जो देखता हूँ, कहे बीना रहा नही जाता........

ना ही मैं एक पत्रकार हूँ और न ही समाजसेवक ......ना ही मैं संवेदनशीलता जताने का इरादा रखता हूँ और ना ही बुद्धिजीवी होने का एहसास है.........
यूँ ही अचानक चलते चलते जो कुछ भी दीखता है ....कह देने का मन करता है......

विषय बहुत हैं......लोग भी बहुत हैं......लेकिन मेरा नजरिया सिर्फ़ मेरा है..........

उम्मीद है की लोग मेरे नज़रिए पर अपना विचार रखेंगे....आलोचना, समालोचना या फ़िर प्रसंसा कुछ भी.....लेकिन मैं कहूँगा वोही जो मेरे नज़रिए से मुझे लगेगा की कहना चाहिए !!!!

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