मेरे भीतर की खिसियाहट है कि शान्त होने का नाम ही नहीं ले रही है जबकि अगर मीडिया के नजरिये से देखा जाए तो बात तो कई दिन पुरानी हो चली है तो अब किसी नए मुद्दे में मसाला डाल कर उसकी जुगाली करनी चाहिये लेकिन जरा आप भी तो देखिये कि कितना तकलीफ़ देती हैं हो सकता है कि हमारे देश की जनता भी कितनी गलीज और लिजलिजी सी है पता नहीं ढीठ हैं या परम चूतिया लेकिन कुछ तो जरूर बात है हमारे देशवासियों में...........
दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि हमारी जनता का प्रतिसाद ऐसा है लेकिन अधिकारी गणों और नेताओं का भी ऐसा ही रवैया है लेकिन एक उम्मीद है कि कभी तो बदलाव आएगा हम रहें या न रहें...
ReplyDeleteजय जय भड़ास
यही वजह है कि इस देश की जनता के साथ ऐसा होता है लेकिन जब जान पर बन आती है तो ये अपरिचित लोगों के लिये जान देने वाले जवान ही आगे आते हैं चूतड़ मटका कर नाचने वाले अभिनेता या क्रिकेटर नहीं जिनके लिये जड़बुद्दि जनता पगलायी रहती है। भारत एक मनोरंजन प्रधान देश है यहां की जनता की यही नियति है कि इन्हें लोग ऐसे ही कीड़ो-मकोड़ों की तरह से मारें।
ReplyDeleteजय जय भड़ास