुंबई हमले के बाद नेताओं की किरकिरी होती ही जा रही है। ये स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। मुंबई सहित देश तमाम हिस्सों में लोग इकट्ठा होकर अपने गुस्से, हताशा, प्रत्याशा का खुला प्रदर्शन कर रहे हैं । मीडिया में भी नेताओं के प्रति गुस्से का आलम साफ दिख रहा है । अचानक जैसे नींद से जाग गए हों लोग । देर से ही सही लेकिन चुभन सबको महसूस हो रही है। हम इस हमले में मारे गए लोगों को श्रधांजलि अर्पित करते हैं, सलाम करते हैं उन रनबांकुरों को जिन्होंने ने देश हित में अपने जीवन का बलिदान कर दिया। नेताओ के बारे जितना भी कहा जाए कम ही है। फिर भी आज जरूर कहा जाएगा...क्यौकी बर्दाश्त नही कर सकते। खादी, कुर्सी, कार , व्यापर से बढ़कर भी दुनिया में बहुत चीजें हैं जिनपर सिर्फ़ नेताओं का हक़ है। कब तब हम बरगलाये जायेंगे, कब तक हमें आपस में लड़ाया जाएगा? कब तक हम यू ही रोते हुआ चेहरों में शामिल होते रहेंगे? नहीं अब और नही..बस नेताओं को जी भरकर गरिया देने से हमारी लडाई पुरी नही हो जाती। हमें संकल्प लेना होगा की अबकी हम अपने लोकतंत्र के पर्व को जरा ठीक से मनाएंगे। चोर, बेईमान, लुटेरे, ड़ोकुओं, बलात्कारियों और हत्यारों को नकारना ही पड़ेगा। हमें अपराधी नेता नहीं चाहिए। जबसे नेताओ की जमात में अपराधियों का घुसना शुरू हुआ है। सारी समस्या भी येही से पैदा हुई। आज वेह समय आ गया है जब हमें एकजुट होकर बाहरी और भीतरी दोनों हत्यारों से निबटाना है। आज हम मांग करतें हैं की वर्तमान में देश के जितने अपराधी रिकॉर्ड के राजनेता हैं, सबसे सेकुइरिटी छीन ली जाए, और सरकारी अफसरों ये बता दिया जाए की उनकी ड्यूटी जनता की सुरक्षा करना है न की हत्यारों और चोरों की। इनकी सुरक्षा में लगे जवानों का भी ये अपमान है। नेताओ को तो खुलें में सड़क पर अकेले घूमना चाहिए। ऐसा नही है तो वे सबसे बड़े अपराधी हैं। इनसे सारी सेकुइरिटी वापिस ली जाए........
एंग्री यंग मैन! इसी तरह पेले रहिये इन हरामियों को और अपने आसपास के चूतियों को भी समझाए चलिये कि बस करो जाति-प्रजाति-उपजाति और धर्म,भाषा,क्षेत्र का चूतियापा.....
ReplyDeleteजय जय भड़ास
भाई,
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा और सत्य लिखा, मगर देखना होगा की हमारी जागरूकता कब तक रहती है क्यौंकी हमारे यहाँ के लोग बड़े भुलक्कड़ हैं.
जय जय भड़ास