पता नही किसने मदर्स डे बनाया था जिन्होने भी बनाया होगा उसने कभी सपने में भी नही सोचा होगा कि एक दिन ऐसा भी आयेगा जब कोई माँ अपनी बेटी की हत्या के जुल्म में जेल जायेगी।कल जब मदर्स डे के दिन निरुपमा की माँ पेय रोल पर जेल से बाहर आ रही थी तो, मैं यही सोच रहा था कि माँ की इस स्थिति पर निरुपमा क्या सोच रही होगी।----
निरुपमा के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर जो हाई तौंबा मचा रहे हैं।उनसे मेरी एक सलाह हैं खासकर इस मामलो से जुड़े मीडिया,पुलिस और डांक्टर से, कृपया कर डां के0एस0नरायण रेडी की बुक द इन्सटाईल्स ओफ फोरेन्सिंक मेडिसीन एन्ड टोभीकोलोजी के चेपटर 14 के पेज संख्या 276से 308 के बीच पढे जिसमे हेंगिग के मामले में विस्तृत तरीके से लिखा हैं।इसका अध्यण करे यह किताब आज की तारीख में पोस्टमार्टम का बाईबिल माना जाता हैं।भारत ही नही अमेरिन डांक्टर भी हेंगिंग के मामले में इस बुक का रिफरेन्स देने से परहेज नही करते हैं।इस किताब में हेंगिंक को लेकर कई तरीके से लिखा गया हैं किस परिस्थिति में हत्या होगा और किस परिस्थिति में आत्महत्या माना जायेगा।
निरुपमा के मामले में सिविल सर्जन जो तर्क दे रहे हैं कि गले की हडडी नही टुटी हुई नही हैं दम घुटने के कारण इसकी मौंत हुई हैं जो हत्या का लक्षण हैं।ब्लांक पर दिये गये हेगिंग से जुड़े फोटो संख्या चार को देखे जिसमें फांसी लगाने वाला व्यक्ति फांसी लगाकर सिर्फ अपना सिर नीचे कर लिया हैं।इस स्थिति में फांसी लगाने पर व्यक्ति की मौंत दम घुटने से होती हैं और गले की हडडी नही टुटती हैं।पुलिस को जो अभी तक साक्ष्य मिला हैं उसमें निरपमा पहले पखे से अपनी आढनी बांधी हैं औऱ फिर ओढनी को अपने गर्दन में बांध कर पलग पर बैंठ गयी और सिर झुका दी जिसके कारण उसकी माँ आसानी से फंदा भी खोल ली और मौंत का कारण पोस्टमार्टम में दम घुटना आया हैं।ये जो कहा जा रहा हैं कि उस रुम में न तो कोई स्टुल मिला हैं जिसके सहारे निरुपमा खड़ी होती यह सही हैं लेकिन डाक्टर के सामने जो चीजे पोस्टमार्टम के दौरान सामने आया उसकी विस्तृत विवरण के बाद मौंत के कारणो पर विशलेशन करती तो ये बाते सामने आ जाती हैं।डाँ0जिस फर्मूला के आधार पर निरुपमा की मौंत को हत्या बता रहा हैं वह बेहद सिम्पल थ्यूरी हैं प्रैकटिस में पूरे बिहार ही नही पूरे देश में खासकर जिला अस्पताल में यही थ्योरी चलती हैं।जिसके कारण यह विवाद पैंदा लिया हैं।इस विवाद से सीखने की जरुरत हैं यह नही की जिस थ्योरी को लेकर अपनी बात रख दिया हैं उस पर अंतिम तक कायम रहे।मीडिया के बंधुओ से तो विशेष कर विनती हैं की इस तरह के मामले में ओपेनियन देने से पहले विशेषज्ञो से पूरी बहस कर ले और हो सके तो इससे सपोर्टिंग किताब का अक्सर अध्यण करते रहे खासकर जो क्रायम रिपोर्टिग करते हैं।
यह वाकिया मुझे इसलिए याद हैं कि चार वर्ष पहले इसी तरह अपहरण के दो कैंदी की मौंत थाने के हाजत में समस्तीपुर में हो गयी थी।पुलिस हाजत मैं सीधे सीधे थानेदार सहित थाने के सभी पुलिस हत्या के अभियुक्त हो गये उस वक्त जमकर हंगामा हुआ था नीतीश कुमार की सरकार बनी थी और अतिपिछड़े वर्ग के दो लोगो की मौंत भी हुई थी।मीडिया ने जमकर हंगामा किया था।एक रात करीब 11बजे उस वक्त में दरभंगा में पोस्टेड था उसी आरोपी थानेदार का फोन आया औऱ कहां मैं आपके मकान के नीचे हैं जरा मिलना चाहते हैं।मैंने उपर बुलाया उसने मुझे फोरेन्सिंक विभाग से जुड़े कई किताबो का जिरोक्स दिया जिसमें हेंगिग को लेकर विस्तृत जानकारी दी गयी थी।साथ ही कहा कि पुलिस हाजत में जिन दो कैंदी की मौंत हुई हैं वह दोनो से अपनी लुंगी को फारकर गले में बांधा और हाजत के लोहा में बांधकर बैंठ गया जिसके कारण उसकी मौंत हो गयी हैं हमलोगो ने उसकी हत्या नही की हैं जबकि वह खुद आत्महत्या किया हैं।मैने कहा इसके लिए भी तो आपही लोग दोषी हैं।खेर दूसरे दिन पूरे कागजात को लेकर दरभंगा मेडिकल कांलेज के फोरेन्सिक डिपार्टमेंन्ट के हेड एस0के0पी0सिंह से मिला उन्होने कहा कि इस तरह के साक्ष्य में हत्या लिखना पूरी तौर पर सही नही होता हैं।और इस मामले में पुलिस द्वारा संकलित साक्ष्य और पंचनामा को ज्यादा महत्व दी जानी चाहिए।क्यो कि इस तरह के सिम्टम में दोनो बाते हो सकती हैं।मैंने उनकी बाईट लेकर खबर बनायी कि ताजपुर थाने में कैंदी की हुई मौंत हत्या नही आत्महत्या भी हो सकती हैं।खबर को लेकर विवाद भी हुआ लेकिन इस मामले में गठित जांच टीम ने इस मसले को भी अपनी जांच में शामिल किया हलाकि यह मामला आज भी चल ही रहा हैं।वही इस मामले में ताजा खबर यह हैं कि प्रियभांशु के वे सभी मित्र जो इसकी वकालत कर रहे थे दिल्ली से फरार हो गये हैं।मेरे सुत्र की माने तो इस मामले में कांलेज के शिक्षक प्रधान से भी पुछताछ होनी चाहिए जिन्होने इस मामले को लेकर बड़ी हाई तौबा मचायी हैं इनकी भूमिका के बारे में इसी कांलेज के छात्रो ने कई तरह की बाते बतायी हैं।
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